कैलाश गौतम का गीत। Avinash Das जी की दीवार से साभार।
***
सिर फूटत हौ, गला कटत हौ, लहू बहत हौ, गान्ही जी
देस बंटत हौ, जइसे हरदी धान बंटत हौ, गान्ही जी
बेर बिसवतै ररूवा चिरई रोज ररत हौ, गान्ही जी
तोहरे घर क' रामै मालिक सबै कहत हौ, गान्ही जी
***
सिर फूटत हौ, गला कटत हौ, लहू बहत हौ, गान्ही जी
देस बंटत हौ, जइसे हरदी धान बंटत हौ, गान्ही जी
बेर बिसवतै ररूवा चिरई रोज ररत हौ, गान्ही जी
तोहरे घर क' रामै मालिक सबै कहत हौ, गान्ही जी
हिंसा राहजनी हौ बापू, हौ गुंडई, डकैती, हउवै
देसी खाली बम बनूक हौ, कपड़ा घड़ी बिलैती, हउवै
छुआछूत हौ, ऊंच नीच हौ, जात-पांत पंचइती हउवै
भाय भतीया, भूल भुलइया, भाषण भीड़ भंड़इती हउवै
देसी खाली बम बनूक हौ, कपड़ा घड़ी बिलैती, हउवै
छुआछूत हौ, ऊंच नीच हौ, जात-पांत पंचइती हउवै
भाय भतीया, भूल भुलइया, भाषण भीड़ भंड़इती हउवै
का बतलाई कहै सुनै मे सरम लगत हौ, गान्ही जी
केहुक नांही चित्त ठेकाने बरम लगत हौ, गान्ही जी
अइसन तारू चटकल अबकी गरम लगत हौ, गान्ही जी
गाभिन हो कि ठांठ मरकहीं भरम लगत हौ, गान्ही जी
केहुक नांही चित्त ठेकाने बरम लगत हौ, गान्ही जी
अइसन तारू चटकल अबकी गरम लगत हौ, गान्ही जी
गाभिन हो कि ठांठ मरकहीं भरम लगत हौ, गान्ही जी
जे अललै बेइमान इहां ऊ डकरै किरिया खाला
लंबा टीका, मधुरी बानी, पंच बनावल जाला
चाम सोहारी, काम सरौता, पेटैपेट घोटाला
एक्को करम न छूटल लेकिन, चउचक कंठी माला
लंबा टीका, मधुरी बानी, पंच बनावल जाला
चाम सोहारी, काम सरौता, पेटैपेट घोटाला
एक्को करम न छूटल लेकिन, चउचक कंठी माला
नोना लगत भीत हौ सगरों गिरत परत हौ गान्ही जी
हाड़ परल हौ अंगनै अंगना, मार टरत हौ गान्ही जी
झगरा क' जर अनखुन खोजै जहां लहत हौ गान्ही जी
खसम मार के धूम धाम से गया करत हौ गान्ही जी
हाड़ परल हौ अंगनै अंगना, मार टरत हौ गान्ही जी
झगरा क' जर अनखुन खोजै जहां लहत हौ गान्ही जी
खसम मार के धूम धाम से गया करत हौ गान्ही जी
उहै अमीरी उहै गरीबी उहै जमाना अब्बौ हौ
कब्बौ गयल न जाई जड़ से रोग पुराना अब्बौ हौ
दूसर के कब्जा में आपन पानी दाना अब्बौ हौ
जहां खजाना रहल हमेसा उहै खजाना अब्बौ हौ
कब्बौ गयल न जाई जड़ से रोग पुराना अब्बौ हौ
दूसर के कब्जा में आपन पानी दाना अब्बौ हौ
जहां खजाना रहल हमेसा उहै खजाना अब्बौ हौ
कथा कीर्तन बाहर, भीतर जुआ चलत हौ, गान्ही जी
माल गलत हौ दुई नंबर क, दाल गलत हौ, गान्ही जी
चाल गलत, चउपाल गलत, हर फाल गलत हौ, गान्ही जी
ताल गलत, हड़ताल गलत, पड़ताल गलत हौ, गान्ही जी
माल गलत हौ दुई नंबर क, दाल गलत हौ, गान्ही जी
चाल गलत, चउपाल गलत, हर फाल गलत हौ, गान्ही जी
ताल गलत, हड़ताल गलत, पड़ताल गलत हौ, गान्ही जी
घूस पैरवी जोर सिफारिश झूठ नकल मक्कारी वाले
देखतै देखत चार दिन में भइलैं महल अटारी वाले
इनके आगे भकुआ जइसे फरसा अउर कुदारी वाले
देहलैं खून पसीना देहलैं तब्बौ बहिन मतारी वाले
देखतै देखत चार दिन में भइलैं महल अटारी वाले
इनके आगे भकुआ जइसे फरसा अउर कुदारी वाले
देहलैं खून पसीना देहलैं तब्बौ बहिन मतारी वाले
तोहरै नाव बिकत हो सगरो मांस बिकत हौ गान्ही जी
ताली पीट रहल हौ दुनिया खूब हंसत हौ गान्ही जी
केहु कान भरत हौ केहू मूंग दरत हौ गान्ही जी
कहई के हौ सोर धोवाइल पाप फरत हौ गान्ही जी
ताली पीट रहल हौ दुनिया खूब हंसत हौ गान्ही जी
केहु कान भरत हौ केहू मूंग दरत हौ गान्ही जी
कहई के हौ सोर धोवाइल पाप फरत हौ गान्ही जी
जनता बदे जयंती बाबू नेता बदे निसाना हउवै
पिछला साल हवाला वाला अगिला साल बहाना हउवै
आजादी के माने खाली राजघाट तक जाना हउवै
साल भरे में एक बेर बस रघुपति राघव गाना हउवै
पिछला साल हवाला वाला अगिला साल बहाना हउवै
आजादी के माने खाली राजघाट तक जाना हउवै
साल भरे में एक बेर बस रघुपति राघव गाना हउवै
अइसन चढ़ल भवानी सीरे ना उतरत हौ गान्ही जी
आग लगत हौ, धुवां उठत हौ, नाक बजत हौ गान्ही जी
करिया अच्छर भंइस बराबर बेद लिखत हौ गान्ही जी
एक समय क' बागड़ बिल्ला आज भगत हौ गान्ही जी
आग लगत हौ, धुवां उठत हौ, नाक बजत हौ गान्ही जी
करिया अच्छर भंइस बराबर बेद लिखत हौ गान्ही जी
एक समय क' बागड़ बिल्ला आज भगत हौ गान्ही जी
No comments:
Post a Comment