जीना है तो मरना सीखो
कदम कदम पर लड़ना सीखो
बीस ट्रिलियन डालर की चमचमाती इकोनामी में अंध मध्ययुग का पुनरूत्थान।भारत फिर वही सांप सपेरों,ओझा,साधुओं साध्वियों,जादू,तत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष और योग वियोग का देश,बाकीर सालाना चालीस बिलियन डालर की विदेशी पूंजी का अबाध निवेश
हम तो अपने आसोपास खूब देख रहे हैं कि एको मकान,एको दुकान,एको जमीन कई कई दफा फर्जी कागजात के सहारे बिकते हुए।
तो मोदी महाराज ई सोने की चिड़िया जो इंडिया रहबै करै हैं,उसे कितनी बार किस किस के हाथों बेचने का इंतजाम कर रहे हैं और ई का कि दुनियाभर के हुक्मरान भी वइसन बुरबकै बनेला है,जइसन हमार इंडियाइंक।
पलाश विश्वास
सेवा कर की नई बढी हुई 14 प्रतिशत की दर एक जून से लागू होगी। सरकार ने यह जानकारी दी। इस कदम से रेस्तरां जाना, बीमा और फोन बिल आदि महंगे हो जाएंगे। फिलहाल सेवा कर की दर 12.36 प्रतिशत है। इसमें शिक्षा उपकर भी शामिल है। शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सेवा कर की नई 14 प्रतिशत की दर एक जून से लागू होगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 के बजट में इसकी घोषणा की थी। अपने बजट भाषण में जेटली ने कहा था कि केंद्र व राज्यों की सेवाओं पर सेवा कर को सुगमता से लागू करने के लिए मौजूदा सेवा कर की 12.36 प्रतिशत की दर (शिक्षा उपकर सहित) को मिलाकर 14 प्रतिशत किया जा रहा है।
पहली जून से देना होगा 14 फीसदी सर्विस टैक्स, महंगा होगा रेस्टोरेंट में खाना, फिल्म देखना और मोबाइल बिल
सेवा कर की नयी बढ़ी हुई 14 प्रतिशत की दर एक जून से लागू होगी. सरकार ने मंगलवार को यह जानकारी दी. इस कदम से रेस्तरां जाना, बीमा और फोन बिल आदि महंगे हो जाएंगे. ... और पढ़ें»
विनिवेश, मानसून और ब्याज दरों से तय होगी घरेलू बाजार की दिशा
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि सरकार की विनिवेश प्रक्रिया, मानसून का आगमन, खाद्यान्नों की कीमतों में नरमी और आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेतों से आगामी दिनों में भारतीय शेयर बाजारों की दिशा तय करने ... और पढ़ें»
मित्रों,माफ कीजियेगा अनपेक्षित व्यवधान के लिए।कल सुबह यह विषय हमने फेसबुक पर दाग दिया था और फीडबैक से निपटने के बाद लिखने बैठा ही था कि बिजली गुल।तार छिड़ जाने की वजह से लंबे चौड़े इलाके में बिजली गुल रही और शाम होते न होते मच्छरदानी लगाकर बैठना पड़ा।
मच्छरों और उमस के मारे रातभर लोग रातजगा करते रहे।
आज सुबह पांच बजे मेहनतकश कामगारों के रातभर काम करते रहने के बाद बिजली आयी और अधूरा आलेख पूरा करने बैठा हूं।आज कल परसो का हिसाब उस हिसाब से जोड़ लें एकदिन आगे समझकर कि हम कल का लिखा बदल नहीं रहे हैं।
इस महानगरीय उपनगरीय जीवनगाथा और सीमेंट सभ्यता में अब भी कामगारों के हाथ और उनकी कड़ी मेहनत मशक्कत का कोई विकल्प नहीं है।लेकिन अफसोस की बात तो यह है कि वातानुकूलित सभ्यता के नागरिक नागरिकाओं को उनके जीने मरने से कुछ लेना देना नहीं है।
संगठित क्षेत्र के जो सात फीसद कामगार थे,मोदी के अश्वमेधी पराक्रम और एफडीआी राज में साल भर में सिमटकर वह दो फीसद कम होकर पांच फीसद के आसपास है।तमाम रंगबिरंगी विचारधाराओं के लोगों की फिक्र सिर्फ इन सिमटते हुए,मरते खपते हुए पांच फीसद सुखी मलाईदार तबके के लिए है।
बाकी पचानब्वे फीसद जो हिंदू राष्ट्र शत प्रतिशत बने या नहीं,लेबर रिफार्म और निजीकरण, ग्लोबीकरण, उदारीकरण की वजह से शत प्रतिशत अंसगठित क्षेत्र में सामाहित संगठित क्षेत्र के ही कामगारों का कुनबा बनने जा रहा है,उसके नागरिक और मानवाधिकारों,बुनियादी जरुरतों और बुनियादी सेवाओं में कोई सुधार इस अश्वमेधी सुधार कार्यक्रम में होने नही जा रहा है।
जिस तेजी से ट्वेन्टी ट्रिलियन डालर की इकोनामी बनाने के लिए पूरे देश को डिजिटल, बायोमैट्रिक, रोबोटिक बनाया जा रहा है,जिस अंधाधुंध करीके से हम स्मार्ट सिटी बन रहे हैं,उसके तहत तो किसानों की छोड़िये,जिनकी हजामत मान्यवर शरद पवार दशकों से ऐसे बनाते रहे हैं कि चाहे हर किसान के घर बबुआ राहुल युवराज नहाये ,खाये, भारते के खेत खलिहान में या तो हिमालयी जलप्रलय हैं या फिर विदर्भ का सूखा या मराठवाड़ा का दुष्काल- रीटेल एफडीआई और ईटेलिंग की महिमा से खुदरा कारोबार भी विदेशी पूंजी के हवाले है और इंडियाइंक भी अब फटेहाल इसतरह हो रहा है कि मुकेश अंबानी अब अव्वल नंबर है ही नहीं।
सत्ता आशार्वीद से रक्षा सौदों और रेडियोएक्टिव विकास के नये नये सौदागर केसरिया गुजराती माडल पीपीपीपिया हैं।उद्योगपति वहींच जो पीएम मन भाये।आंकड़े वहीं,जो एफएम बनायें।बुलरन वहीं,जो आरबीआई की कटौती दर।विकास वही जो कहर बरपाये।
ऐसी है ट्वेन्टी ट्रिलियन डालर की इकोनामी की वैदिकी सभ्यता।
मोदी सरकार ने कर दिया बालश्रम का कानूनीकरण - मोदी सरकार का यह पहला कदम नहीं है, इसी साल जून में सरकार द्वारा फैक्टरी अधिनियम और न्यूनतम मजदूरी...
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यह जलवा है सालाना चालीस बिलियन डालर का विदेशी पूंजी निवेश का कि मुकेश अंबानी की हैसियत भी खतरे में और दसों दिशाओं में सनी लिओन की अनंत लीला का दिलफरेब जलवा।
लोकप्रियता में मुकाबला अब अपने बड़बोले फेंकू पीएम और जलवा बिखेरती सनी लिओन के बीचो है ,यही है वैदिकी सभ्यता का विकास।
We jump into conclusion very fast and that has happened in Karnataka too with IAS officer Ravi's death. Political parties accused the government while many other organisations said that he was fighting against corruption. Everybody demanded a CBI inquiry and now the reports are alarming. That Ravi wanted to acquire land meant for the Dalits and failed because of the SC-ST land laws which can not transfer land to non SCs. Is this honesty ? I am shocked to see how every one want to become too fat in money just a short span of time and 'honesty' is the best 'policy'. Disturbing trend..
CBI has concluded that he committed suicide by hanging himself.
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हम तो दुर्मुख है कि अप्रियभाषण ही हमारा आचरण है,हनारे जो रामबिहारी नये नये नानाजी हैं,यानी नाना बन गये ठैरे जो भूलकर भी हमारा लिखा पढ़ते नहीं है और न हमसे तनिको प्रभावित हैंऔर नियमित पांचजन्य,आर्गेनाइजर बांचते हैं बाकी प्रिंट के अलावा ,उनने पाइंटआउट किया जो वह माथापच्ची के लिए काफी है।
रामबिहारी का विश्लेषण हमारी भी आंखें खोल देता है अक्सर।नाना बन गया तो क्या,अबहुं जवान है चालीस छुआ है अभी।गुरुजी के वे भी असली चेले हैं।समझे बूझै बहुत है,पण लिखेंगे नहीं।
रामबिहारी को भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि हर देश से थोक भाव से समझौते करके मोदी महाराज जो हर देश के साथ बुलेट ट्रेन,स्मार्टसिटी, न्यूक्लियर रिएक्टर,इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर वपावर सेक्टर तक में निवेश का न्यौता बांट रहे हैं तो आखेर जमीन पर ठेका मिलेगा किसे।
चीन जापान कोरिया से लेकर स्वीडन और कनाडा तक के साथ स्मार्ट बुलेट करार,तो आखेर फाइनल एग्रीमेंटवा किसके साथ हुई गवा रे बाप।
हम तो अपने आसोपास खूब देख रहे हैं कि एको मकान,एको दुकान,एको जमीन कई कई दफा फर्जी कागजात के सहारे बिकते हुए।
तो मोदी महाराज ई सोने की चिड़िया जो इंडिया रहबै करै हैं,उसे कितनी बार किस किस के हाथों बेचने का इंतजाम कर रहे हैं और ई का कि दुनियाभर के हुक्मरान भी वइसन बुरबकै बनेला है,जइसन हमार इंडियाइंक।
सुबह सवेरे बांग्लादेश क सबसे लोकप्रिय अखबार प्रथम आलो ने खबर दी है कि सउदी अरब में और जल्लादों की जरुरत हैः
আরও জল্লাদ লাগবে সৌদি আরবে
মৃত্যুদণ্ড কার্যকরের সংখ্যা বাড়তে থাকায় নতুন আরও আটজন জল্লাদের জন্য নিয়োগ বিজ্ঞপ্তি দিয়েছে সৌদি আরবের সরকার। দেশটিতে সাধারণত প্রকাশ্যে শিরশ্ছেদ বা ফাঁসিতে ঝুলিয়ে মৃত্যুদণ্ড কার্যকর করা হয়ে থাকে। সর্বোচ্চ শাস্তি মৃত্যুদণ্ড কার্যকর করা কিংবা নানা ধরনের অপরাধের শাস্তি হিসেবে...
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तनिको इंडिया के सत्तावर्ग से संपर्क साधें सउदी के हुक्मरान,हमारे सफेद पोश सत्तावर्ग तो मुकम्मल जल्लादों का तबका है।आम जनता को सूली पर चढ़ाते हैं रोज तो जनता के हकहकूक की आवाज उटाने वाले लोगों को फांसी पर लटकाते हैं।और तो और कलेजा इतना सख्त है कि कन्याभ्रूण की हत्या हो या दहेज उत्पीड़न या कास्टिंग काउच,नरिममम बलात्कार संस्कृति में अव्वल नंबर है।उनकी सेवा भी लीजिये।
और लीजिये,विद्याभूषण रावत जी ने अपने वाल पर दोग दियो रे।
Andhra Pradesh police must be reprimanded for these cold blooded murders. I am sure once the investigation are completed by all the relevant authorities, not just the police but also the chief minister Chandra Babu Naidu must be quizzed and questioned as without his support these 'defenders' of 'democracy' cant do anything. Shame.
The red sanders logs found lying next to some of the bodies at both encounter sites have white paint smears, marks of chipping from axe-like instruments.
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उधर बांगलादेश में लेकिन मोसांटोहरित क्रांति के किलाफ आवाजे उठने लगी है और मोसमी फलों की सेहत खातिर सड़कों पर लामबंद होने लगे हैं लोग।न जाने हमारी नींद कब खुलेगी।
মৌসুমি ফল বিষমুক্ত করার দাবি
বাজারে মুখরোচক ফল আসতে শুরু করেছে। কিন্তু বিষ আতঙ্ক পিছু ছাড়ছে না ক্রেতাদের। ফলমূলসহ খাদ্যদ্রব্যে বিষ ও ভেজালের ব্যাপকতার বিপরীতে সরকারের কোনো কার্যক্রমও পরিলক্ষিত হচ্ছে না। এ ছাড়া ২০১৩ সালের নিরাপদ খাদ্য আইন বাস্তবায়নে সরকারের নিষ্ক্রিয়তা জনসাধারণের উদ্বেগের মাত্রা...
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सविताबाबू को हमारी जो बेटी मुन्ना डकैतिया म्युजिक पढ़ाती हैं,उसका प्रम विवाह वाले पति का रोजगार अनियमित है।राज्यसरकार के जिस सहकारिता विभाग में वह काम करते थे,सत्ता परिवर्तन के बाद नये सत्तादल के लोगों की जगह खाली करने वास्ते उनकी नौकरी से छुट्टी हो गयी है।अब रोजडगार अनियमित है।वायदा दस हजार का होता है और पगार के वक्त हाथ में मिलते हैं दो तीन हजार रुपये।
हमारी यह बेटी बड़े घर की बेटी है और प्रेम विवाह के बावजूद मायके वाले उसके हर संकट में उसके साथ है।उसका बेटा अभी दसवीं में पढ़ रहा है।बाकी खर्च की तो छोड़िये,स्कूल बस की फीस मासिक तेरह सौ रुपये है।
सविता की सहेली वीणा संपन्नघर की बहू हैं।सोदपुर की एक रइस परिवार की बहू।जिसकी तीनों बेटियां हमारी गोद में बड़ी हुई।बड़की एमए पास करके ट्यूशन पढ़ाती है इस मोहल्ले के बच्चों को हफ्ते में तीन दिन मासिक डेढ़ हजार के हिसाब से।मंझली सबसे सुंदर है,जिसके बर्थडे मैं भूल जाता था ,तो रो रोकर आसमान खड़ी कर देती थी।वह नौकरी करती है किसी कूरियर कंपनी में।छोटी बुल्टी का बचपन तो हमारे यहीं बीता और वह अबकी दफा आईसीएससी परीक्षा पास कर गयी तो वीणा को यह चिंता सता रही है कि बेटी को उसीके स्कूल में ग्यारहवीं में दाखिले के लिए सत्ताइस हजार देने पड़ेंगे।
मोदी जो फेंक रहे है अपनी विश्व परिक्रमा के मीडिया चकाचौंध में और विकास के ट्रिकलिंग ट्वेंटी ट्रिलियन डालर इकोनामी से सारी समस्याओं का हल निकालने की बात कर रहे हैं,उससे हमारी तो क्या अडानी अंबानी और मित्तल जैसे लोगों को छोड़कर भारतीय उद्योग जगत को क्या फायदा हो रहा है,साल भर के मीडिया ब्लिट्ज के बाद इंडिया इंक को भी समझ में नहीं आ रहा है।
अब संघी खेमे के इतिहासकार,अर्थशास्त्री वगैरह वगैरह मैदान में हैं और जगदीश भागवती जैसे विश्वश्रेष्ठ वैदिकी अर्थ शास्त्री भी मान रहे हैं कि फेंकू महाराज कुछ ज्यादा ही फेंक रहे हैं बीस ट्रिलियन इकोनामी की हांककर और सुधार रातोंरात लागू हो नही सकते।यकीन न हो तो कल के इकानोमिक टाइम्स के पहले पेज पर बुल रन का किस्सा ए तिसलिस्मो बांच लीजिये।
One year of Modi government: PM’s reform speed is rightly slow, some slogans not so smart, opines Jagdish Bhagwati
Bhagwati believes PM’s first-year policy approach has been broadly correct. But he needs to replace catchphrases like ‘$20-trillion economy' with logical goals.
By Jagdish Bhagwati & Pravin Krishna
A ship going in the wrong direction cannot be turned around quickly without risking a disastrous accident. That is what happened with 'shock therapy' in Russia where economist Jeffrey Sachs backed rapid reforms, which backfired, by arguing that one cannot cross a chasm in two leaps, forgetting that one cannot do so in one leap either — unless one is Indiana Jones.
Prudent gradualism is also appropriate for democracies where in ..
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सुधारों का जलवा यह है कि हमारे आसपास तमाम पचास लाख टकिया करोड़ टकिया फ्लैटों का बहुमंजिली जंगल घनघोर है।कांचकल की मजदूर बस्ती अभी उखाड़ी जानी है और कांचकल में सुपर शापिंग कांप्लेक्स वैसे ही बनना है जैसे बंगाल के मैनचेस्टर हुगली के आर पार और बीटी रोड को दोनों तरफ बन रहे हैं।
कुछ लोगों के पास इफरात पैसे हैं तो अनेक लोगों के पास सर छपाने की जगह तक नहीं है।जो जलजंगल जमीन नागरिकता आजीविका से लगातार बेदखल होते जा रहै हैं और जिनके हिस्से में आपदाओं के सिवाय कुछभी नहीं है।जैसे हिमालयी गैरनस्ली जनता,जैसे पूरा का पूरा आदिवासी अस्पृश्य भूगोल।
गायपट्टी की सवर्ण आर्यसंततियों को यह रसायनशास्त्र समझ में नहीं आयेगा कि गाय पर निबंध न लिखा पाना अपराध है,गोहत्या के लिए दस साल की सजा है,तो कानून के राज से वंचित क्यों हैं इस देश के बहुजन।मिथकीयआस्था के ताने बाने में सलवाजुड़ुम और आफसा बाकी देश के लिए सरदर्द है ही नहीं कि इस अनंत बेदखली अभियान के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में कोई हलचल हो जबकि खुलेआम शत प्रतिशत हिंदुत्व का अंध मध्ययुगीन अतीत के महिमामंडन के साथ पूरा भारत महाभारत है।
कुछ लोग हैं जिनके बच्चे पहली में दाखिला लें तो इसी सोदपुर में पचास लाख तक डोनेशन हैं।डोनेशन दीजिये,लाखों की फीस भरिये,फिर चाहे जो बनाना है,डाक्टर, इंजीनियर,टीचर से लेकर सफेदपोश मजदूर याआईटी बंधुआ,बनते रहिये।
गरीबों के बच्चों को रइस तबके के बराबर शिक्षा नहीं मिलती जाहिर है और सर्वशिक्षा की खिचड़ी ही उनकी नियति है,यह भी सही है।लेकिन जो काबिल बच्चे तमाम प्रतिकूल परस्थितियों का डटकर मुकाबला करते हुए परीक्षाओं में निनानब्वे फीसद तक नंबर ला रहे हैं,उन्हें आगे रोजगार मिले या न मिलें ,फिलहाल उनके दाखिले की भारी समस्या है।
चिकित्सा तो फिर भगवान भरोसे हैं।हर हाथ में स्मार्टफोन।गले में रंगबरंगे यंत्र।उंगलियों में ग्रहों को साधने वाले रत्न।फिरभी जिंदगी फजीहत हुई जाती है।
फिरभी हिंदुत्व की नरकयंत्रणा में दाखिले के लिए बहुजनों की भगदौड़ केसरिया सत्ता के जूठन के खातिर।
রাত জাগা কাজে কখন ঘুমাবেন...
১২ মে পালিত হলো আন্তর্জাতিক নার্সেস দিবস। মহিমান্বিত সেবিকা ফ্লোরেন্স নাইটিঙ্গেলের অনুসারীদের কথা মনে হলো আর এই লেখাটি লিখতে গিয়ে জরুরি বিভাগের রাতজাগা নার্সদের কথা মনে হলো। রাতের পালায় কাজ করেন নার্স, চিকিৎসক ও চিকিৎসা সহকারীরা। আরও আছেন রাতের পালার...
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इतिहास चेतना का यह नमूना देखिये और हमरे वैदिकी इतिहास का धूमधड़ाका देखिये।
মুক্তিযুদ্ধের ভুয়া ইতিহাস থেকে দূরে থাকার আহ্বান..
ঢাকা থেকে পরিচালিত মুক্তিযুদ্ধবিষয়ক সংগঠন ‘মুক্ত আসর’। সংগঠনটির চতুর্থ প্রতিষ্ঠাবার্ষিকী উপলক্ষে গতকাল সোমবার সিলেটে পালিত হয়েছে ‘মুক্তিযুদ্ধের গল্প শুনি’ শীর্ষক অনুষ্ঠান। সেখানে মুক্তিযুদ্ধের জাল ও ভুয়া ইতিহাস থেকে দূরে থাকার আহ্বান জানানো হয়েছে।সিলেট...
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বিশ্ব সিনেমার অন্যতম ঐতিহ্যবাহী আর বৃহত্তম এই আসরে সত্যজিৎ রায়ের সেই অনন্য অর্জনকে এরপর ছাড়িয়ে যেতে পারেননি দ্বিতীয়...
‘তোমার কি মনে হয় না অন্তত একটা ভারতীয় ছবি এ বছর মূল প্রতিযোগিতায় থাকা দরকার ছিল?’ প্রেস অফিসের আড্ডায় বসে বলছিলেন এক জার্মান সাংবাদিক। ১৩ বছর ধরে এই উৎসবে যোগ দিচ্ছেন জার্মান দৈনিকের এই মাঝ বয়সী সাংবাদিক। ৬৮তম কান উৎসবের প্রতিযোগিতা বিভাগের ছবি নির্বাচন...
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पढ़ लीजियेः
Mainstream, VOL LIII, No 21, May 16, 2015
WHO IS AFRAID OF HISTORY?
सेवाग्राम में पागलदौड़ के खिलाफ गांधी ने चेताया कि यह आत्मघाती है तो वहां आइनस्टीन का भी एक बोर्ड है कि वैज्ञानिक विकास से मनुष्यता का विकास होता नहीं है।
इस पागल दौड़ के केसरिया चक्रवर्ती महाराज के बिजनेस फ्रेंडली कारपोरेट राजकाज में विकास के वास्ते सालाना चालीस अरब डालर के विदेशी निवेश,परमाणु ऊर्जा विकल्प और अंतरिक्ष से लेकर हिमालय तक पर एकाधिकार अभियान के बावजूद भारत फिर वही सांप सपेरों,ओझा,साधुओं साध्वियों,जादू,तत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष और योग वियोग का देश,बाकीर सालाना चालीस बिलियन डालर की विदेशी पूंजी का अबाध निवेश के बावजूद शत प्रतिशत हिंदुत्व का मध्ययुगीन बर्बरता का पुनरुत्थान और मनुस्मृति शासन का विजयपताका लेकर बजरंगी ब्रिगेड का हाहाकारी जिहाद के मुताबिक कायनात के लिए मुकम्मल कयामत का यह मंजर।
फिर भी मोदी को सर्टिफिकेट खूब मिल रहे हैं ।मसलनः
दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गुएन हाई ने मंगलवार को कहा कि 'मोदी के अर्थशास्त्र' (मोदीनोमिक्स) और कोरिया की '3.0 आर्थिक योजना' मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था के सुधार में अहम भूमिका निभा सकते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के एक ट्वीट के मुताबिक हाल ही में गठित भारत-दक्षिण कोरिया मुख्य कार्यकारी मंच की पहली बैठक को संबोधित करते हुए पार्क ने कहा 'वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए मोदीनोमिक्स और कोरिया की 3.0 आर्थिक योजना मिलकर केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं।' पार्क ने भारत और दक्षिण कोरिया के बीच विनिर्माण, सृजनात्मक अर्थव्यवस्था और नव ऊर्जा उद्योगों में सहयोग मजबूत करने का भी प्रस्ताव किया।
दक्षिण कोरिया विश्व के सबसे अमीर देशों में से एक है और मौजूदा बाजार मूल्य पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिहाज से विश्व अर्थव्यवस्था में वह 13वें स्थान पर है। क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) के लिहाज से भी वह 13वें स्थान पर है। मोदी के 'मेक इन इंडिया' और नए सुधारों जैसी आर्थिक नीतियों की वैश्विक नेताओं ने प्रशंसा की है। कोरियाई निवेशकों को आमंत्रित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में उनके लिए कारोबार सुगम बनाने के संबंध में ज्यादा अनुकूल परिस्थितियां तैयार करने के लिए व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने का वादा किया और कहा कि उनकी सरकार भारत को कारोबार के लिए बेहद सुगम स्थान बनाने के लिए पूरे जोरशोर के साथ काम कर रही है।
इस सर्टिफिकेट के बदले कोरियाई निवेशकों को आमंत्रित करते हुए मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में उनके लिए कारोबार को सुगम बनाने के लिए ज्यादा अनुकूल परिस्थितियां तैयार करने के लिए निजी रूप से ध्यान देने का वादा किया। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश को कारोबार के लिए बेहद सुगम स्थान बनाने के लिए पूरे जोश-खरोश के साथ काम कर रही है। सोल में मुख्य कार्यकारियों को ज्यादा स्थिर, भरोसेमंद और पारदर्शी कराधान प्रणाली का वायदा करते हुए उन्होंने अपनी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र किया, जिनमें उद्योग और बुनियादी ढांचे के लिए मंजूरी प्रक्रिया तेज करने और एफडीआई का उदारीकरण शामिल है।
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की। मून ने मोदी के वैश्विक नेतृत्व की भी प्रशंसा की। दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में एशियाई नेतृत्व सम्मेलन के मंच से अपनी टिप्पणी में बान की मून ने न केवल एशियाई बल्कि वैश्विक नेतृत्व के संदर्भ में मजबूत गठजोड़ और नेतृत्व के लिए मोदी का धन्यवाद किया।
वहीं दूसरी ओर मोदी ने हाल में गठित भारत-दक्षिण कोरिया के मुख्य कार्यकारियों के मंच की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं आपको भारत में बदलाव देखने के लिए आमंत्रित करता हूं। हम आपके लिए परिस्थितियां और अधिक अनुकूल बनाने में आपके साथ काम करने के लिए भी तैयार हैं।' भारत को संभावनाओं का देश करार देते हुए उन्होंने कहा, 'भारत अनुकूल नीतिगत माहौल का भी देश है। हम साथ मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं।'
प्रधानमंत्री ने इस बैठक में भाग ले रहे 21 मुख्य कार्यकारियों और अन्य उद्योगपतियों से कहा कि आवास समेत बुनियादी ढांचा ऐसे क्षेत्र हैं जहां दोनों देश बड़े पैमाने पर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जल, परिवहन, रेलवे, सामुद्रिक बंदरगाह, जहाज-निर्माण, बिजली (नवीकरणीय ऊर्जा समेत), सूचना प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचा और सेवा, इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण उद्योग जैसे क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं और ये सब भारत में बेहद आशाजनक क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि भारत विशेष तौर पर विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहता है ताकि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।
उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) महत्त्वपूर्ण है और यह वैश्विक स्तर के कारोबारी प्रतिस्पर्धी माहौल के बिना भारत नहीं आएगा। सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स, इस्पात निर्माण, रेलवे, जहाज निर्माण और आवास जैसे क्षेत्रों में कोरियाई कंपनियों को भागीदारी के लिए आमंत्रित करते हुए मोदी ने कहा, 'कोरियाई निवेशकों को मदद करने के लिए एक प्रतिबद्ध प्रणाली बनाई जा रही है।' उन्होंने कहा, 'इसे 'कोरिया प्लस' के तौर पर जाना जाएगा। इसके अलावा मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि कोई समस्या पैदा होने की स्थिति में मैं व्यक्तिगत रूप से ध्यान दूंगा।' उन्होंने कहा कि सरकार कराधान प्रणाली को ज्यादा स्थिर, भरोसेमंद और पारदर्शी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, 'हमने विदेशी निवेशकों को प्रभावित करने वाले कई कराधान मामलों को सुलझा लिया है। ये सब कारोबार और प्रौद्योगिकी एवं पूंजी लाने के लिए ज्यादा अनुकूल होगा।' चीन, मंगोलिया और दक्षिण कोरिया की छह दिवसीय यात्रा संपन्न कर प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को स्वदेश रवाना हो गए।
इस मजेदार बयान का भी जायजा लेंः
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी के पक्ष में कभी नहीं रही और हाल ही में जारी अधिसूचना में सरकार की मौजूदा नीति को ही प्रकाशित किया गया है। जेटली ने कहा, 'यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि डीआईपीपी (औद्योगिक नीति एवं संवद्र्धन विभाग) ने जो किया वह वर्तमान नीति को ही प्रकाशित करना है। संप्रग सरकार ने जो फैसला लिया था वह अब तक जारी है। भाजपा इस फैसले के पक्ष में कभी नहीं रही। यह बात सबको पता है।'
जेटली से डीआईपीपी द्वारा जारी अधिसूचना के बारे में पूछा गया था। विभाग की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में कहा गया है कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा, 'यदि कोई मुझसे पूछता है कि आपका क्या विचार है तो मेरा यही कहना होगा कि भाजपा इसके पक्ष में कभी नहीं रही।' उन्होंने कहा, 'सरकार के लिए भी कुछ छोड़ दीजिए।' डीआईपीपी ने 12 मई को जारी अपनी एकीकृत एफडीआई नीति पर जारी विज्ञप्ति में पिछली संप्रग सरकार के विदेशी कंपनियों के लिए 51 प्रतिशत स्वामित्व के साथ बहु-ब्रांड खुदरा दुकानें खोलने की मंजूरी को बरकरार रखा था।
हमारे यहां मानवता के विरुद्ध युद्धअपराधी सत्ता के शिखर पर हैं।तो
জাপার সাংসদের বিরুদ্ধে মানবতাবিরোধী অপরাধের মামলা
ময়মনসিংহ-৭ (ত্রিশাল) আসনে জাতীয় পার্টির (জাপা) সাংসদ এম. এ হান্নানসহ মোট তিনজনের বিরুদ্ধে মানবতাবিরোধী অপরাধের অভিযোগে মামলা করা হয়েছে। ময়মনসিংহের বিচারিক আদালতে আজ বুধবার দুপুরে রহিমা খাতুন নামে এক শহীদ মুক্তিযোদ্ধার স্ত্রী মামলাটি করেন। বিচারিক আদালতের...
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মানবতাবিরোধী অপরাধের আসামি আবদুর রাজ্জাক গ্রেপ্তার
মুক্তিযুদ্ধের সময় সংঘটিত মানবতাবিরোধী অপরাধের মামলায় অভিযুক্ত আবদুর রাজ্জাককে (৬৩) আজ মঙ্গলবার সকালে মৌলভীবাজার সদর উপজেলার আতানগিরি এলাকা থেকে গ্রেপ্তার করেছে হবিগঞ্জের বানিয়াচং পুলিশ। তাঁর বিরুদ্ধে গত রোববার...
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अमलेंदु का किया धरा फेसबुक पर पोस्ट करने लगा तो देखा कि हिंदू तालिबान शीर्षक आत्मकथा लिखने वाले भंवर मेघवंशी ने सुबह सुबह लिखा हैः
जीना है तो मरना सीखो
कदम कदम पर लड़ना सीखो
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दलितों,उठो ,जागों !
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डांगावास में हुये पूर्वनियोजित नरसंहार पर भी खामोश रहे तो कल हर दलित बस्ती डांगावास बन जायेगी,हर बस्ती में ट्रेक्टर चलेंगे ,हर दलित कुचला जायेगा.क्या यह बात बर्दाश्त की जा सकती है कि हमारी बहन,बेटियां और बहुएं हवस के भूखे भेड़ियों के हाथों पड़कर अमानवीय जुल्म का शिकार हो और बाद में उनके गुप्तांगों में लकड़ियां घुसेड़ने का निर्मम कृत्य किया जाये.इसी नागौर जिले में हाल ही में एक दलित परिवार को जिन्दा जला दिया गया,जिसमें एक निर्दोष महिला जल कर मर गई.एक अन्य महिला से रेप के बाद उसे जिन्दा ही दफन कर दिया गया.दलित दूल्हें को घोड़ी से नीचे पटका गया और एक को गर्म साईलेंसर से दागा गया.दुर्भाग्य से सभी घटनाओं के मुख्य आरोपी एक शूद्र पिछड़ी जाट कौम से आते है.उनके नेता ,बुद्धिजीवी और समझदार लोग जरा सोचें कि यह कैसा समाज बन रहा है आपका जिसमें दया ,करूणा और मानवता जैसे गुणों का अभाव होता जा रहा है.मुजफ्फरपुर के दंगे हो या हरियाणा की खांप पंचायतों के तुगलकी फरमान और अब राजस्थान के दलितों पर वे अमानवीय अत्याचार ढा रहे है.यही वक्त है जबकि दलितों को उठ खड़े होना है.हर जगह इसका विरोध करना है.हम इस मुद्दे को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा संयुक्त राष्ट्र की सर्ड कमिटी के समक्ष ले जायेंगे तथा उक्त मामले की वास्तविकता को उजागर करेंगे.
इसी के आलोक में गौरेतलब है कि
कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के बाद दुनिया की इस महान संस्था ने भी भविष्यवाणी की है कि एक साल के अंदर भारत आर्थिक मोर्चे पर चीन को पीछे छोड़ देगा। फोटो पर क्लिक करके जानें, किसने कही यह बात...
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18 मई को कुछ मजे के संजोग हो गये।पता चला कि मेरे साथ साथ अमलेंदु और मंगलेश दा को भी ढेरों बधाइयां मिल रही हैं कि हमारे जन्मदिन की तिथि एक है।हम लोगों में अटूट आत्मीय बंधन का रसायन भी शायद यही हों।
बाकी मित्रों,जिनका जनमदिन 18 मई है,उनकी सूची जानने को मन हो रहा है।बाकीर हम तीनों का किया धरा तो सामने है।
अमलेंदु इकलौता तोपची हैं हस्तक्षेप के फिलहाल।बाकी तोपचियों के लिए मचान बांधने के संसाधन हमारे पास नहीं है।
गाजियाबाद से दिल्ली आ जाकर कविता 16 मई के बाद आयोजन में शामिल होने की वजह से अपडेट नहीं हो पाया।
नवारुण दा के हरबर्ट पर मेरा लिखा साझा नहीं हो सका।तोअगले दिन भी उसे दिल्ली जाना पड़ा।कुछ ज्यादा अपडेट हो नहीं सका।
टुसु तैयार है,लेकिन दिल्ली में उसे टिकाने लायक संसाधन हमारे पास नहीं है और न दिल्ली के मित्रों को हम कुछ देने की स्थिति में हैं।दिल्ली के जो क्रांतिकार संगठन हैं,उनकी हमारे वैकल्पिक मीडिया में ऐसी कोई दिलचस्पी नहीं है कि वे हमारी मदद करें।बाक देश में भी हाल वहीं है।
इकलौता अमलेंदु आखिर कितने पापड़ बेल सकते हैं,रोज यही गिनना होता है।
Some wishes and some thanks
Happy Birthday for Hastakshep EditorAmalendu Upadhyaya
Wish him to continue the excellent work!
Wish to continue the smile with which he accomplishes the most urgent task of our mission Alternative Media.
Wishes him to get the most necessary support from all directions!
This time I have got Birthday wishes from my cousin Chandrashekhar.
I also got a wish from my childhood oldest friend Nityanand Tekka.Thanks to facebook.Though at home,Sabita Babu just forgot the date with her intensive engagement with her cultural team,I got the cake from Google Doodle and floods of Birthday wishes from friends worldwide.
I am not that important.
Those who consider me,I am very very grateful to all of them.
Thanks friends,I would try my best that you should not be ashamed of my friendship.
I am also grateful to all those friends who opt for abusive language in case of dissent.At least they consider me!
Please spare the ladies while someone misuse the feminine gender to lodge their protest in X language.
You may use slang directly with your own ID and name and I am not going to defriend you nor I am going to court against you.
I respect your dissent and your freedom of Expression.It is up to you what language you chose.
I am habitual to be abused.
हमारे गुरुजी जयनारायण विवाह विरुद्धे हैं।हर विवाहित को वे उत्पीड़ित मानते हैं और चूंकि हम नीलाभ को धारावाहिक छाप रहे हैं और नीलाभ इन दिनों पारिवारिक विवादों में उलझे हैं और मीडिया इस राष्ट्रीय मसला बनाये हुए है,गुरुजी को हम लोगों पर रोजाना हमला करने का मौका मिल रहा है।
मीडिया क्या चीज है मुक्तबाजार में,इस पर भी तनिको गौर करेंः
हमारे गुरुजी बहरहाल हमें भी उत्पीड़ित पति श्रेणी में साबित करने लगे हैं।मगर वे हमारी तरफ मुखातिब नहीं होते क्योंकि सविता बाबू की ख्याति यह बन गयी है कि रेडीमेड दुल्हन के साथ बिना पुरोहित वे किसी की भी शादी करा सकती है।हम लाख कहें कि गुरुजी,आप हमारे साथ रहकर देखें कि हम लोग कितने सुखी हैं,वे एकोबार हमारे यहां आने का जोकिम क्या उठायें,सियालदह के उत्तर में कहीं भी किसी मित्र के घर विजिट करने के लिए तैयार नहीं होते।
शादी व्याह के मौके पर वे कहीं नहीं जाते।
एकबार हमारे मित्र राजेंद्र गुप्ता की साली की शादी में जाकर वे बुरे फंसे कि उनकी एक टीनएजर ममेरी साली ने सबके सामने उनसे शादी करने की पेशकश कर दी और गुरुजी मैदान छोड़कर भाग गये।
नब्वे के दशक में हमारे सहकर्मी कृष्णा जो अब रिटायर हैं,उनकी एक विवाहित साली ने उनसे फोन पर कह दिया कि वे उनसे शादी करना चाहती हैं।तो एक दिन बीके पाल एवेन्यू में कृष्णा की मिसेज हमारी खूबसूरत भाभीजी ने आकर जयनारायण जी से कह दिया कि इनसे अब पट नहीं रही है।अब आपके साथ ही रहना है।
गुरुजी उठकर सीधे गंगाकिनारे गायब हो गये और जब तक भाभीजी विराजमान रहीं,दफ्तर नहीं लौटे।
19 मई की शाम उन्हीं गुरुजी ने नीलाभ के बहाने वामपंथियों पर पुरजोर हमला बोलते हुए दावा कर दिया कि सारे वामपंथी और सारे क्रांतिकारी दो चार शादी कर चुके हैं।
शैलेंद्र की सेवा नये सिरे से शुरु हो चुकी है और रिटायर होने से पहले बंगाल के वामपंथियों के बारे में मेरी टिप्पणी पर गुस्से में उनने कह भी दिया कि तुम ससुरे चिरकुट हो।तो हम शैलेंद्र को उकसाने के खातिर बोल दिये कि दावा कर रहे हैं तो कुछ उदाहरण भी दीजिये।
गुरुजी ने ट्रैक फौरन बदल दिया और कुलीन घरानों और उद्योगज जगत से वामपंथियों का तानाबाना बताने लगे।
हम उन्हें कोंचते रहे कि कुछ नाम तो बताओ जिनकी पौलिगेमी है।
शैलेंद्र जा चुके थे और गुरुजी ने गुगुल की शरण ली और वापंथियों की पोलिगेमी का जखीरा खोल बैठे।हम ज्योति बसु की दो शादियों का किस्सा जान रहे थे और कामरेड विनोद मिश्र के साथी कामरेड की पत्नी से तीसरे विवाह को भी देख चुके हैं।गुरुजी ने पूरी लिस्ट थमा दी जिसके मुताबिक कामरेड प्रकाश कारत की दो शादिया हैं,तो अच्युतानंदन की तीन और लालगढ़ में शहीद कामरेड किशनजी कोटा राव की चार।
फिर गुरुजी बोले ,जात पांत का मामला नहीं है।
झूठो कामरेडों को बदनाम किया जाता है।
दरअसल दो चार शादी जब तक न करें कोई तो वे वामपंथियों के नेता बन ही नहीं सकते।
अब ऐसे कामरेड से लेकर कामरेड महासचिव क्या खाक मुक्तिकामी जनता का नेतृत्व करेंगे या नवउदारवादी केसरिया कारपोरेट राज के विरोध में उन्हें लामबंद करेंगे जो वैवाहिक संबंधों के तानेबाने में उलझे हो और अपने बहुआयामी निजी जिंदगी के लिए जिन्हें इफरात पैसे चाहिए।
हम गुरुजी से बार बार निवेदन करते हैं कि अपने विचारों के मणि मुक्ता वे जनगण को भी बांटें और इस दिन भी निवेदन किया कि हे पार्थ,उंगलियों को हरकत में लाओं और चूको नहीं वरना आपके सारे सिलिंडर यूं ही खाली हो जायेंगे।अपने सिलिंडर को यूं बेकार खाली न होने दें।सही मौके,सही निशाने के लिए कुछ सिलिंडर बचाकर भी रखें।उम्मीद करेंगे कि गुरुजी अपनी दलीलों का खुलासा खुद करेंगे कभी न कभी।
May 20 2015 : The Economic Times (Mumbai)
Monsoon of Unlisted PSU Offers to Hit India Soon
Dheeraj Tiwari & Deepshikha Sikarwar
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New Delhi
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Rs 25,000 crore may be raised by selling shares of 25 state-owned cos
The government has drawn up a list of 25 state-owned companies that could sell shares to the public for the first time, possibly raising more than a third of India's record divestment target for the fiscal year.
They include profit-making arms of Coal India and ONGC that could help the government get around . 25,000 crore in total. Such a move ` could fire up the primary market besides giving government finances a big boost. The department of disinvestment has written to the administrative ministries about the plan, a senior official told ET.
“The idea is to create a pipeline for the next two-three years,“ the official said. This needs to be done as the government is close to the 51% stake level in several listed stateowned companies, the person said.“So, the ideal situation is that we have approvals for stake sale in these firms and we can proceed depending on market conditions.“ The unlisted firms may include ONGC Videsh, Southern Coalfields, Bharat Broadband, KIOCL and Mazagon Dock.
“While we can fast track stake sales in already listed firms through the offer for sale (OFS) mechanism, it is essential that all profitable CPSEs (central public sector enterprises) realise their true valuation through listing and further unlock their potential,“ the official said.
As per the Public Enterprise Survey 2013-14, India has 234 CPSEs, of which 46 are listed.
Some of the profitable ones, including subsidiaries, are South Eastern Coalfields, ONGC Videsh, Bharat Bhari Udyog Nigam, Antrix Corp. and various railway units.
In the case of subsidiaries, the amount raised by the listing will flow into the parent company, which in turn can offer better dividends to the government and increase capital expenditure.
The government recently identified eight hotels run by Indian Tourism Development Corp.for divestment as part of plans for strategic sales in state-owned entities and companies.
Last week, the cabinet committee on economic affairs (CCEA) approved a 10% stake sale in the country's biggest refiner and fuel retailer Indian Oil Corp. and 5% in power producer NTPC. At current valuations, the government is expected to generate about ` . 14,000 crore from proposed sales. “We have approvals for stake sales in a list of firms from which we may raise up to ` . 50,000 crore,“ the finance ministry official said. This fiscal, the government has so far raised Rs 1,600 crore from a 5% stake sale in Rural Electrification Corp.
Of the ` . 69,500-crore disinvestment target for this financial year, the government proposes to raise `. 41,000 crore from stake sales in state-owned companies and the remainder through strategic disinvestments, including the sale of residual holdings in Hindustan Zinc and Balco.
May 20 2015 : The Economic Times (Mumbai)
IT'S WAR - Big Retailers Spar with Online Cousins
Rasul Bailay
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New Delhi:
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COURT CLASH Brick-and-mortar players file case against the Centre for failing to provide level playing field on FDI vis-à-vis e-tailers
Threatened by the rapid growth of online shopping, the country's top brickand-mortar retailers have dragged the central government to court, demanding level playing field in FDI norms visà-vis ecommerce players.
Retailers Association of India, which represents top retailers such as Future Group, Shoppers Stop and Reliance Retail, moved the Delhi High Court against the Union government on Monday. “We are demanding parity,“ said lawyer Abhishek Manu Singhvi, who represents the country's largest lobby of organised retailers.
The court is expected to hear the case on Wednesday. Top ecommerce players such as Flipkart, Snapdeal and Amazon.in have made major inroads into the country's retailing business by offering unprecedented discounts, which impacted sales of brick-and-mortar retailers.
While India bars foreign direct investment (FDI) in ecommerce companies selling products directly to consumers, it allows foreign companies to operate the so-called ecommerce marketplace that lends its platforms for other companies to sell their products.
“On paper, ecommerce can't have foreign direct investment.However, a whole lot of marketplaces are effectively retailing,“ said Kumar Rajagopalan, chief executive at Retailers Association of India (RAI). “It is a convenient method of saying they are marketplaces, but they can get as much FDI they want.So there is no level playing field in India,“ he said. Homegrown players such as Flipkart and Snapdeal have attracted billions of dollars in funding by operating such marketplaces while US-based Amazon.com has set up a fully-owned subsidiary here and has pledged to invest $2 billion in India.
J Suresh, chief executive of Arvind Lifestyle Brands that operates a host of global brands including Gap, US Polo and Calvin Klein, said, “We are not opposing FDI in ecommerce. We just want a level playing field for both and want equal policies for both the offline and online channels.“
Analysts, however, feel that even if India were to create similar policies for both offline and online retailers, physical store operators are unlikely to attract the kind of investor response as ecommerce.
“If you ask me, it (investments in physical stores) cannot be such numbers that we saw in ecommerce. Numbers will be very different for brick and mortar as we don't see them getting millions and billions of dollars,“ said Harminder Sahni, founder of retail consultancy Wazir Advisors.
Even though India opened the retail business for global supermarkets in 2012 by allowing them to own up to 51% in local ventures, the showpiece liberalisation policy has been a damp squib due to a number of riders including clearance from state governments, mandatory 30% sourcing from small local vendors and upfront investment of at least $100 million, half of which has to be in back-end infrastructure. “Because of these conditions retailers have not been able to get any funds per se as there are so many clauses. So nobody wants to come and invest here,“ said Rajagopalan.
Only Tesco Plc of the UK has so far entered the country through a joint venture with Tata Group's Trent Hypermarket.
Ecommerce majors Flipkart and Snapdeal declined comment on RAI's decision to move court.Jabong did not respond to calls.
Flush with investor money, ecommerce companies have been burning millions of dollars in discounting products and large-scale advertising to lure Indian consumers.
Physical retailers, which pay hefty rentals and have other establishment costs, say it's extremely difficult for them to compete with online retailers.
This is the second tough tactic adopted by India's brick-andmortar retailers against the government in the past six days.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का आर्थिक विकास चीन को पीछे छोड़ देगा और 2016 में इस देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.7 प्रतिशत रहने की संभावना है. इसमें कहा गया कि भारत दक्षिण एशिया के आर्थिक विकास को तेज करने में मदद करेगा.
यह पूर्वानुमान मंगलवार को जारी संरा विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाओं के अर्धवाषिर्क अद्यतन रिपोर्ट में प्रकट किया गया है. इसमें कहा गया कि भारत की अर्थव्यवस्था इस वर्ष 7.6 प्रतिशत की दर से विकास करने की संभावना है. यह दर 2016 में 7.7 प्रतिशत रह सकती है और भारत इस मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा.
चीन की विकास दर 2015 में सात प्रतिशत और उसके अगले वर्ष 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
रिपोर्ट में दक्षिण एशिया के आर्थिक परिदृश्य को बहुत हद तक अनुकूल करार दिया गया है. इसके अनुसार अधिकतर अर्थव्यवस्थाएं का विकास 2015.916 में मजबूत होने की संभावना है. यह विकास मजबूत घरेलू उपभोग एवं निवेश तथा निर्यात में वृद्धि के कारण होगा.
बहरहाल यह विदेशी पूंजी निवेश आम जनता के लिए जो नहीं है ,सो नहीं है।पूंजी बाजार में भी इसका फायदा महज पांच फीसद बहुत बड़ी एकाधिकारवादी कंपनियों को होता है।
मुलाहिजा फरमायेंःविदेशी निवेशक जब भारतीय शेयर बाजारों पर सबसे ज्यादा मेहरबान रहे तो ज्यादातर फायदा उन्हीं कंपनियों को हुआ, जिनकी हैसियत बाजार में बहुत ज्यादा है। पिछले पांच वर्षों में विदेशी निवेशकों की जेब से देसी शेयर बाजार में आए प्रति 4 डॉलर में से 3 डॉलर उन कंपनियों में गए, जिनकी संख्या बहुत कम है, लेकिन बाजार पूंजीकरण में जिनकी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है। इन कंपनियों की संख्या महज 4 फीसदी है यानी बाकी 96 फीसदी सूचीबद्घ कंपनियों को बचा-खुचा विदेशी निवेश ही मयस्सर हो पाया।बिजनेस स्टैंडर्ड की यह रपटहै।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 5665 कंपनियां सूचीबद्घ हैं। पिछले पांच साल में हुए कुल विदेशी निवेश का लगभग 77 फीसदी हिस्सा इनमें से केवल 3.53 फीसदी यानी बीएसई 200 कंपनियों को मिला है। यह बात मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज की मई 2015 'फ्लोमीटर: इंडिया होल्डिंग्स ऐंड फ्लोज' रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा विदेशी निवेश गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, यूटिलिटीज और तकनीकी क्षेत्र की कंपनियों को मिला है। विश्लेषक संजीव प्रसाद, सुनीता बलदवा और अखिलेश तिलोतिया 14 मई को जारी कोटक सिक्योरिटीज स्ट्रैटेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि रकम बहुत कम कंपनियों के पास इक_ïी हो सकती है और 40 कंपनियों के हिस्से में लगभग 74 फीसदी शेयर पोर्टफोलियो है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रमुख (खुदरा शोध) दीपक जसानी कहते हैं, 'छोटी कंपनियों को आंतरिक स्रोतों और देसी निवेशकों के निवेश की मदद से ही अपनी विस्तार योजनाओं को आगे बढ़ाना होगा। विदेशी निवेश आकर्षित करने की बात है तो बड़ी कंपनियों को इसमें फायदा होता है और ऐसा केवल भारत में नहीं है बल्कि कमोबेश सभी बाजारों में है।' अध्ययनों में सामने आया है कि विकासशील देशों में इक्विटी पूंजी कारोबारी विकास को आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित होती है। कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन में पता चला कि विकसित देशों में ज्यादातर कंपनियां विदेशी रकम पर निर्भर करती हैं। नमूने के तौर पर लिए गए 10 देशों में से कोरिया, थाईलैंड, मैक्सिको, तुर्की, मलेशिया में कंपनियों की कुल संपत्तियों की वृद्घि में इनकी 70 फीसदी हिस्सेदारी थी। ब्राजील और भारत में यह आंकड़ा 50 फीसदी से अधिक रहा।
इडलवाइज सिक्योरिटीज के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी विकास खेमानी कहते हैं, 'मामला नकदी से जुड़ा है। ज्यादातर विदेशी निवेशक 1,000 करोड़ रुपये से कम बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों में रकम लगाते ही नहीं हैं।' बीएसई के कुल बाजार पूंजीकरण में बीएसई 200 कंपनियों की हिस्सेदारी 82.94 फीसदी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार कुल कारोबार में उनकी हिस्सेदारी 60 फीसदी है। छोटी कंपनियों के पास कम नकदी होने के कारण विदेशी निवेशकों के लिए इन कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदना या बेचना महंगा पड़ता है। डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्ष में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने देसी शेयर बाजारों में 4.84 लाख करोड़ रुपये लगाए हैं।
Jayantibhai Manani shared his post.
ब्रिटिश शासन में ब्राह्मण जातिवाद के सम्बन्ध में जाने माने समाजशास्त्री रजनी कोठारी ने अपनी पुस्तक “भारतीय राजनीति में जातिवाद” में लिखा है कि, -
“क्योकि ब्राह्मण शिक्षा परिसरों, व्यवसायों में प्रविष्ठ हो चुके थे इसीलिए सभी स्थानों पर उन्होंने अपने गिरोह बना लिए थे. इनसे गेर-ब्राह्मणों को बाहर रखा गया. 1892 से 1904 के बीच भारतीय सिविल सेवाओ में सफलता पानेवाले 16 प्रतियाशियो में 15 ब्राह्मण थे. 1914 में 128 जिलाधिकारियों में से 93 ब्राह्मण थे.”
बात कडवी है लेकिन प्रत्येक भारतीय नागरिक को चिंतन करने और शेयर के लायक है. दुसरे प्राणियों की तरह ही इश्वर या कुदरत ने सिर्फ इन्शान या मानव बनाया है. गॉड, इश्वर, अल्लाह या भगवन ने न ब्राह्मण, न क्षत्रिय, न वैश्य, न शुद्र, न कुर्मी, न भंगी बनाया है. अगर कुदरत ने ब्राह्मण या भंगी बनाया होता तो कुदरत ने बनाये कुत्ते में ब्राह्मण कुत्ता, क्षत्रिय कुत्ता, वैश्य कुत्ता, शुद्र कुत्ता या भंगी कुत्ता क्यों नहीं है ?
बेंगलोर से 90 किलोमीटर दूर वैदिक सिटी बन रहा है, जहा सिर्फ ब्राह्मण की ही बुकिंग हो रही है. 13-11-'13 को NN-न्यूज नेशन चेनल पर शाम 4.30 से 5.00 और NDTV के प्र...
Geetanjali Ganar
3 hrs ·
SC, ST और OBC
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अगर हिम्मत है तो पूरा पड़ के देखो। कि क्या आप जानते है कि
-
इसी देश मे सन् 1932 तक आपको
ही (जो भारत देश का मूल निवासी है )
मतदान करने का अधिकार नही था !
दोस्तों मतदान करने का अधिकार सिर्फ
देश के नागरीक को होता है !
अर्थात
अपन इस देश के मूल निवासी होकर भी अपने ही इस भारत देश के नागरीक नही थे !
सन १९१८ से लेकर १९३२ तक
बाबासाहेब के १३ साल के अथक
परीश्रम से भारतीय मूलनिवासी SC/ST और OBC समाज को सामाजिक
और राजनितिक और मतदान करने का अधिकार प्राप्त हुआ !
गौरतलब हो की अन्य समुदाय , जैसे
की मुस्लिम - सिख- क्रिश्चन इनको
१९०६ मे ही मतदान अधिकार ,
सामाजिक और राजनितिक अधिकार मिला था !
भारत देश मे ब्राम्हण- मुस्लिम - क्रिश्चन इनको अधिकार था मतदान करने का , पर इसी देश के एस सी-एस टी - ओबीसी
(जो भारत देश का मूल निवासी है ) उसे ही मतदान करने का अधिकार नही था ! लगातार १३ साल मनुवादी ताकतो से , ब्रिटिशो से , गाँधी से , काँग्रेस से ,
लड़ झगड़कर बहुत संघर्ष करके
बाबासाहेब जी ने हमे , इस देश के मुल
निवासीयो को , अंतत: १९३२ मे
'भारतीय नागरीकता ' का , Indian
Citizen का गौरव प्राप्त करके
दिया !!
अपने ही देश के जल- संसाधन ,
हवा , जमीन , जंगल पर हमारा अधिकार नही था ! हमे शिक्षा का अधिकार नही था ! एक भारतीय नागरीक होने से हमे यह सब संविधानिक अधिकार मिले है !
SC ,ST ,OBC भाईयो ,
आज छाती फुला के , सर ऊँचा करके , तुम जो कहते हो " हम सब भारतीय है , इस देश के निवासी है " , यह कहने की
ताकत , यह अधिकार , सिर्फ और
सिर्फ बाबासाहेब और उनके लिखित
संविधान की वजह से आपको मिला है।
अतः कोटी कोटी प्रणाम महामानव बाबासाहेब जी को **
गाँधी , पूना पैक्ट समझौते मे हमसे हमारा यह सामाजिक अधिकार भी छीनना चाहता था , जो की
बाबासाहेब जी ने होने नही दिया ! " मूल निवासी sc st obc की Indian
Citizenship की पहचान, अधिकार ",
बाबासाहेब जी के अनेक उपलब्धियो मे
से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है , जिसे
अब भुनाना - गिनाना- प्रसार प्रचारीत
करना होगा ! जय भीम जय मूलनिवासी
मित्रो इस सचाई को देश के मूलनिवासी
समाज के प्रत्येक सदस्य तक पहुचना हमारी जिम्मेदारी हे। मेने अपना दायित्व निभाया अब आप भी इसे आगे बढ़ाये। और खासकर अपने OBC मित्रो के साथ जरूर शेयर करे।
उर्दू की हजारों कीमती किताबों को किसने गंगा नदी में फेंक दिया?
पढ़ें पूरी खबर...
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The government plans large projects in the power sector and will offer equal opportunities to all, ending "cosy" relationships and largesse from the government, which a section of the business community enjoyed in the past, Power, Coal and Renewable Energy Minister Piyush Goyal said.http://ow.ly/N4aj1
सरकारी योजनाएं, निजी बैंकों ने मुंह फेरा
प्रकाशित Tue, मई 19, 2015 पर 13:21 | स्रोत : CNBC-Awaaz
सरकारी बैंक समाज सेवा की कीमत चुका रहे हैं। जनधन की योजना हो या सरकार की नई बीमा योजना, हर मोर्चे पर सरकारी बैंक आगे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो निजी बैंक इन योजनाओं में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
किसने कितने खाते खोले
सरकारी बैंकों ने जहां 10 करोड़ खाते खोले और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने 2 करोड़ खाते खोले हैं। वहीं निजी बैंकों ने 50 लाख खाते ही खोले हैं।
जन धन खाते में यूनियन बैंक ने 32 लाख खाते खोले और एक्सिस बैंक ने 4.4 लाख खाते खोले हैं। आंध्र बैंक ने 17 लाख खाते खोले हैं और यस बैंक ने 9000 खाते खोले हैं।
बीमा पॉलिसी के मामले में यूनियन बैंक ने 13.5 लाख बीमा पॉलिसी दी हैं वहीं एक्सिस बैंक ने केवल 33,000 बीमा पॉलिसी दी हैं। वहीं आंध्र बैंक ने 16 लाख पॉलिसी दी हैं और यस बैंक ने कोई पॉलिसी नहीं दी है।
मार्केट कैप
एक्सिस बैंक का मार्केट कैप 1.3 लाख करोड़ रुपये है और यूनियन बैंक का 10 हजार करोड़ रुपये का मार्केट कैप है। वहीं यस बैंक का 36 हजार करोड़ रुपये का मार्केट कैप है और आंध्र बैंक का मार्केट कैप 5 हजार करोड़ रुपये है।
May 20 2015 : The Times of India (Ahmedabad)
TOI EXCLUSIVE: THE AMIT SHAH INTERVIEW - No land will be acquired to favour corporates: Shah
Diwakar
|
New Delhi:
TNN
|
`Errant Hindutva Hotheads Will Be Dealt With'
“Not one inch of land acquired under the proposed new law will be used to favour any company ,“ BJP president Amit Shah told TOI in an exclusive interview on the eve of the first anniversary of the Modi government.
On an issue which the Opposition has picked up to dub the Modi government as being “pro-rich“ and “pro-coroprates“, Shah strenuously stressed that the “land bill is purely aimed at ensuring that development reaches villages.Roads, railways and defence production units will be set up. Land will be acquired only for projects which will create jobs. This is a win-win bill and a friend of the farmers.“ Shah said there has been not a single case of corruption dur ing the first year of the NDA gov ernment, demonstrating the success of Prime Minister Na rendra Modi's leadership. Shah contrasted Modi government's “clean slate“ with the scams under UPA. To prove his point, he compared UPA 's “arbitrary allocation of natural resources to select corporates“ to the “transparent mechanisms“ followed by the Modi government.
On the provocative acts of Hindutva hotheads, he agreed that such statements were unnecessary and errant MPs have to be dealt with. He, however, emphasized that a government needs to be judged on the basis of its actions and the pronouncements of its leader.
Asked about the Opposition's success in blocking the land acquisition and GST bills, Shah said the BJP did not want to use investigative agencies to muster support in Parliament.“I know the way CBI was used during the Congress regime to manufacture a majority in Rajya Sabha... but we will not do that ever. Our approach towards the Opposition is symbolized by our bold push for fiscal federalism which will benefit all the state governments irrespective of who is in power.“ The BJP chief rebutted former cabinet minister Arun Shourie's criticism of a “troika“ of the PM, Arun Jaitley and himself having concentrated all the powers. He said while the PMO's authority has been restored under Modi, ministers have the freedom to act on their own.
The BJP chief did not agree with the view that post its stunning victory in LS polls, the party has not been effective in putting across its message to people. “The party that received 17 crore votes, the party that managed to enlist 10 crore members, I believe that we have been able to send our message to the people and convince them.“ he said.
Speaking on the government's efforts to reduce cor ruption, Shah said, “In the past 10 years, there have been 73 scams and Rs 12 lakh crore have been siphoned off. But in the past one year, not even the Opposition has been able to level any charges of corruption. I treat this as a very important achievement of the government.“
He said the Modi government is implementing decisions in the spirit of `Team India'.
“I want to say that there was a time when a government was run for 10 years when every person was a PM of his department and the PM was not even recognized as PM,“ the BJP chief said. “The PMO's stature has been restored and the ministers are working independently and taking decisions and there is an acceleration in decision-making,“ he said.
विनिवेश से मिलेंगे 50 हजार करोड़ रु.
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अरूप रॉय चौधरी / नई दिल्ली May 19, 2015
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वित्त मंत्रालय के विनिवेश विभाग ने चालू वित्त वर्ष व अगले दो वित्त वर्षों के दौरान व्यापक स्तर पर सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश करने की योजना बनाई है। मामले की जानकारी रखने वाले वरिष्ठï अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) करीब 20 कंपनियों में मौजूदा शेयर कीमत पर विनिवेश की अनुमति दे चुकी है, इससे सरकार को 50,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। विनिवेश की इस योजना को बाजार की स्थिति के अनुसार कई चरणों में लागू किया जाएगा। लेकिन इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि विनिवेश से 41,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार बड़े विनिवेश इसी वित्त वर्ष में करे।
सरकार ने जिन कंपनियों में विनिवेश की योजना बनाई है उनमें ओएनजीसी भी है। ओएनजीसी में 5 फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश से मौजूदा शेयर कीमत पर राजकोष को 13,607 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। डे्रजिंग कॉर्प ऑफ इंडिया में 5 फीसदी विनिवेश से 53.2 करोड़ रुपये मिलेंगे। विनिवेश पर सहमति जताने वाली कंपनियों में पावर फाइनैंस कॉर्प, एनएमडीसी लिमिटेड, एनटीपीसी लिमिटेड, नालको, बीएचईएल, एमएमटीसी लिमिटेड, नैशनल फर्टिलाइजर्स, राष्टï्रीय केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स, इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान कॉपर, स्टेट टे्रडिंग कॉर्प, भारतीय पर्यटन विकास निगम, इंजीनियर्स इंडिया, एमओआईएल, एसजेवीएन लिमिटेड और मंगलूर रिफाइनरी पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड शामिल हैं।
दिलचस्प है कि रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्प भी इस विनिवेश योजना का हिस्सा है। चालू वित्त वर्ष में विनिवेश की शुरुआत इसमें 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के साथ हुई थी। सरकार के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, 'विनिवेश विभाग ने विनिवेश से करीब 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना तैयार कर ली है और इसे कैबिनेट की हरी झंडी भी मिल गई है। अब विभाग सिर्फ शेयर बाजार की स्थिति सुधरने का इंतजार कर रहा है। जैसे ही बाजार सुधरेगा वैसे ही विनिवेश प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। हालांकि सभी कंपनियों में विनिवेश इस वित्त वर्ष मुमकिन नहीं है। लेकिन विनिवेश के बड़े लक्ष्य को देखते हुए तो यही लगता है कि ज्यादातर कंपनियों में विनिवेश हो जाएगा। लेकिन बाकी का विनिवेश अगले दो वित्त वर्ष के दौरान होगा।' अधिकारियों का कहना है कि इस विनिवेश योजना को सीसीईए की कई बैठकों में अनुमति मिली है, लेकिन महज कुछ कंपनियों के नाम ही सार्वजनिक किए गए हैं।
विनिवेश योजना से शेयर पर बना रहेगा दबाव
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उज्ज्वल जौहरी / November 17, 2013
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कोल इंडिया का सितंबर 2013 की तिमाही का प्रदर्शन धीमी प्राप्तियों की वजह से बाजार अनुमान की तुलना में खराब रहा है। अधिक खर्च की वजह से कंपनी का मुनाफा प्रभावित हुआ। सितंबर तिमाही के प्रदर्शन से निराशा हाथ लगने और सरकार द्वारा कंपनी में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए अगले सप्ताह से तीन देशों में रोड शो शुरू किए जाने की खबरों से इस शेयर पर दबाव पड़ा और यह दिन के कारोबार में 271.50 रुपये के निचले स्तर पर आ गया और आखिर में लगभग 4 फीसदी की गिरावट के साथ 274.10 रुपये पर बंद हुआ जबकि उस दिन सेंसेक्स में एक फीसदी की तेजी दर्ज की गई। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि प्राप्तियों और उत्पादन में दूसरी छमाही में सुधार आएगा और उचित मूल्यांकन को देखते हुए वे इस शेयर पर सकारात्मक बने हुए हैं।
प्राप्तियों पर दबाव
कंपनी ने ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) के तहत आपूर्ति किए जाने वाले कोयले के लिए मई में 5-6 फीसदी की कीमत वृद्घि की थी। इसके अलावा कंपनी की कोयला ढुलाई समीक्षाधीन तिमाही के दौरान 10.9 करोड़ टन रही जो सालाना आधार पर 7.3 फीसदी अधिक है। इसे देखते हुए बाजार को बेहतर राजस्व और मुनाफा वृद्घि की उम्मीद थी। लेकिन कम प्राप्तियों की वजह से 15,412 करोड़ रुपये (जो सालाना आधार पर 5.8 फीसदी तक अधिक थी) पर बिक्री 15,897 करोड़ रुपये के अनुमान की तुलना में 3.1 फीसदी कम रही।
धीमी प्राप्तियों और अधिक खर्च (कर्मचारी लागत 6.7 फीसदी बढ़ कर 69,740 करोड़ रुपये पर रही जबकि इस्तेमाल होने वाली सामग्री की लागत 33.4 फीसदी बढ़ कर 16,740 करोड़ रुपये पर पहुंच गई) की वजह से एबिटा सालाना आधार पर 2.4 फीसदी घट कर और तिमाही आधार पर 21.5 फीसदी घट कर 27,940 करोड़ रुपये रह गया। लेकिन फिर भी यह 32,694 करोड़ रुपये के विश्लेषकों के अनुमान की तुलना में काफी कम था। इसी वजह से शुद्घ लाभ भी 3,052.4 करोड़ रुपये पर रहा जो पिछले साल की तुलना में लगभग सपाट है, लेकिन विश्लेषकों के 3,418 करोड़ रुपये के अनुमान की तुलना में 10.7 फीसदी कम है।
प्राप्तियों में नरमी के प्रमुख कारणों में एफएसए प्राप्तियों में कमी आना भी प्रमुख रूप से शामिल है। एफएसए प्राप्तियां तिमाही आधार पर 2.6 फीसदी और सालाना आधार पर 1.4 फीसदी घट कर 1,262 रुपये प्रति टन पर रहीं।
नोमुरा के विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि सितंबर तिमाही में आपूर्ति से जुड़ा 1.15 करोड़ टन कोयला एक साल से भी अधिक पुराना था जिससे लोअर ग्रेड की प्राप्तियों को बढ़ावा मिला। इसके अलावा एफएसए प्रतिबद्घताओं के लिहाज से विद्युत परियोजनाओं के लिए कोयले की आपूर्ति काफी अधिक रही जबकि गैर-विद्युत ग्राहकों (खासकर सीमेंट, स्पंज आयरन परियोजनाएं) के लिए आपूर्ति धीमी रही।
नजरिया
कोल इंडिया का उत्पादन वित्त वर्ष 2014 के पहले 6 महीनों में सालाना आधार पर 4.7 फीसदी बढ़ कर 20.047 करोड़ टन रहा जो उसके 20.663 करोड़ टन के लक्ष्य का लगभग 97 फीसदी है। वहीं उठाव यानी कोयले की ढुलाई 22.436 करोड़ टन पर रही जबकि लक्ष्य 22.723 करोड़ टन का था। कंपनी ने वित्त वर्ष 2014 में 48.2 करोड़ टन के उत्पादन और 49.2 करोड़ टन के उठाव का लक्ष्य रखा जो हासिल होने योग्य दिख रहा है। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों को उत्पादन और उठाव 48.17 करोड़ टन और 49.17 करोड़ टन रहने का अनुमान है। भविष्य के लिए हालांकि परिदृश्य में सुधार आने की उम्मीद दिख रही है, लेकिन कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर गतिरोध से शेयर पर अल्पावधि में दबाव बना रह सकता है।
मोदी सरकार का 1 सालः कैसा रहा प्रदर्शन
प्रकाशित Tue, मई 19, 2015 पर 19:00 | स्रोत : CNBC-Awaaz
पहले साल में मोदी सरकार के परफॉर्मेंस की बात करें तो बहुत मिलीजुली राय सामने आती है। ज्यादातर लोग मानते हैं कि माहौल सुधरा है, काम हो रहे हैं लेकिन खुलकर कोई फुल मार्क्स नहीं देता है। जो दरियादिली दिखाते हैं वो कहते हैं चूंकि सरकार से उम्मीदें बहुत ज्यादा थीं इसलिए साल भर के बाद वो थोड़े मायूस हैं। अलग अलग सर्वे देखें तो मोदी जी की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। तो कैसे समझें इस सरकार के एक साल को। ये बताने के लिए देश के जानेमाने एडिटर, पॉलिटिकल कमेंटेटर का एक बड़ा पैनल हमारे साथ हैं- राजनीतिक विश्लेषक आकार पटेल,राजनीतिक विश्लेषक टीसीए श्रीनिवास राघवन, थॉमसन रॉयटर्स के साउथ एशिया ब्यूरो चीफ परितोष बंसल,राजनीतिक विश्लेषक रामकृपाल सिंह और टीवी 18 की एक्जिक्यूटिव एडिटर मेनका दोशी।
मोदी सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा इस पर कराए एक सर्वे में 19 फीसदी लोगों के मुताबिक सरकार का 1 साल का काम बहुत अच्छा रहा जबकि 47 फीसदी लोगों का मानना था कि सरकार का काम अच्छा रहा है। मोदी सरकार के काम को ना अच्छा, ना खराब मानने वालों की संख्या 25 फीसदी है। 6 फीसदी लोग मानते हैं कि मोदी सरकार ने थोड़ा खराब प्रदर्शन किया है जबकि 1 साल के कामकाज को बहुत खराब बताने वाले लोगों की संख्या 3 फीसदी रही है।
मोदी सरकार का सबसे लोकप्रिय कदम कौन सा है इस सवाल के जवाब में 48 फीसदी लोगों का मानना था कि स्वच्छ भारत योजना सबसे अच्छी रही है। जनधन योजना को 15 फीसदी और मेक इन इंडिया को 15 फीसदी लोगों ने सबसे लोकप्रिय कदम माना। सरकार से बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं इस सवाल के जवाब में 57 फीसदी लोगों ने हां कहा जबकि 35 फीसदी लोगों ने इंकार किया। हालांकि 8 फीसदी लोगों ने कोई टिप्पणी नहीं की।
मोदी सरकार के 1 साल के बड़े फैसले कौन कौन से रहें इस पर नजर डालें तो कोयला और स्पेक्ट्रम की नीलामी सबसे बड़े काम नजर आते हैं। बीमा, रक्षा, रेलवे में एफडीआई सीमा बढ़ाना, डीजल का डीरेगुलेशन, प्रोजेक्ट्स की मंजूरी के नियम आसान करना, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, जनधन योजना, स्किल इंडिया जैसी मुहिम को चलाना, नई कंपनियां खोलने के लिए 8 के बजाए एक फॉर्म, 3,000 करोड़ रुपये तक के एफडीआई प्रस्ताव एफआईपीबी से ही मंजूर कराना जैसे कई अहम काम मोदी सरकार ने किए हैं।
कुछ मामलों में सरकार अभी भी फंसी दिखाई दे रही है जैसे भूमि अधिग्रहण जैसे अहम बिल अटके हुए हैं और मैट पर एफआईआई को नोटिस से स्थिर टैक्स पॉलिसी पर सवाल उठ रहे हैं। प्रोजेक्ट्स तो मंजूर हो रहे हैं, लेकिन निवेश नहीं आ रहा है। जमीनी तौर पर हालात बदलते नहीं दिख रहे हैं और श्रम सुधारों की दिशा में अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सरकारी घाटे वाली कंपनियों मसलन बीएसएनएल, एमटीएनएल, एयर इंडिया के सुधार पर कदम नहीं लिए जा सके हैं।
2014-15 में जीडीपी ग्रोथ 7.4 फीसदी हो गई है जबकि 2013-14 में जीडीपी ग्रोथ 6.9 फीसदी रही थी। वहीं साल 2012-13 में जीडीपी ग्रोथ की दर 5.1 फीसदी रही थी। वहीं वित्तीय घाटे का हाल देखें तो 2014-15 में वित्तीय घाटा सरकार के लक्ष्य से बेहतर रहा है। इस दौरान वित्तीय घाटा 4.1 फीसदी के लक्ष्य के मुकाबले 4 फीसदी पर आ गया है।
मोदी सरकार के 1 साल के कामकाज में रिटेल महंगाई और थोक महंगाई दर नीचे आई है। वहीं बाजार की बात की जाए तो सेंसेक्स का हाल पहले के मुकाबले काफी अच्छा है। हालांकि आईआईपी ग्रोथ में गिरावट आई है जो चिंता की बात है। मोदी सरकार के 1 साल के कामकाज के दौरान सेंसेक्स 22,489 से 27,645 तक आ गया है यानी एक साल में बाजार में 23 फीसदी का रिटर्न मिला है।
हालांकि मोदी सरकार पर आरोप भी लग रहे हैं कि सरकार काम से ज्यादा नारों पर भरोसा कर रही है। मोदी सरकार विपक्ष को साथ लेकर नहीं चल रही है और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। वहीं सरकार में कुछ नेताओं के विवादस्पद बयानों से सामाजिक माहौल बिगड़ा है।
May 20 2015 : The Economic Times (Mumbai)
UNLOCKING VALUE OF YELLOW METAL - Tax Bonanza for Monetising Gold Likely
Scheme may be exempted from capital gains, wealth and income tax
The finance ministry issued a draft gold monetisation scheme on Tuesday aimed at unlocking the value of the yellow metal held by Indians. It seeks to encourage participation by holding out the prospect of tax-free earnings, with deposits starting as low as 30 gm.
The ministry is looking at household and institutional holdings of gold that can be used to help the country cut its dependence on imports of the metal that are a frequent source of worry. Apart from individuals, organisations such as temple trusts, jewellers and banks could also benefit from the scheme.
The government is likely to exempt the scheme from wealth tax, capital gains tax and income tax. It will be finalised after public responses to the programme are received.
The country's household gold holdings are estimated at 20,000 tonnes and the scheme aims to bring this into circulation, lowering the dependence on imports of 800-1,000 of 800-1,000 tonnes every year.
The scheme is in line with Finance Minister Arun Jaitley's promise in his promise in his February Budget speech. “The new scheme will allow the depositors of gold to earn interest in their metal accounts and the jewellers to obtain loans in their metal account,“ he had said.
According to the draft, deposits can be made in any form -bullion or jewellery. The customer will have to get the jewellery tested at one of 350 hallmarking centres certified by the Bureau of Indian Standards (BIS) to check the approximate amount of pure gold present. If the customer agrees with the assessment, he will be required to fill up a bank or `know your customer' form, consenting to the gold being melted. This could take about 45 minutes. The jewellery will then be processed and pure gold extracted through a process that can take up to three-four hours.
The person can still take back the gold in the form of bars if he doesn't want to participate.Those who choose to stay in the scheme will be given a certificate that can then be used to open a gold deposit with a bank. The rate of interest on such deposits will be decided by the bank.
“Rate of interest offered in the scheme should be attractive enough,“ said Ashish Shanker, director, investment advisory, Motilal Oswal Private Wealth Management. “The scheme also has to be convenient in terms of the process.“
The draft provided some details of how the deposits are expected to work. “Both principal and interest to be paid to the depositors of gold, will be `valued' in gold.For example, if a customer deposits 100 gm of gold and gets 1% interest, then, on maturity he has a credit of 101 gm,“ according to the draft scheme.
Customers can opt for cash or gold on redemption, but the preference has to be stated at the time of deposit. The minimum tenure will be one year. “In the Gold Deposit Scheme (1999), customers received exemption from capital gains tax, wealth tax and income tax. Similar tax exemptions are likely to be made available to the customers in the GMS (gold monetisation scheme) after due examination,“ the draft said.
This means a depositor can not only preserve his gold but also see it grow over the years. Banks may be permitted to deposit the mobilised gold as part of their cash reserve ratio or statutory liquidity ratio requirements with the Reserve Bank of India to incentivise them.
This aspect, however, is still under examination, the draft said.
Banks may also sell the gold to generate foreign currency , which can then be used for onward lending to exporters or importers.
They could even convert mobilised gold into coins for onward sale to their customers and for lending to jewellers, it said.
India is one of the largest consumers of the yellow metal in the world. Gold imports were up 22% in FY15 to $34.3 billion as the government eased quantitative restrictions imposed in the wake of the currency crisis of late 2013. These restrictions had been imposed after large gold imports led to the widening of the current account deficit that threatened the stability of the Indian currency.
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Govt will offer Rs 1 lakh cr of power transmission projects in the next 6-8 months and also revive ailing state electricity distribution cos, says Goyal.
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ভারতের ইতিহাস সংশোধন করতে চান রাজনাথ
‘ইতিহাসবিদেরা “আকবর দ্য গ্রেট” লেখায় আমার কোনো আপত্তি নেই। কিন্তু “প্রতাপ দ্য গ্রেট” হবে না কেন? আমি ব্যক্তিগতভাবে মুঘল আমলে ভারতের মেওয়ারের শাসক মহারানা প্রতাপ সিংকে মহান হিসেবে বিবেচনা করি। ইতিহাসবিদদের উদ্দেশে রাজনাথের আহ্বান, ‘সঠিকভাবে ইতিহাস উপস্থাপন করা উচিত। পরবর্তী...www.prothom-alo.com/international/article/531064
ভারতের কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিং দেশটির ইতিহাসবিদদের নতুন করে ইতিহাস রচনার বিষয়টি বিবেচনা করতে বলেছেন। নতুন ইতিহাসে মুঘল আমলে ভারতের মেওয়ারের শাসক মহারানা প্রতাপ সিংকে অধিক মূল্যায়ন করতে বলেছেন তিনি।আজ সোমবার টাইমস অব ইন্ডিয়া অনলাইনের...
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Ganesh Tiwari
15 hrs ·
अटल पेंशन योजना या धोखाधड़ी....
मोदी सरकार पेंशन योजना के नाम से गरीब लोगों बैंकों में भारी भरकम राशि वसूलने की योजना बनाई है. प्रति माह 42 से 1452 रुपये प्रतिमाह जमा कराने वालों को साथ साल की उम्र होने पर उतना ही पेंशन मिलेगा, जितना उसके खाते में होगा. यानि जमा पैसा ख़त्म तो पेंशन ख़त्म. लेकिन फिलहाल अदानियों, अम्बानियों, भारती आदि आकाओं के लिए भारी भरकम राशि इकट्ठी हो जाएगी. अटल पेंशन योजना की पेचीदीगियां आनी शुरू हुई हैं, आगे आगे देखिये कारनामे......
पीएम मोदी ने कोरिया में ग्लोबल इन्वेस्टर्स से टैक्स आतंक खत्म करने का वादा किया है। इससे देश में निवेश बढ़ेगा और अच्छे दिन कैसे आयेंगे, जानने के लिए फोटो पर क्लिक करें...
वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपेक्षाकृत अधिक स्थिर और...
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South Korea decided to provide $10 billion to India for infrastructure, development of smart cities, railways, power generation and other diversified areas as the two countries agreed to upgrade their bilateral relationship to a " Special Strategic Partnership". http://ow.ly/N7iAO
The fund will boost smart cities, railways, power generation and other diversified areas, creating a special strategic tie between the two nations.
ECONOMICTIMES.INDIATIMES.COM
Amit Newton writes: "I feel vulnerable to the vitriol spewed by the hate speeches of semi-literate and uneducated leaders claiming to be the conscience-keepers of the majority community." #Modi #HinduMahasabha
As a man living in a foreign country which has a state religion, I have never faced a problem in practising my faith.
DAILYO.IN
Socialism and Marriage - Marxists Internet Archive
https://www.marxists.org/reference/archive/shaw/works/guide3.htm
WHEN promising new liberties, Socialists are apt to forget that people object even ...Marriage, of which we speak as if it were one and the same thing all the ... whilst to our high caste fellow subjects in India it means unlimited polygamy, as it did ... But we must not expect more domestic dissolutions than are likely to happen.
Polygamy in India - Wikipedia, the free encyclopedia
- en.wikipedia.org/wiki/Polygamy_in_India
- Polygamy is illegal in India for Hindus and other religious groups under the Hindu Marriage Act. It remains legal for Muslims under the terms of The Muslim ...
- Missing: communists
Polygamy
- www.najaf.org/english/book/21/11.htm
- Several leaders of communism in the 19th century also made a similar ... found this custom in India and China during his visit to these countries in the 9th ...
Polygamy - New World Encyclopedia
- www.newworldencyclopedia.org/entry/Polygamy
- Mar 3, 2015 - India has an occurrence of polygamy about four percent of the Hindu ..... China had legal polygamy until the Communist government ruled that ...
Polygamy not integral part of Islam: SC - The Times of India
- timesofindia.indiatimes.com/india/Polygamy-not...of.../46180105.cms
- Feb 10, 2015 - The Supreme Court on Monday ruled that a Muslim's fundamental right to profess Islam did not include practicing polygamy.
- Missing: communists
Muslim women and the surprising facts about polygamy in ...
- scroll.in/.../Muslim-women-and-the-surprising-facts-about-polygamy-in-...
- Muslim women and the surprising facts about polygamy in India. Rohan Venkataramakrishnan · Jul 08, 2014 · 07:34 am. Muslim women and the surprising facts ...
- Missing: communists
Part Eleven: Polygyny | The Rights of Women in ... - Al-Islam
- www.al-islam.org/rights-women-islam-ayatullah.../part-eleven-polygyny
- The converse of monogamy is polygamy or the shared condition of being a wife ... As we know, some communist leaders of the nineteenth century also made the ...
Socialism and Marriage - Marxists Internet Archive
- https://www.marxists.org/reference/archive/shaw/works/guide3.htm
- WHEN promising new liberties, Socialists are apt to forget that people object even ... whilst to our high caste fellow subjects in India it means unlimited polygamy, ...
Supreme Court of India says Polygamy not integral part of ...
- hinduexistence.org/.../supreme-court-of-india-says-polygamy-not-integral-...
- Feb 10, 2015 - Supreme Court of India on Monday ruled that a Muslim's ... Polygamynot integral part of Islam: SC Amit Choudhary | TNN | New Delhi | Feb… ... in India · Need of Hindu Vote Bank · Nepal under Communist Aggression · New ...
Congress Approval Rating Lower Than Porn, Polygamy, BP ...
- www.huffingtonpost.com/.../congress-approval-rating-porn-polygamy_n...
- Nov 16, 2011 - A greater percentage of Americans approve of polygamy than the United ... "U.S. going communist" received an 11 percent approval rating, ...
PSEUDO HINDUISM EXPOSED | Communist Party of India ...
- www.cpim.org/content/pseudo-hinduism-exposed
- In the process, it justifies its complete rejection of the Indian Constitution, law and the .... A survey conducted by the 1961 census shows the practice of polygamy ..
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