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Thursday, May 21, 2015

जनसंख्या आपकी बहुत है, लेकिन सालाना रिसर्च पेपर (पढ़िए पीएच.डी) छपते है मात्र 187. अमेरिका में छपते हैं 4,367. यूके में 1,326.


Dilip Khan

जनसंख्या आपकी बहुत है, लेकिन सालाना रिसर्च पेपर (पढ़िए पीएच.डी) छपते है मात्र 187. अमेरिका में छपते हैं 4,367. यूके में 1,326. 
पीएचडी का संकट ये है कि सरकार ग्रांट देने में मुंह फुलाती है और फिर इसी का बहाना बनाकर यूनिवर्सिटीज़ में टीचिंग पोस्ट ख़ाली रखती है. दलील ये है कि 'अच्छे पीएचडी' वाले लोग नहीं मिलते.
यानी उनकी कमी है. इसी दलील के आधार पर सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में लगभग 6000 टीचिंग पोस्ट ख़ाली हैं. 
बैलेंस कैसे होता है फिर? एड-हॉक नामक जंतु से. यानी पीएचडी में भी सरकार ने पैसा बचाया और फिर एडहॉक पर कम वेतन में मास्टर रखकर यूनिवर्सिटीज़ में भी बचाया. फिर एक अच्छी सुबह पीएम जाएंगे किसी विज्ञान कांग्रेस में और कह देंगे कि भारत में शोध की पुरानी और मज़बूत परंपरा रही है. लोग गर्व से बैलून की तरह फूल जाएंगे. देखिए, कहीं पिन ना चुभे.

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