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Friday, August 7, 2015

सबसे ज्‍यादा अद्भुत इस देश के स्‍त्रीप्रेमी लोग हैं जिन्‍हें सोमनाथ भारती की ''सुंदर महिला'' वाली टिप्‍पणी तो सेक्सिस्‍ट समझ में आती है, लेकिन जो ''राधे मां'' पर चुप हैं।



मुझे रह-रह कर लगता रहा है कि यह देश अद्भुत है। इस अद्भुत देश में ''राधे मां'' नाम की एक अद्भुत महिला के कथित कानूनी अपराध को मीडिया ने जिस तरह से एस्‍थेटिक्‍स के सवाल में तब्‍दील कर डाला है, वह भी अद्भुत है। एक महिला के पहनावे, सजावे, रहन-सहन, नाचने-गाने और बोलने-बतियाने पर लोग खुलेआम मौज ले रहे हैं। तकरीबन सभी हिंदी चैनलों ने फोन पर इस महिला और किसी व्‍यक्ति के बीच जिस बातचीत को प्रसारित किया है, उसमें स्‍पष्‍टत: यौन-संकेत शामिल हैं। अद्भुत बात है कि 'लेने' और 'देने' पर केंद्रित यह सुदीर्घ फोन-संवाद चैनलों ने न सिर्फ सुनाया, बल्कि लिखकर भी चलाया है।

सबसे ज्‍यादा अद्भुत इस देश के स्‍त्रीप्रेमी लोग हैं जिन्‍हें सोमनाथ भारती की ''सुंदर महिला'' वाली टिप्‍पणी तो सेक्सिस्‍ट समझ में आती है, लेकिन जो ''राधे मां'' पर चुप हैं। जिस देश में सैकड़ों की संख्‍या में महाकुंभ में एक साथ उछलते, कूदते, तलवारें भांजते और नहाते नंगेपुंगे नागा बागाओं को धर्म-अध्‍यात्‍म का वाहक माना जाता है, वहां कोई स्‍त्री अगर धर्म के नाम पर खूबसूरत ठगी कर रही है तो आपको बुरा क्‍यों लग रहा है भाई? नंगा बाबा चलेगा लेकिन मिनी पहनने वाली बाबी नहीं? क्‍यों भई? क्‍या इस स्‍त्री के साथ हो रहे सार्वजनिक मज़ाक पर स्‍त्रीवादी सिर्फ इसलिए चुप हैं कि कहीं उन्‍हें अगंभीर न करार दे दिया जाए? और क्‍या वजह है?

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  • Abhishek Ranjan Singh भोथ्था कोदार से काटने और अर्द्ध-टूटा हुआ पलास्टिक के जूत्ता से मारने की ज़रूरत है. दिन भर थक-हार कर टीवी खोलते हैं, सामने द़्श्य आता है इन कथित, स्वघोषित विष कन्या अर्द्ध-साध्वी का.
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  • Ujjwal Bhattacharya एक ठगी मां का समर्थन मुश्किल होता है, और समर्थन तो करना ही नहीं हैं...बहरहाल, अपने तरीके से मैंने बात उठाने की कोशिश की है.
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  • Shravan Shravan किसी स्त्री का विरोध नारी विरोधी होना नहीं है ! कोई स्त्री होने मात्र से सही और आलोचना से परे नहीं हो जाता !आसाराम बापू की आलोचना हुई है ! वे जेल मे हैं ! नित्यानन्द स्वामी की भरपूर छीछालेदारी हुई है ! श्री श्री रविशंकर की आलोचना और विरोध हुआ है ! अब र...See More
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  • Ujjwal Bhattacharya सवाल आलोचना का नहीं है. अत्यंत रूढ़िवादी संस्कार के साथ आलोचना की जा रही है.
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  • Sandeep K. Mishra बाबा के जमाना में बाबी के भारी सक्सेस से इगो हर्ट हो गया लगता है। सबसे आगे निकल जाने की होड़ में इतना भी सबर नहीं कि पहले ये समझ पाएं कि कहीं वो खुद ही जबरा किसी के पेंट में हाथ डालने जैसी छीछलेदार हरकत तो नहीं कर रहे।। एकदम थर्ड क्लास।।। 
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