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Thursday, August 13, 2015

अम्मा, मौसी, नानी के बीच संसद

अम्मा, मौसी, नानी के बीच संसद

Samwaad
भारतीय संसद में भ्रष्टाचार के सवाल को लेकर काफी दिनों से अवरोध चल रहा है. प्रधानमंत्री ने मौन धारण कर लिया है. लोकसभा चुनाव के समय गरज-गरज कर तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात को सिंह गर्जना के रूप में करते थे. आज जब उनकी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भगोड़े अपराधी ललित मोदी की पत्नी के बीमारी को मानवीय बता कर अपने द्वारा किये गए अपराध को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं तो संसद में  प्रधानमंत्री संसद का सामना न कर आरोपी सुषमा स्वराज द्वारा आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला जारी कर रखा है जो संसदीय मापदंड के अनुरूप नहीं है. सदन में अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने कहा कि आखिर ललित मोदी से राहुल गांधी की मौसी को कितने पैसे मिले हैं। 
वहीँ सुषमा स्वराज ने कहा कि अपनी मां से पूछो राहुल की क्वात्रोच्चि मामले में हमने कितना पैसा खाया था, डैडी आपने ऐंडरसन को क्यों छुड़वाया। जैसे आरोप लगाये . मुख्य सवाल यह है कि सुषमा स्वराज स्वयं स्वीकार कर चुकी हैं कि अपराधी ललित मोदी के मामले में उन्होंने मानवीय आधार पर मदद की थी.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मानवीय कानून और मानवता का आधार अलग अलग हैं। ललित मोदी ने यूके के बाहर यात्राएं की। वह शादियों और रिजॉर्ट में गया। खड़गे ने कहा,क्या आप ऎसे व्यक्ति को बचाना चाहती हैं जिसने कथित मानवीय आधार पर 460 करोड़ रूपए का घोटाला किया। 
क्षेत्रीय दल पहले सरकार का विरोध करते हुए अचानक पाला बदलते थे और अब भी संसद के आखिरी दिनों में पाला बदलने का खेल शुरू हो रहा है. शोर-शराबा हंगामा होना एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा होता है.
            यू पी ए-2 की सरकार के समय भाजपा के लोग शोर मचा कर संसद नहीं चलने देते थे और आखिरी एक-दो दिन में सरकार बगैर किसी बहस के तमाम सारे विधेयक पास करा लेती थी. जो कॉर्पोरेट सेक्टर के हित में होते थे और मेहनतकश जनता के खिलाफ होते थे और वही खेल मोदी सरकार के समय में खेला जा रहा है. आखिरी दिनों में तमाम सारा विधायी कार्य बगैर किसी बहस के पूरा हो जायेगा . कॉर्पोरेट सेक्टर अपने लाखों-लाख करोड़ रुपये का फायदा पाने के लिए मजदूर किसान विरोधी नयी आर्थिक नीतियों की बुलेट ट्रेन की तरह चला कर लागू कराना चाहती है और इसके लिए उन्होंने सदन के अन्दर सोची-समझी रणनीति के तहत मौनी बाबा-II सदन में चुप रहकर नयी आर्थिक नीति की दुष्प्रभावों की कोई चर्चा न हो. इसीलिए अम्मा, मौसी, नानी के बीच बहस जारी है. 

सुमन 
लो क सं घ र्ष !

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