भूगोल के खिलाफ,प्रकृति और मनुष्यता के खिलाफ है केसरिया कारपोरेट जिहाद
इसीलिए भूकंप के झटके थम नहीं रहे और जख्मी हिमालय ज्वालामुखी की तरह दहकने लगा है और बिहार यूपी वालों की नींद भी हराम कि मंगोलिया से तीरंदाजी के निशाने पर हिमालय।
अबकी दफा उत्तराखंड में भूकंप आया तो न जाने क्या होगा!
पलाश विश्वास
भूगोल के खिलाफ,प्रकृति और मनुष्यता के खिलाफ है केसरिया कारपोरेट जिहाद।
इसीलिए भूकंप के झटके थम नहीं रहे और जख्मी हिमालय ज्वालामुखी की तरह दहकने लगा है और बिहार यूपी वालों की नींद भी हराम कि मंगोलिया से तीरंदाजी के निशाने पर हिमालय।
अबकी दफा उत्तराखंड में भूकंप आया तो न जाने क्या होगा?
अपने राजीव लोचन साहज्यू ने मौके की नजाकत समझते हुए अपना प्रोफइल फोटो बदल दिया हैः
1899 में आज के फ्लैट्स (हमारी आमा के अनुसार तब 'किरकिट') में खेले जाने वाला यह टेनिस मैच हमारे आज लगाये प्रोफाइल फोटो के साथ ठीक-ठीक मैच करेगा.
बेहतर हो कि हिमालय के तमाम उत्तुंग शिखरों,खूबसूरत घाटियों,पवित्र अपवित्र नदियों ,झरनों,शहरों ,कस्बों ,गांवों और झीलों की तस्वीरें भी आज के नैनीताल के साथ जहां संभव तहां लगाकर इतिहास में दर्ज करा दी जायें।
भूगर्भ विशेषज्ञ ही विश्लेषण कर सकते हैं कि भूंकप के झटके क्यों नहीं थम रहे हैं और पचास हजार करोड़ सालों के बाद नवउदारवाद की संतानों के राजकाज समय में ही वह सबकुछ उलट पलट कर देने के तेवर में क्यों है।
अर्थशास्त्री और राजनय के विशेषज्ञ बखूब हमें सविस्तार बता सकते हैं कि कैसे रेशम पथ खोलने लगा है संघ परिवार हिमालय के आर पार।
हम विशेषज्ञ नहीं है।हम मूलतः गायपट्टी के ही वाशिंदे हैं और भूकंप,भूस्खल,बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलने वाले उत्तराखंड में पले बढ़े हैं।
हम इससे परेशान हैं कि उत्तराखंड,नेपाल,उत्तरी बंगाल,सिक्किम और यूपी बिहार के लोग रात को चैन की नींद नहीं सो सकते कि न जाने कब भूकंप आ जाये।
बहुमंजिली सीमेंट के जंगल की राजधानियों में झटके महसूस किये जाते हैं लेकिन वहां धनवर्षा इतनी घनघोर है और राजनीतिक हलचले इतनी तेज हैं कि दोनों हाथों से बटोरने की आपाधापी में जड जमीन से कटे लोग बेपवाह हैं।होने भी चाहिए।वे तब तक ऐसा करने को आजाद है जबतक न बार बार के झटकों से दीवारे दरकने लगें और किरचों की तरह बिखर जाये तमाम ताश के महल।
हमारी चिंता है कि अगली दफा उत्तराखंड में भूकंप आया तो क्या होने वाला है क्योंकि हमारे पास नेपाल से डरावनी तस्वीरें बहुत आ रही हैं।महाभूकंप और लगातार जारी सैकड़ों झटकों से जानमाल के नुकसान की तस्वीरें भयावह है तो सबसे चिंता की बात यह है कि नेपाल में हिमालय के आंतरिक संरचना उथल पुथल हो गयी है।
शनिवार को आये भूकंप की यह तस्वीर देख लेंः
दोलखा केन्द्रविन्दु बनाएर ५.५ को भूकम्प, दुई ठाउँमा ठूलो पहिरो
पहिलोपोस्ट - | 16th May 2015 | २ जेठ २०७२ | Read count :14261
२९ गतेको भूकम्पपछि दोलखाको सिंगटी बजारको एक छेउ।
काठमाडौं : दोलखा केन्द्रविन्दु बनाएर शनिबार साँझ अर्को ठूलो भुकम्प गएको छ। साँझ करिब ५ बजेर २० मिनेट जाँदा ५.५ रेक्टर स्केलको भुकम्प गएको राष्ट्रिय भुकम्प मापन केन्द्रले जानकारी दिएको छ । भूकम्पको धक्का काठमाडौंमा पनि महसुस भएको छ। भूकम्पका कारण दोलखाको भीरकोट र घ्याङ सुकाठोकरमा पहिरो गएको छ। भीरकोटको माझीगाउँ नजिक भीर र जंगल रहेको क्षेत्रमा ठूलो पहिरो गएको जफे गाविसका सुशील काफ्लेले जानकारी दिएका छन्। त्यस्तै घ्याङ सुकाठोकरमा पनि पहिरो गएको छ। दुबै ठाउँको सुख्खा पहिरोपछि धेरै धुलो उडेको देखिएको उनले बताए। - See more at: http://www.pahilopost.com/content/-4193.html#sthash.dtjeOsa1.dpuf
काठमांडु से यह चेतावनी जारी की है Tej Kumar Karki <tejkarki@gmail.com> ने,जो पूरे हिमालयी भूगोल के लिए प्रासंगिक है,जिसे सबसे ज्यादा खतरा संघ परिवार की बिजनेस फ्रेंडली बुलेट पीपीपी राजनीति और राजनय से है,जिससे रिलायंस,अडानी है समेत गुजराती कंपनियों को फायदा ही फायदा है लेकिन इंडिया इंक समेत बाकी भारत,बाकी महादेश के नागरिकों और नागरिकाओं के अस्तित्व पर प्रशनचिह्न लगाते हुए इस कायनात को कयामत का मजर बनाने का चाकचौबंद स्थाई मनुस्मृति बंदोबस्त है यह।कार्की जी की इस चेतावनी पर गौर करेंः
PLEASE INFORM THEM THAT THIS TIME MASSIVE MOUNTAIN EARTH MASS IS SHAKEN BY EARTHQUAKE IN THE AFFECTED DISTRICTS
THOSE MOUNTAIN EARTH MASS MAY BE IN LOOSE FORM
COMING MONSOON AND CONTINUOUS RAIN MIGHT TRIGGER MASSIVE LANDSLIDES
THOSE LIVING IN THE MOUNTAINS IN FRAGILE SOILS MIGHT BE IN EXTREME DANGER
MANY ROADS MIGHT BE BLOCKED BY LANDSLIDES
THE LANDSLIDE MIGHT BLOCK RIVERS AND CREATE FLASH FLOOD
ALREADY EARTHQUAKE DAMAGED HOMES MAY FALL
PEOPLE MIGHT HAVE TO LIVE ROOFLESS
NOW THE GOVERNMENT AND CITIZEN ARE OVERWHELMED WITH RELIEF AND RESETTLEMENT TASKS
THEY MIGHT BE COMPLETELY FOCUSED ON THAT BUT MIGHT NOT BE MINDFUL OF THE NEXT POSSIBLE LAND SLIDE DISASTER AHEAD
WE ARE NOT STRONG TO DEAL ABOUT LANDSLIDE BUT STILL IF WE ARE AWARE WE CAN DO SOMETHING TO MINIMIZE HARM
WE CAN RESETTLE THOSE PEOPLE IN THE FRAGILE HILL TO SAFE FLAT LAND IN GROUP IN TARAI AT LEAST FOR THIS MONSOON SEASON
A TIMELY THOUGHT AND ACTION CAN SAVE MANY LIVES ( A STITCH ON TIME SAVES NINE)
I KNOW WHAT I AM SAYING IS COMMON SENSE----AND EXPERTS OUT THERE MIGHT
HAVE KNOWN THIS AND GOVERNMENT IS PREPARED
BUT AS A CITIZEN I WANTED TO PUT THIS---WHISTLE BLOWING TASK---JUST IN CASE IF THEY HAD NOT THOUGHT THIS THROUGH
THIS IS ALSO BECAUSE OF LACK OF CONFIDENCE OF THE SNAIL LEADERSHIPS
गुगल और फेसबुक के सौजन्य से अब जन्मदिन सार्वजनिक हो गया है वरना यकीन मानिये हमें भी अमूमन याद नहीं रहता अपना जन्मदिन।
इसबार लेकिन सविताबाबू ने सुबह सुबह मिठाई तो बांट दी ,लेकिन जन्मदिन मुबारक दोपहर बाद कहा क्योंकि उसे मालूम है कि ठीक 365 दिन बाद हमें सड़क पर आ जाना है।
फेसबुक के सौजन्य से बसंतीपुर में मेरे बचपन के सबसे पुरातान मित्र नित्यानंद मंडल,टेक्का जो मुझसे तीन महीने छोटा है,उसका संदेश मिला पहलीबार तो चचेरे बाई चंद्रशेखर ने भी इस बार जन्मदिन मुबारक कह डाला।
इससे पहले सविता बाबू और बेटे टुसु के अलावा हमें कभी किसी ने जन्मदिन की बधाई कहा नहीं है।
गांव बसंतीपुर अब वैसा नहीं रहा जैसा हमने उसे छोड़ा है।करीब चार दशकों से मेरा गांव बेहद बदल गया है और लोग भी जाहिर हैं कि बदल गये हैं।वहां अब नई पीढ़ी आनलाइन है,जिसने हमें न देखा है और न पहचाना है।
बसंतीपुर को बसाने वाले तमाम लोग अब स्वर्गीय हैं।बसंतीपुर से कभी किसी जन्मदिन के मौके पर कोई शुभकामना संदेश आता नहीं है।
बहरहाल एक दिन पहले से ही शुभकामनाओं का का तांता लग गया है।हम आभारी हैं इलन शुभकामनाओं के लिए।इसी के साथ हमारे सड़क पर आने का काउंट डाउन भी शुरु हो गया है।हमारी सेवा जारी रहने के फिलहाल आसार नहीं है और सेवाबाहर होने में ठीक 365 दिन बाकी रह गये हैं।
इसी बीच सविता ने उस रामकृष्ण मिशन से दीक्षा ले ली है,जिसने न रानी रासमणि के व्यक्तित्व कृतित्व की कभी चर्चा नहीं कि और न ही संघ परिवार के हिंदू प्रधानमंत्री हिंदू ह्रदय सम्राट को दीक्षित किया।
सविता बाबू का परलोक सुधर गया है लेकिन हम तो सिरे से नास्तिक हैं और धर्म कर्म के पचड़े में मैं पड़ता नहीं।हमें नहीं मालूम कि सैकड़ों जो शुभकामनाएं मिल रही हैं,उनसे हमारा क्या भला होने वाला है।
हमारी मानिये कि दरअसल शुभकामनाओं का यह समय है ही नहीं है।
यह समय चेतावनियों का है।
प्रकृति मनुष्यता और सभ्यता को अपनी भाषा में चेतावनी जारी करती जा रही है और जड़ों से कटे दुःसमय के लिए वह भाषा अबूझ है।तो हिंदुत्व ब्रिगेड की शत प्रतिशत चेतावनियों का रंग ही इंद्रधनुषी है।
हिदू प्रधानमंत्री के गौरव काल में हिंदुत्व के एजंडे के खिलाफ बोलने लिखने वालों के लिए साधु संतों की जमात लगातार चेतावनियां जारी कर रही है।बजरंगी जो पैदल बहुजन सेना है,जिनमें से तमाम राम हनुमान बना दिये गये हैं और बाकी जो छंटे हुए हैं,वे दलित महादलित कैडर बन जायेंगे बहुत जल्द।
खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का सवाल जिससे 5 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी जाने का संकट है, हमारी राजनीति में एक सामान्य सा सवाल है। भाजपा ने कांग्रेस के इस कदम का विरोध करते हुए राजनीतिक लाभ तो ले लिया और आज वह खुद उसी रास्ते पर बढ़ रही है। http://ow.ly/N1PYZ
आरक्षण के बारे में गोलवरकर का कहना था कि यह हिन्दुओं की सामाजिक एकता पर कुठाराघात है और उसने आपस में सद्भाव पर टिके सदियों पुराने रिश्ते तार-तार होंगे। http://ow.ly/N1Q4o
इस बीच हमारे मित्र आदरणीय आनंद तेलतुंबड़े को धमकियां मिलने लगी हैं तो हम तमाम लोगों को थोक भाव से गालियां मिल रही हैं।
महिला नाम से फर्जी आईडी से यौनगंधी चेतावनियां जो जारी की जा रही हैं, उससे हमारी सेहत पर खास असर नहीं पड़नेवाला और न हम मौके पर लिखने बोलने से चूकने वाले हैं जो मुझे जानते हैं वे बेहद अच्छी तरह जानते हैं।आनंद ने तो लिख ही दिया है कि कोई छू तो लें।
शिखंडियों की यह अजब गजब बारात है तो जो सीधे सामने से आकर वार नहीं कर सकते तो महिला नाम की आड़ से वार करने लगे हैं।
वे सीधे गाली गलौज करें तो हमें कोई ऐतराज नहीं है क्योंकि हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं और अरविंद केजरीवाल की तरह कोई सेंसर नहीं लागू करते और न ही गाली गलौज करने वालों को डीफ्रेंड करते हैं।जिसकी जैसी भाषा,जिसकी जैसी परंपरा,उसका आचरण वहीं होता है।
हम अपने देश की मां बहनों को अच्छी तरह जानते समझते हैं।निजी यंत्रणाओं और निरंतर उत्पीड़न से वे गालीगलौज जरुर करती होंगी,लेकिन मतभेद के चलते वे मर्दवादी धर्माधों की तरह गालियों की यौनता फैलाने से तो रहीं।
कृपया उन्हें बख्श दीजिये और अपने ही आईडी से जो मूसलाधार कर सकते हैं,कीजिये।
दरअसल हिंदुत्व के एजंडे के लगातार हो रहे पर्दाफाश से बजरंगी सेना में खलबली है और अंबेडकर या गौतम बुद्ध या गांधी का अपहरण असंभव है।
उनके पास कोई तर्क है ही नहीं।इतिहास कोई भी लिख दें,कोई भी इतिहास बदल दें,जैसा कि हिटलर ने भी किया है और तानाशाह हर देश में हर काल में करते रहते हैं,मनुष्यता के इतिहास में युद्ध अपराधियों के लिए अंततः कोई जगह बचती नहीं है।
इसलिए इतिहास से छेड़छाड़ को हम कोई गंभीर मसला नहीं मानते क्योंकि वक्त बदलते देर नहीं लगती और वक्त इतिहास का हिसाब किताब बराबर कर देता है।
संघ परिवार जो भूगोल के साथ छेड़छाड़ कर रहा है,वह मनुष्यता और सभ्यता के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है और दरअसल हिंदू साम्राज्यवादी एजंडा इतिहास बदलने के बहाने भूगोल बदलने में लगा है।
रविवारी जनसत्ता में आनंद पटवर्धन का भाषण छपा है और मूल अंग्रेजी में पूरा भाषण हमने अपने ब्लागों पर लगाया है।जहां सुविधा हो इसे पढ़ जरुर लें।आनंद की फिल्में लगातार हिंदू साम्राज्यवाद के फासीवादी चेहरे को बेनकाब करती रही हैं।राम के नाम हो या जयभीम कामरेड,उनकी सारी फिल्में संघ परिवार के केसरियाकरण के खिलाफ है।आनंद ने कहा है कि योजनाबद्ध तरीके से भारत राष्ट्र का नामोनिशान मिटाने लगा है संघ परिवार।
दरअसल विधर्मियों के खिलाफ नहीं,संघ परिवार का यह केसरिया कारपोरेट जिहाद भारत राष्ट्र के खिलाफ है,इस महादेश के खिलाफ है,प्रकृति पर्यावरण और मनुष्यता के खिलाफ है।
कल तक हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल ने दोबारा हिंदू राष्ट्र बनने से इंकार करते हुए राजतंत्र को फिर गले लगाने से भी इंकार कर दिया है और नेपाल की जनता ने हिंदुत्व ब्रिगेड को धकिया कर बाहर निकाला है।हम लागातार लगातार हस्तक्षेप पर नेपाल के कोने कोने से अपडेट इसीलिए दे रहे हैं कि हिंदुत्व एजंडा का अंजाम देख लें कि आज नेपाल भारत का दुश्मन नजर आने लगा है।
Researchers decode the science behind earthquakes
- Hindustan Times-12-May-2015
- Jagtap's research area is earthquake engineering, in which he is ... “The Garhwal-Kumaun region in CSG has experienced a number of ...
'Great Himalayan Quake' may occur in India
- Deccan Herald-26-Apr-2015
- Saturday's devastating Nepal earthquake, though a big one, may ... the Nepal quake—an area covering the Kumaon-Garhwal region in India.
Severe quake likely in Uttarakhand: expert
- The Hindu-11-May-2015
- In the wake of the recent Nepal earthquake, the possibility of ... in the Department of Geology of HNB Garhwal University, Srinagar, told The ...
CM asks Garhwal, Kumaon DMs to ensure no loss of property in quake
- Times of India-12-May-2015
- ... Rawat on Tuesday asked Garhwal and Kumaon divisional commissioners ... in different earthquake-prone districts in case of any eventuality.
Char Dham, tourist spots in U'khand safe: Minister
- Press Trust of India-13-May-2015
- ... for Uttarakhand in the wake of the latest earthquake in Nepal, the state ... Yatra to the famous Sikh shrine of Hemkund Sahib in Garhwal ...
1000-yr-old Uttarkashi structure is 'quake-proof'
- Chandigarh Tribune-28-Apr-2015
- The 1991 Uttarkashi and 1999 Chamoli earthquakes that led to the ... Kumaon earthquake of 1720 and the Garhwal earthquake of 1803.
IAS academy breach: Harish Rawat turns down request for CBI probe
- India.com-16-May-2015
- (Also Read:Earthquake in Nepal & northern India: 'Chardham Yatra not ... Earlier this month, Garhwal Range IG Sanjay Gunjyal, on the basis of ...
Char Dham, tourist spots in Uttarakhand safe: State Tourism Minister
- HospitalityBizIndia-16-May-2015
- ... of the latest earthquake in Nepal, the state government has said Char ... Yatra to the Sikh shrine of Hemkund Sahib in Garhwal Himalayas ...
Ticking time bomb: The catastrophe that awaits Uttarakhand
- Hindustan Times-10-May-2015
- SP Sati of the department of geology, HNB Garhwal University, Srinagar, ... Geologists also argue that the risks of building dams inearthquake ...
The harsh lessons of Nepal's quake disaster
- The Japan Times-03-May-2015
- NEW YORK – In October 1991 I was in the Garhwal Himalayas when an earthquake measuring 6.1 on the Richter scale killed more than a ...
F]1803 EARTHQUAKE IN GARHWAL HIMALAYA ...
www.insa.nic.in/writereaddata/.../IJHS/Vol49_1_3_Sdasgupta.pdf
by S DASGUPTA - 2014 - Related articles
Garhwal earthquake constitute the basic theme of this paper. ... nineteenth century was the 1st September 1803 Garhwal Himalaya earthquake, descriptions for.
1991 Uttarkashi earthquake - Wikipedia, the free encyclopedia
en.wikipedia.org/wiki/1991_Uttarkashi_earthquake
1991 Uttarkashi earthquake is located in India ... Thakur, V. C.; Sushil, K. (1994), "Seismotectonics of the 20 October 1991 Uttarkashi earthquake in Garhwal, ...
[PDF]Garhwal Earthquake of Oct. 20, 1991 - National Information ...
www.nicee.org/eqe-iitk/uploads/EQR_Uttarkashi.pdf
Oct 20, 1991 - Garhwal Earthquake of Oct. 20, 1991. EERI Special Earthquake Report, EERI Newsletter, Vol.26, No.2, February 1992. Sudhir. K. Jain, Ramesh ...
Garhwal Earthquake of 1991 - MCEER Information Service ...
ftp://mceer.buffalo.edu/pub/searches/09/02/090206.html
Chamoli earthquake, March 28, 1999. S- wave site response. AB: Site response in theGarhwal Himalaya is studied using digital seismograms recorded by a ...
Seismotectonics of the 20 October 1991 Uttarkashi ...
onlinelibrary.wiley.com › ... › Terra Nova › Vol 6 Issue 1
Jul 1, 2007 - The 20 October 1991 Uttarkashi earthquake killed over a thousand people and caused extensive damage to property in the Garhwal Himalaya ...
[PDF]Seismic hazard scenario and attenuation model of the ...
www.ias.ac.in/jess/nov2008/jess114.pdf
In this paper, we present a seismic hazard scenario for the Garhwal region of the north- ... Garhwal Himalaya; maximum credible earthquake; site amplification; ...
[PDF]here - Seismological Society of America
www.seismosoc.org/publications/srl/SRL_84/srl.../srl_84-6_hs_II.pdf
earthquake (Mw 8.0), there has been quiescence, with the gap in time and space ... of the Kumaun–Garhwal Himalaya as archeological seismic sensors that can ...
[PDF]The Mw 5.0 Kharsali, Garhwal Himalayan earthquake of 23 ...
www.currentscience.ac.in/Volumes/102/12/1674.pdf
Jun 25, 2012 - earthquake occurred in the Garhwal Himalaya near. Kharsali, about 50 km ... the strong (M 6.4) Uttarkashi earthquake of 20 Octo- ber 1991.
History of Seismic Events in Garhwal Himalaya, India
www.iupindia.in/1201/.../History_of_Seismic_Events.html
The studies on the history of the seismic events in the part of Garhwal, Himalaya has been carried out. On the basis of the seismic records of seismic events n ...
History of Seismic Events in Garhwal Himalaya, India - SSRN
ssrn.com/abstract=2145320
by AK Shandilya - 2012 - Related articles
Sep 13, 2012 - The studies on the history of the seismic events in the part of Garhwal, Himalaya has been carried out. On the basis of the seismic records of ...
Earthquake zones of India - Wikipedia, the free encyclopedia
- en.wikipedia.org/wiki/Earthquake_zones_of_India
- The latest version of seismic zoning map of India given in the earthquake resistant ... The region of Kashmir, the western and central Himalayas, North Bihar, the ...
[PDF]Estimation of Seismic Hazard Parameters in the Himalayas ...
- home.iitk.ac.in/~vinaykg/Iset413.pdf
- The seismic hazard parameter estimation using Maximum Likelihood Method .... 1 Seismicity map of the Himalayas and its vicinity for the period 1720-1990 (the ...
[PDF]Where are the Seismic Zones in India? - IIT Kanpur
- www.iitk.ac.in/nicee/EQTips/EQTip04.pdf
- mighty Himalayas along the north, the plains of the ... Most earthquakes occur along the Himalayan ... seismic zone map in 1962, which was later revised in.
In the jigsaw of Himalayan risk, climate change and ...
- www.thethirdpole.net › Articles
- Feb 6, 2014 - Seismologists and geologists studying the Himalayas have been trying update the seismic map of the mountain belt for several years now.
M6.6 - 49km E of Lamjung, Nepal - Earthquake Hazards ...
- earthquake.usgs.gov/earthquakes/eventpage/us2000292y
- Apr 25, 2015 - 28.193°N 84.865°E depth=14.6 km (9.1 mi)View interactive map ... The largest instrumentally recorded Himalaya earthquake occurred on 15th ...
Long-Predicted Death Toll in Nepal Earthquake Reflects ...
- dotearth.blogs.nytimes.com/.../long-predicted-death-toll-in-nepal-earthq...
- Apr 25, 2015 - Various Updates | The Himalayas are one of the world's most ... A U.S. Geological Survey map of the earthquake zone (yellow and red bands ...
Was this the big earthquake that was predicted in the ...
- www.thehindu.com › News › National
- Apr 25, 2015 - The 1934 earthquake broke the surface over a length of more than 150 km ... Keywords: Nepal earthquake, earthquake, Himalayas earthquake, ...
[PDF]Earthquake hazard in Northeast India - Indian Academy of ...
- www.ias.ac.in/jess/nov2008/jess132.pdf
- the seismic hazard microzonation map of the Sikkim Himalaya. On the other ... Figure 1. A seismic microzonation framework for earthquake hazard mapping.
Seismic Hazard Map of India, the Himalaya and Bangladesh
- geology.about.com › ... › Seismic Hazard Maps of the World’s Nations
- The United Nations' map of seismic hazard for India, Bangladesh and the countries of the Himalaya.
Sangh hails 'proud Hindu' PM | |
Radhika Ramaseshan
| |
New Delhi, May 16: Purists and reformists of theology would debate whether the Dakshineswar Kali temple and Belur Math were ever perceived as symbols and instruments to propagate the genre of political Hindutva conceptualised by the Rashtriya Swayamsevak Sangh.
Without delving into the history and subtleties of the myriad strands of Hinduism and its off-shoots, the RSS's English weekly, Organiser, has celebrated Prime Minister Narendra Modi's recent visits to these iconic sites in Calcutta as a manifestation of his ease with his Hindu religious identity.
An authorless piece, titled West Bengal visit: finally, a PM not shamed of his Hindu identity, that appears in the latest issue of the Organiser (May 24), claims that unlike "several other political leaders of India", Modi "wore his religious identity without shame" when he visited Dakshineswar and the Belur monastery.
"Prime Minister Modi is proud of being a Hindu which every Hindu should be. Modi never goes out of his way to flaunt 'secularism'....," the article says.
The implication is that the BJP's first Prime Minister, Atal Bihari Vajpayee, did not qualify for the honour that the Organiser bestows on Modi.
"Without being a hypocrite, the PM exhibited his joy and happiness without any inhibition in the company of the monks of the Ramakrishna order," it says and claims he is the first Prime Minister to have visited the Dakshineswar temple.
The Organiser piece says that Modi's detractors might rap him for trying to "appease Bengalis" by praying to Kali. But what of his call on Belur Math? "It was not a public function, so the strongest critics of Modi should not attempt to claim that Modi had tried to woo the residents of Kolkata by displaying his love and respect for Swami Atmasthananda (at the Ramakrishna Mission hospital where the monk was admitted)," it says.
Modi's visit to Belur Math, it adds, was "not a clever move to gain political mileage" but represented the " guru-shishya" (teacher-disciple) tradition, intrinsic to Hindu culture. In his youth, Modi had wanted to join the Ramakrishna Mission but was dissuaded then by the ailing Swami, now 97.
The Mission was set up by Swami Vivekananda, whom Modi describes as his spiritual guide and who was the protagonist of a long-drawn "Yuva Yatra" (road journey for youths) that the Prime Minister rolled out in Gujarat before the 2012 elections when he was chief minister.
Whether Modi intended it or not, the month-long "yatra", that passed through every district, was interpreted by BJP cadres as a re-affirmation of his "Hindu nationalist" image.
Modi has always extolled Swami Vivekananda as India's first nationalist icon, although a "Bharat Darshan yatra" the Swami himself went on in the early 1890s was said to have enlarged his vision about India's religious pluralism.
|
Haryana police today brutally lathicharged contractual teachers in Karnal , in the state of Haryana. The teachers under the banner of Naujawan Bharat Sabha...
WORKERSRESIST.NET
The world's perception of India has changed, says Prime MinisterNarendra Modi
During his three-nation tour, Prime Minister Narendra Modi will visit Xian, Beijing and Shanghai in China pushing bilateral, diplomatic and economic issues along...
ECONOMICTIMES.INDIATIMES.COM
NAVBHARATTIMES.INDIATIMES.COM
असली अजेंडा क्या था, जिसे नरेंद्र मोदी भूल गए हैं, फोटो पर क्लिक करके जानिए सुब्रण्यन स्वामी के नकली इंटरव्यू में। यह इंटरव्यू भले नकली हो, लेकिन आपको मजा असली आएगा...
BLOGS.NAVBHARATTIMES.INDIATIMES.COM|BY मुकेश कुमार
17 मई, 2015. नई दिल्ली
Himanshu Kumar
मैं आपके ईश्वर से नाराज़ नही हूँ
आपके नेता से भी मेरी कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है
ना ही आपकी राजनैतिक और धार्मिक आस्थाएं मेरी चिढ़ की वजह हैं
असल में तो मैं आपसे नाराज़ हूँ .
आप जब अपने सामने भूख से मरते बच्चे की भूख पर सवाल नहीं उठाते
और ईश्वर की पूजा का बहाना कर आँखें बंद कर लेते हैं
उस समय मुझे आपका ईश्वर दुनिया की सबसे धूर्त चीज़ लगता है .
असल में मैं आपके ईश्वर के नहीं आपकी चालाकी के खिलाफ हूँ
आपका नेता क्रूर है
वो अपने लालच के लिए लाखों लोगों की जान लेने के लिए प्रसिद्ध है
जब आप उसे अपना प्रिय नेता कहते हैं
तब आपके सामने मैं पूरी ताकत से उसके खिलाफ बोलने लगता हूँ .
असल में मैं आपके नेता के नहीं आपके लालच के खिलाफ हूँ .
जब आपकी सेना कुचलती है निर्दोष औरतों और बच्चों को
और आप गुण गाते हैं अपनी सेना के
तब मुझे सेना पर नहीं
आप पर चिल्लाने का मन करता है
इसलिए जब मैं सेना के खिलाफ बोलता हूँ
तो दरअसल मैं आपकी क्रूरता के विरुद्ध बोल रहा होता हूँ .
मेरी लड़ाई आप सब से है
मुझे पता है
आप फिर एक स्वार्थी ईश्वर
फिर एक लालची नेता
और फिर से एक क्रूर सेना बना लेंगे
क्योंकि ये सब आप ही की पैदाइश हैं
इसलिए मैं हमेशा आप से लड़ता रहूँगा .
आप भी हमेशा से थे
मैं भी हमेशा से था .
न आप कभी मरे
न मैं कभी मरा .
Jagadishwar Chaturvedi
भारत में विगत एक साल से दूध-घी की नदियां बह रही हैं ! कोई खानेवाला नहीं है! लाखों एकड़ जमीन कारखानों के लिए फालतू पड़ी है कोई पैसा लगाने वाला नहीं है! सारे चैनल मोदी मोदी कर रहे हैं,कोई वैविध्यपूर्ण कार्यक्रम देने वाला नहीं है! गुजरात में तो पैसे के निवेश से लेकर आदमी के निवेश की अनंत संभावनाएं हैं,कुछ साल तो गुजारो गुजरात में !!
सच्चे मोदीभक्त हो तो लौटो भारत ,यहां नौकरियां हैं, बैंक लोन है,कौशल के विकास के अनेक संस्थान हैं, वे तमाम अमीर हैं जो मोदी के साथ विदेशयात्रा में जा रहे हैं,यह जान लो भारत में अब गरीबी नहीं है, आम लोग स्वस्थ रहते हैं,प्रदूषण नाम की चीज का स्वच्छता अभियान के द्वारा एक साल में अंत कर दिया गया है !!
सारे मंत्रालय ईमानदारी से काम कर रहे हैं! धड़ाधड़ प्रकल्पों को मंजूरी दी जा रही है!कौशलपूर्ण भारतीयों का अकाल है !नौकरियां हैं लेकिन लोग नहीं हैं!कम से कम अब तो मान लो,पीएम मोदी आपके पास विदेश में जाकर अनुरोध कर रहे हैं,लौटो देश को,देखो पीएम मोदी बिना सोए काम कर रहे हैं !! हम आपको सोते हुए काम का अवसर देने का वायदा करते हैं! एकबार भारत आकर तो देखो अच्छा लगेगा!! मौका चूक गए और चीन की जनता ने भारत की ओर प्रयाण शुरु कर दिया तो संभवतः रहने के लिए घर भी न मिलें,नौकरी भी न मिले,बेहतर है चीनियों के आने के पहले चले आओ और काम-धंधा गुजरात से ही आरंभ करो,गुजरात को हब बनाओ और जीवन का आनंदमय समय दांडियां करते हुए गुजारो !!
अयोध्या में राममंदिर के लिए पटेल जैसा मनोबल चाहिए : शंकराचार्य
भोपाल। 'यदि भारत के प्रधानमंत्री का मनोबल प्रथम गृहमंत्री सरदार पटेल जैसा मजबूत है, तो अयोध्या में रामलला जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण हो सकता है। पटेल ने सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया था। वहां के मुस्लिम परिवारों को स्नेहपूर्वक अन्य स्थान पर बसाया था।
उनकी दूरदर्शिता से न तो रक्त बहा, न ही विवाद हुआ और मंदिर भी बन गया। बीजेपी हिंदुत्व के बल पर ही सत्ता में आई और यदि उसे न्यायालय और मुस्लिम तंत्र के भरोसे रहना है, तो वह चुनाव के समय हिंदुत्व का नाम न ले।
यह बात शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पत्रकारों से चर्चा में कही। वे बुधवार को भोपाल में दो दिवसीय प्रवास में थे। हाल में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि मामला न्यायालय में है और राज्यसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए राम मंदिर निर्माण नहीं हो सकता है।
इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए स्वामीजी ने कहा कि यह सत्ता लोलुपता की पराकाष्ठा है। लाखों वर्ष से वाल्मीकि रामायण, महाभारत सहित विभिन्न् पुराणों ग्रंथों में अयोध्या में रामलला जन्म भूमि होने का इतिहास है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिस तरह मक्का मदीना में कोई अन्य उपासना स्थल देखना नहीं चाहते उसी तरह अयोध्या राममंदिर के पास अन्य समाज का उपासना स्थल न हो।
मुस्लिम तंत्र और कांग्रेस करे पहल
शंकराचार्य ने सुझाव देते हुए कहा कि न्यायालय में लंबा समय लग रहा है। ऐसे में आदेश आने के बाद क्रियान्वयन में भी समय लगेगा। इसलिए इंतजार करना उचित नहीं है, सद्भाव पूर्वक मानव अधिकारों की सीमा में राम मंदिर मुद्दे का हल निकालना चाहिए। महाराज ने मुस्लिम तंत्र को पहल करने और कांग्रेस को भी इस मुद्दे पर प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी। इसमें बीजेपी सहित सभी दल समर्थन करें। महाराज ने पूर्व राष्ट्रपति कलाम के एक कथन का उदाहरण देते हुए बताया कि वे मुस्लिम होते हुए भी राम सेतू के विखंडित होने की चर्चा से दुखी थे।
नेपाल के मुस्लिम हिंदू राष्ट्र के पक्षधर
नेपाल का उदाहरण देते हुए शंकराचार्य ने कहा वहां 2.5 प्रतिशत मुस्लिम हैं और वे हिंदू राष्ट्र के पक्षधर हैं। इसी तरह अयोध्या में मंदिर बनने से वहां रहने वाले मुस्लिम परिवारों को ही आमदनी होगी।
भक्तों का मार्गदर्शन किया
बुधवार को शंकराचार्य ने रेलवे स्टेशन के सामने न्यू विजय होटल में शाम को सनातन संस्कृति के संरक्षण पर विचार गोष्ठी में भक्तों का मार्गदर्शन किया। हिमालय शर्मा ने बताया कि गुस्र्वार को सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक दर्शन, दीक्षा, गोष्ठी, पादुका पूजन आदि का कार्यक्रम होगा। शाम को अमरकंटक एक्स से रायपुर के लिए प्रस्थान होगा।
- See more at: http://naidunia.jagran.com/madhya-pradesh/bhopal-do-not-take-the-name-of-hindutva-bjp-in-the-elections-367511#sthash.yJsPQCaI.dpuf
खोज परिणाम
नेपाल में राहत व बचाव कार्य चलाएगा संघ
- Nai Dunia-26/04/2015
- यह अभियान नेपाल में संघ की समकक्ष हिंदू स्वयंसेवक संघ के साथ मिलकर चलाया जाएगा। नेपाल में राहत और पुनर्वास के लिए शिवसेना के सांसद एक महीने का वेतन देंगे। यह रकम प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराई जाएगी। युवा सेना प्रमुख ...
भारत को 'इंडिया मुक्त' बनाना चाहता है संघ
- अमर उजाला-25/04/2015
- यहां तक कि हिंदी, हिंदू, हिंदुस्थान का नारा बुलंद करने वाले संघ को हिंदुस्थान का उर्दू तर्जुमा हिंदुस्तान भी रास ... इस आशय का प्रस्ताव संसद में लाने का सुझाव भी संघ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भी भेजा है।
संघ के कौन से अम्बेडकर !
- hastakshep-21/04/2015
- ... गहलोत ने की। http://timesofindia.indiatimes.com/india/IIPA-invites-RSS-leader-Krishna-Gopal-to-speak-on-Ambedkar/articleshow/45682953.cms ... दफा संघ के किसी प्रचारक /पूर्णकालिक कार्यकर्ता/ ने भारत के प्रधानमंत्री के पद की कमान सम्भाली थी जिन्होंने ...
मुस्लिम लीग की तरह हुई RSS की स्थापना : जस्टिस ...
- News Track-03/05/2015
- मुस्लिम लीग की तरह हुई RSS की स्थापना : जस्टिस काटजू ... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के विकास के सभी दावे खोखले हैं, उन्होंने कहा कि हिंदू गाय को माता तो मानते हैं लेकिन जब गाय बूढ़ी हो जाती है और दूध ...
पाकिस्तान के एकमात्र हिंदू चीफ जस्टिस भगवानदास ...
- एनडीटीवी खबर-24/02/2015
- भगवानदास पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के तौर पर काम करने वाले पहलेहिंदू और दूसरे गैर-मुस्लिम ... राष्ट्रपति ममनून हुसैन और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भगवानदास के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किए हैं ...
2050 तक भारत दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम ...
- एनडीटीवी खबर-03/04/2015
- नई दिल्ली: साल 2050 तक भारत दुनिया की सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा हालांकि भारत में हिन्दू ही बहुसंख्यक होंगे, लेकिन मुस्लिम आबादी के मामले में भारत इंडोनेशिया को पछाड़ देगा। इसके साथ ही तब तक दुनिया ...
- Patrika-02/04/2015
- विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (87 और लेख)
क्यों नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत हिंदू सिक्के के ...
- Jansatta-18/02/2015
- सत्ता और सत्ता के बाहर के स्वयंसेवकों के बीच सामजंस्य हो नहीं पाता क्योंकिहिंदू राष्ट्र का वाकई कोई खाका तो है नहीं। दुत्व या ... सवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या सरसंघचालक मोहन भागवत के अलग-अलग बयान भर का नहीं है। सवाल ...
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से 'मिशन अंबेडकर ...
- दैनिक जागरण-12/04/2015
- इसकी अनौपचारिक शुरुआत अंबेडकर जयंती के दो दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से होने जा रही है। संघ और उससे जुड़े संगठनों के बुद्धिजीवियों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 16 व 17 अप्रैल को दो दिवसीय ...
मुस्लिम नाम वाली सड़कों के बोर्ड पर काला रंग पोतकर लगाए हिंदू संगठन के पोस्टर
- dainikbhaskar.com
- May 15, 2015, 16:11 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली में बुधवार रात मुस्लिम नामों वाली कुछ सड़कों के बोर्ड काले रंग से पोत दिए गए। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, साइन बोर्ड पर काला पेंट करने के बाद इन पर ‘शिवसेना हिंदुस्तान’ नामक संगठन के पोस्टर भी लगा दिए गए। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि वह इस मामले की जांच करेगी।
क्या लिखा है पोस्टर्स पर
साइन बोर्ड पर लगाए गए पोस्टर्स पर लिखा था, ‘भारत का इस्लामीकरण मंजूर नहीं, सफर में मुश्किलें आएं हिम्मत और बढ़ती है, कोई अगर रास्ता रोके तो जरूरत और बढ़ती है। जय हिंद! जय भारत!’ पोस्टर्स पर संगठन के कुछ नेताओं के नाम भी लिखे गए थे।
पोस्टर्स लगाने वाले सजा भुगतने को तैयार
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजिंदर सिंह ने माना है कि यह काम उनके ही संगठन की तीन टीमों ने किया है। उन्होंने कहा, "अगर पुलिस के पास इस मामले की शिकायत जाती है और हम दोषी पाए जाते हैं, तो कोई भी सजा भुगतने तैयार हैं। हमने हिंदुस्तान में मुस्लिम नामों वाली सड़कों के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी लिखा था। अब सभी हिंदू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ देख रहे हैं। हमें उम्मीद है कि वह हमारी चिंताओं पर ध्यान देंगे।"
‘शिवसेना से अलग होकर बना है संगठन’
संगठन के सचिव विजय सोनकर ने बताया कि उनका संगठन शिवसेना से अलग होकर बना है। उन्होंने कहा, "शिवसेना सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित है, लेकिन हमने 12 राज्यों में अपना बेस बना लिया है।" सोनकर ने कहा, "हमें शिकायत है कि सड़कों के नाम हमारे उन नेताओं के नाम पर नहीं हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी। देशद्रोहियों के नाम हमारी सड़कों की शोभा बढ़ा रहे हैं।"
सामाजिक प्रतिरोधक क्षमता पर ध्यान देना होगा
---------------------------------------------------------
आज दलित उत्पीड़न की दो घटनाएँ प्रकाश में आयीं हैं एक नागौर राजस्थान की है जहाँ तीन दलितों की ट्रेक्टर से कुचल कर हत्या करदी।बताया जा रहा है कि कोई जमीनी विवाद था इसी की पंचायत में रामपाल गुसाई के दलित पक्ष की ओर से गोली लग गयी जिससे उसकी मौत हो गयी।इससे जाटों का खून खौल गया और तीन दलितों की ट्रेक्टर से कुचल कर जघन्य हत्या करदी और एक महिला की आंख भी फोड़ दी।दूसरी घटना शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की है जहाँ पांच दलित महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया गया।इसकी वजह प्रेम प्रसंग बताया जा रहा है कि एक धानुक (दलित)जाति का लड़का एक कश्यप लड़की को भगा ले गया था जिससे क्रुद्ध होकर लड़के के परिवार की महिलाओं मां चाची ताई को निर्वस्त्र कर घुमाया गया।
उक्त दोनों घटनाएँ दलित पिछड़ों के मध्य घटी हैं और दोनों ही बेहद अमानवीय और क्रूर तरीके से घटी हैं।जिनकी जितनी निन्दा की जाय कम है और निन्दा ही क्यों दोषियों को कठोरतम सज़ा सुनिश्चित की जानी चाहिए।ताकि दलितों के विरुद्ध जातिय दुराग्रहियों को सबक मिल सके।बेहद दुखद है कि एक मामूली सी बात पर दलितों को सामूहिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है जबकि सभी दलितों का कोई दोष भी नहीं होता।अगर कोई मुद्दा है विवाद है तो उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत निपटाना चाहिए मगर अफसोस कि कानून से इतर अपने आप ही दाण्डिक कार्यवाही करने लगते हैं।कानून का शासन यहाँ विकलांग नजर आता है और उसकी मौजूदगी बहुत खलती है उसके होने का क्या मतलब?क्या वह वास्तव में है भी या उसके पुतले भर ऐश कर रहे हैं? दुख तो तब और बढ़ जाता है जब शासन प्रशासन में भी उनके ही सहोदर मिलते हैं जो उन दरिन्दों का ही मार्ग प्रशस्त करते हैं उतने ही अपराधी जितने समाज के छुट्टे सांड़।ऐसे सांडों को बधिया किया जाना ही चाहिए तभी कानून के शासन का कोई मतलब होगा।
दरअसल दुखद तो यह है कि हम सरकार और मनुवाद को कोसकर अपने कर्तव्य की पूर्ति मान लेते हैं और कोई दायित्व नहीं समझ पाते जबकि समय की मांग है कि हम इस स्थिति का सामना करने को खुद को संगठित करें और अपनी "सामाजिक प्रतिरोधक क्षमता" मजबूत करें।लेकिन दिक्कत यह है कि हम संगठन की बात आते ही सत्ता के जाल में उलझ जाते हैं जबकि "सामाजिक प्रतिरोधक क्षमता" सत्ता के जरिये मजबूत नहीं हो सकती।सत्ता तो अपने ही खेल में व्यस्त हो जाती है और सत्ता चले जाने पर मुर्दा बन जाती है।जबतक हम राजनीति को "अपना" मानते रहेंगे तबतक ऐसी नजीर मिलती रहेंगी।जिस दिन हम समाज को अपना मान लेंगे उसी दिन ये अतीत की बातें हो जायेंगी।अभी हमने समाज के लिए मरना नहीं सीखा है बल्कि राजनीति के लिए तैयार हो जाते हैं। जबकि सत्ता ही सबकुछ होती तो बाबा साहेब डॉ० अम्बेडकर मंत्री रहते ही मरते और मा०कांशीराम भी मंत्री बनने से नहीं चूकते।
-----भास्कर-----
संघ परिवार पर उमड़ रहा है चीन का प्यार
|
अर्चिस मोहन / May 14, 2015
|
पिछले मई में जब से नरेंद्र मोदी सरकार ने पदभार संभाला है तब से चीन ने संघ परिवार के प्रति एक बेहतर और नरम कूटनीति अख्तियार की है। नतीजतन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के नास्तिक नेताओं और आस्तिक संघ परिवार से जुड़े सदस्यों के बीच एक नए तरह का संपर्क कायम हो रहा है। अब कोशिश एक नई पहल की है जिसमें दोनों देशों के संबंधों को 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध, औपनिवेशिक दौर के प्रभाव या शीत युद्ध के दौर के नजरिये से बिल्कुल नहीं देखा जाएगा। बल्कि इसके इसके बजाय भारत-चीन के संबंधों को दोनों देशों की 2,500 साल की सभ्यता से जुड़ी कडिय़ों के संदर्भ में समझने की कोशिश की जाएगी। संघ परिवार के सूत्रों के मुताबिक पिछले एक साल में चीन ने कम से कम भारत से 70 प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी की ताकि चीन भारत के कारोबारी समुदाय, युवा नेताओं और संघ परिवार के सहयोगियों तक अपनी पहुंच बना सके। इन प्रतिनिधिमंडलों में हिस्सा लेने वाले या तो संघ परिवार द्वारा नामित थे या वैसे लोग थे जो भारत-चीन संबंधों पर संघ के राष्ट्रवादी नजरिये से इत्तफाक रखते हैं। जून 2014 से चीन की यात्रा पर जाने वाले कई प्रतिनिधिमंडलों में विशेषतौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या संघ परिवार के वरिष्ठ सदस्य शामिल थे। पार्टी के महासचिव राम माधव और सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह भी इनमें शामिल थे। माधव ने एक ऐसे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया जिसने सीपीसी द्वारा अपने काडर के लिए चलाए जा रहे स्कूल का दौरा किया। चीन से वापस आए लोगों ने भारत-चीन संबंधों को सभ्यता की कड़ी से जोड़कर देखने की चीन की कोशिशों की तारीफ की। साथ ही उन लोगों ने यहां के लोगों से आग्रह किया कि भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंध को 'अमेरिका के नजरिये से देखने' की कोशिश बंद होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शिक्षित भारतीय भी चीन के बारे में काफी कम जानते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की साप्ताहिक पत्रिका ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने भी 2012 में चीन की यात्रा की थी। उन्होंने बताया, 'अपनी यात्रा के दौरान मुझे यह जानकर बेहद हैरानी हुई कि चीन के सामान्य लोगों को भी न केवल बुद्ध और डॉ. (द्वारकानाथ) कोटनिस के बारे में पता है बल्कि उन्हें रवींद्रनाथ ठाकुर और अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में भी जानकारी थी। भारतीय लोगों में काफी कम लोग ही होंगे जिन्हें माओ त्से तुंग के बारे में पता होगा, चीन के सुधारक और क्रांतिकारी राजनेता तंग श्याओं फिंग की बात तो छोड़ ही दें।' दिलचस्प बात है कि संघ परिवार के नेताओं ने 1998 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को अपना समर्थन दिया था जिन्होंने कहा था कि चीन भारत के लिए पाकिस्तान से भी बड़ा खतरा साबित हो सकता है। हालांकि हाल की इस नई पहल से संघ परिवार के नेताओं को प्राचीन भारत का दौरा करने वाले कई चीनी यात्रियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। इन चीनी यात्रियों के कुछ ही ऐतिहासिक मूलग्रंथ हैं जो उस दौर में भारत के धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों का वर्णन करते हैं। संघ परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया है कि वह चीन के लोगों को बताएं कि भारतीय चीन की नई 'सिल्क रूट' योजना में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं। साथ ही यह भी बताएं कि बेहतर चिकित्सा सेवाओं के लिहाज से भारत हॉन्ग कॉन्ग की तुलना में चीन के लोगों के लिए कम खर्चीला साबित होगा। दोनों देश एक समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं जिसके मुताबिक चीन के छात्रों को अंग्रेजी भाषा में दक्ष करने के लिए भारतीय शिक्षकों से मदद ली जाएगी। संघ परिवार लघु अवधि में विवादास्पद सीमा विवाद से जुड़े किसी भी प्रस्ताव को लेकर सतर्क है।
मंदिर निर्माण के कार्य में सहयोग करे सरकार : बजरंग दल
जागरण संवाददाता, कपूरथला। विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान राम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ ¨सह की ओर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा का सुझाव देने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष व मुख्य प्रवक्ता नरेश पंडित के कहा कि गृहमंत्री का यह सुझाव पर्याप्त नहीं है। राम मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार को दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देना होगा। केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सुप्रीम कोर्ट में विशेष बेंच का गठन कर मामले का जल्द निपटारा करवाया जाए।
नरेश पंडित ने कहा कि भाजपा के पास राज्यसभा में भले ही बहुमत नहीं है पर लोकसभा में तो है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व को चाहिए कि वह मंदिर निर्माण के लिए पहले लोकसभा में प्रस्ताव पेश करे। जहां तक राज्यसभा में मंदिर के लिए अपेक्षित समर्थन का सवाल है तो इसके लिए विहिप के विशेष संपर्क सेल का उसे समर्थन मिलेगा। यह सेल मंदिर के लिए विभिन्न दलों के सांसदों से समर्थन हासिल करने की कोशिश में है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के नेतृत्व में संतों का एक प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की तैयारी में है। यह दल प्रधानमंत्री से मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने की मांग करेगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर का सवाल खड़ा कर हम सरकार के कामकाज में कोई व्यवधान नहीं खड़ा करना चाहते पर सरकार को भी चाहिए कि वह मंदिर निर्माण में सहयोग करे।
अयोध्या में रामलला के मंदिर पर नरेश पंडित का कहना है कि राम मंदिर बनाने का वादा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के पास इसके लिए इच्छाशक्ति का अभाव है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण का मामला कोर्ट के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। जबकि तीन सुझाव में से किसी एक पर भी अमल किया जाए तो मंदिर बन सकता है। पहला सुझाव यह है कि मंदिर निर्माण का प्रस्ताव कांग्रेस लाए और भाजपा व अन्य दल उसका समर्थन करे। दूसरे सुझाव के तहत आपसी समन्वय व संवाद के जरिए राजनैतिक दल इस मसले को हल कर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करें। तीसरा मुस्लिम समुदाय यह सच्चाई स्वीकार करे कि उन्हें ¨हदुओं से भी ज्यादा अधिकार मिले हुए हैं, इसलिए वे स्वयं मंदिर निर्माण के लिए पहल करे।
इस अवसर पर र¨वदर अरोड़ा, प्रदीप जैन, ओम प्रकाश कटारिया, संजय शर्मा बोबी, रमेश बजाज, राजेश गुप्ता, संजीव बजाज, धीरज बजाज, हर¨वदेर ¨सह लवली, चेतन सूरी, चंदर मोहन भोला, अश्वनी कुमार गुप्ता, विजय ग्रोवर, हरदीप पंडित बावा, राकेश ग्रोवर, राजेश वर्मा, जीवन वालिया, राजकुमार अरोड़ा, राजू सूद, राजकुमार राजू, अमित कुमार शर्मा व अन्य सदस्य उपस्थित थे।
जैज़ -मैंने कभी-कभी सोचा है कि ग़ुलामी के बारे में फलसफ़े की पूरी-पूरी किताबों को पढ़ने की बनिस्बत महज़ इन गीतों को सुनना कुछ लोगों के दिमागों पर ग़ुलामी की भयानक फ़ितरत के...
HASTAKSHEP.COM
Massive protest go on in China every day but we get very little news or pictures. See this
China: Massive Protest in Linshui Intense Repression and Resistance
Tens of Thousands of residents of the southwestern county of Linshui gathered in the morning and marched about 3km. Photos posted by the protesters on social media also showed violent attacks by a police tactical team(SWAT)and the resistance that followed lasted all day and well into the night.
Devanik Saha writes: "Since #Greenpeace has a strong outreach, their propaganda against the #BJP government on contentious environmental issues would hurt India's image and put a dent to#Modi's painstaking efforts."
Their propaganda against the BJP government on contentious environmental issues would hurt India's image and put a dent to Modi's painstaking efforts.
DAILYO.IN
राहुल गांधी ने Narendra Modi सरकार को 10 में 0 नंबर दिए हैं। कॉमेंट करके बताइए कि आप कितने नंबर देते हैं...
NAVBHARATTIMES.INDIATIMES.COM
मोदी सरकार की अटल पेंशन योजना में ऐसी कमियां हैं जो इसके मकसद का मजाक उड़ाती हैं...
खबर में जानें उन कमियों के बारे में...
NAVBHARATTIMES.INDIATIMES.COM
Abhishek Srivastava added 33 new photos to the album:'कविता: 16 मई के बाद' की राष्ट्रीय संगोष्ठी — with Mangalesh Dabral.
भारत और चीन के कारोबारियों के बीच शनिवार को 22 अरब डॉलर मूल्य के 26 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इन समझौतों से अडानी और भारती समूह को सबसे ज्यादा लाभ होगा।
KHABAR.NDTV.COM
It seems to never end...
A woman was allegedly gang-raped by five men at a flat on Saturday-Sunday night. Police have arrested four of the accused, one is absconding.
DAILYO.IN
पूूूँजीपतियों के सबसे अच्छे दिन, मजदूरों के सबसे बुरे दिन।
खट्टर-मोदी सरकार मुर्दाबाद।
पूूूँजीपतियों के सबसे अच्छे दिन, मजदूरों के सबसे बुरे दिन।
खट्टर-मोदी सरकार मुर्दाबाद।
महिलाओं को भी नहीं बख्शा और बात करते हैं बेटी बचाओ। ये बचाऐंगे बेटी क्या?
आज करनाल में गेस्ट अध्यापकों के शान्तिपूर्ण प्रदर्शन पर जो बर्बरता दिखाई है इस बर्बरता ने जलियांवाला बाग़ में डायर ने गुलामी के दिनों की याद दिला दी। लेकिन उस वक़्त भारत गुलाम था। लेकिन आज भारत एक आज़ाद लोकतांत्रिक देश है। क्या आज़ाद देश में भी कोई अपनी आवाज नहीं उठा सकता। मैं आज हमारे देश के विदेशी प्रधानमन्त्री मोदी जी से पूछना चाहता हूँ की वो चुनाव से पहले इन्ही अच्छे दिनों की बात करते थे? इससे तो यही लगता है की इस देश में लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाहों का राज है।
जिन-2 साथियो को चोट लगी है वो किसी भी हालत में हॉस्पिटल पहुंचे और MLR कटवाए और जिन महिला अध्यापिकाओं को चोट लगी है और पुलिस ने जिनके साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया वो करनाल के बाहर किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर FIR दर्ज करवाये ।
क्या यही अच्छे दिन हैं।
कल सभी यूनियन मिलकर हरियाणा बंद करेंगी।
(Raj Singh Godara की वाॅल से साभार)
अवश्य पढ़ें शेयर करे KANHAR DAM – NGT Order –Government exposed but order contradictory http://ow.ly/2YJxYh
Kamayani Bali Mahabal updated her cover photo.
Modi #Unescospeech
Bhanwar Meghwanshi
डांगावास नरसंहार में जिंदा बच गये पीड़ित दलितों से मिलने के लिए कल जा रहा हूँ ,वहां से लौट कर डांगावास में हुए भयंकर जुल्म की असलियत पर लिखुंगा .नागौर जिले में दलितों का उत्पीड़न सबसे भयानक और हिंसक रूप ले चुका है .बर्दाश्त के बाहर है यह अन्याय ..
"For years, Indian political leaders have gone to China and said what the Chinese wanted to hear," writes Harsh V Pant. #ModiInChina #SilkRoad
The dragon has entrenched itself firmly in New Delhi's backyard and the latter's hold on South Asia is weakening.
DAILYO.IN
मोदी की बस्तर रैली के दौरान उनकी आगवानी में नीली कमीज और धूप का चश्मा पहन कर विवादों के घेरे में आए बस्तर के जिलाधिकारी अमित कटारिया ने इस मसले पर अपनी सफाई दी...
प्रधानमंत्री के सामने सनग्लास पहनने वाले DM अमित कटारिया ने...
NAVBHARATTIMES.INDIATIMES.COM
पढ़ें क्यों राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने कहा, वेलफेयर स्कीम के अच्छे मकसद का गला दबाने का प्रयास करती हैं प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियां...
शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने पब्लिक सेक्टर की एक इंश्योरेंस कंपनी पर कई लोगों को गलत तरीके से क्लेम देने...
NAVBHARATTIMES.INDIATIMES.COM
The Economic Times
23 hrs ·
Sweden is keen on partnering with Indian companies to build #SmartCitiesthrough the public private partnership (PPP) mode in states like Karnataka, Telangana and Maharashtra, a senior Swedish official said.http://ow.ly/N33YE
Sweden, which has expertise in urban planning, power, sustainable transport and waste management, sees business opportunities with Indian partners.
ECONOMICTIMES.INDIATIMES.COM
No comments:
Post a Comment