Sustain Humanity


Friday, May 1, 2015

राष्ट्रीय झंडे के साथ कोलकाता से शुरु हो चुकी है आजादी की लड़ाई! मेहनतकशों को इस कारपोरेट केसरिया फासिस्ट मनुस्मृति सत्ता के खिलाफ गोलबंद करके हम यकीनन देश जोड़ेंगे,गुलामी की जंजीरें तोड़ेंगे! उनके एटमी सैन्यतंत्र,सलवाजुड़ुम और आफसा के खिलाफ हमारा हथियार भारत का राष्ट्रीय झंडा,झंडा ऊंचा रहे हमारा,मां तुझे सलाम! पलाश विश्वास

राष्ट्रीय झंडे के साथ कोलकाता से शुरु हो चुकी है आजादी की लड़ाई!
मेहनतकशों को इस कारपोरेट केसरिया फासिस्ट मनुस्मृति सत्ता के खिलाफ गोलबंद करके हम यकीनन देश जोड़ेंगे,गुलामी की जंजीरें तोड़ेंगे!
उनके एटमी सैन्यतंत्र,सलवाजुड़ुम और आफसा के खिलाफ हमारा हथियार भारत का राष्ट्रीय झंडा,झंडा ऊंचा रहे हमारा,मां तुझे सलाम!
पलाश विश्वास
राष्ट्रीय झंडे के साथ कोलकाता से शुरु हो चुकी है आजादी की लड़ाई।

मेहनतकशों को इस कारपोरेट केसरियाफासिस्ट मनुस्मृति सत्ता के खिलाफ गोलबंद करके हम यकीनन गुलामी की जंजीरें तोड़ेंगे।

जब कोलकाता में मई दिवस का जुलूस निकालने के लिए देर रातदफ्तर से वापसी के बावजूद सुबह साढ़े सात बजे ही चाय पीकर तैयार होने लगा ,तभी बसंतीपुर से फोन आया भाई पद्दो का,कल रात भी आंधी पानी का तांडव रहा यूपी उत्तराखंड की तराई में।वह जानमाल के नुकसान का ब्यौरा देने की हालत में नहीं था।

फसलों की व्यापक  बरबादी के बारे में उसने जुरु फिक्र जताई और गांव में कुछ घरों के गिर जाने की सूचना भी दी।

कोलकाता से लौटकर तीन बजे टीवी पर समाचार देखा तो फिर भूकंप की खबर।इस बार उत्तर भारत के खेतों और खलिहानों में इतना कहर बरपा है कि देश अनाज के दाने दाने के लिए तरसने वाला है और सुंदरलाल जी की चेतावनी याद आ गयी कि इस महादेश में भविष्य में अन्न का  उत्पादन बंद होने वाला है।

विध्वंसक विकास का सच मुंह बांए खड़ा है।

सुंदर लाल जी ने अरसे से अन्न त्याग दिया है और हिमालय में उकी दौड़ भी बंद हो चुकी है।

हम क्या करें?

घरों और मकानों को भूकंप रोधक बनाने का जो अभियान चला है काठमांडु में भूकंप की आड़ में तेज से तेज हो रहे हिंदू महादेश बनाने के संघ परिवार के मिशन के साथ,उससे प्रोमोटरं बिल्डरों के लिए बिलियन बिलियन डालर मुनाफा कमाने का नयाकेल जरुर शुरु होने वाला है,लेकिन विध्वंसक विकास का यह सिलसिला,सुंदर वन और मैनग्रोव को उजाड़ने का,चप्पे चप्पे पर परमाणु संयंत्र लगाने का और हिमालय समेत देश के प्राकृतिक भगोल को विदेशी पूंजी और विदेशी हितों के हवाले करने का सोने की चिड़िया आखेट देश बेचो नरसंहारी अश्वमेध के घोडो़ं की लगाम थामने के लिए हमने कुछ नहीं किया तो कोई भूकंपरोधक बिजनेस और भूगोल हमें इस कयामत से नहीं बचाने वाला है और राहत और बचाव के लिए दौड़ने वाले चेहरे भी बचे नहीं रहेंगे।

कभी बीटी रोड के दोनों तरफ कारखाने हुआ करते थे।कभी रात दिन जागर हुआ करता था बीटी रोड और हुगली के दोनों किनारे।

कभी देस से कोलकाता कमाने आने वाले पति के विछोह में चंपा त्रिलोचन शास्त्री के शब्दों में कोलकाता पर वज्र गिरे अभिशाप देती थी।

आज उस शिल्पांचल और बंगाल के तमाम कलकारखाने बंद हैं जो बंगाल में कृषि को स्रवोच्च वरीयता देने के दौर में चालू थे और जिस वजह से कोलकाता देश को रोजगार देने का सबसे बड़ा केंद्र था।

आज उसी कोलकाता से ट्रेनों में भर भर कर देश के कोने कोने में रोजगार की खोज में, मजदूरीकी तालश में लाखों बच्चे और जवान निकलते हैं।

कभी मई दिवस पर कोलकाता का रंग लाल हुआ करता था।आज सवेरे सवेरे कोई लाल झंडा कहीं नहीं दिखा न बीटी रोड के किनारों पर और न कोलकाता में।

जबकि अभी अभी कोलकाता में चुनाव की राजनीति का जश्न झंडों की टकराहट का सिलसिला बनायेहुए हैं और झंडों को लेकर लोग अपने स्वजनों को अब भी लहूलुहान कर रहे हैं।

एक दिन पहले बहुत कामयाब बंगाल बंद हो गया।कामयाब रहा परिवहन हड़ताल।लेकिन मई दिवस पर कोई जुलूस कमसकम हमें नहीं दिखा।

मेट्रो चैनल पर जमावड़ा दस से साढ़े दस बजे करने का तय हुआ था और वहां हम नौ बजे बपहुंचकर देखते हैं कि तृणमूलियों ने पूरा इलाका दखल किया है।

चारों तरफ ममता बनर्जी के पोस्टर,बैनर और तृणमूल के झंडे लगे हुए हैं।हमने बाकायदा पुलिस और प्रशाससन से परमिशन लिया हुआ था जबकि सत्ता को कई परमिशन नहीं चाहिए।कोलकाता में फिलहाल लोकतंत्र का यही नजारा है।

इसी स्थान पर नंदीग्राम और सिंगुर में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी ने महीनों तक धरना दिया था और यहीं उन्होंने अनशन किया था। तब हमारा दफ्तर पास ही राजभवन से सटे डलहौजी इसलाके में था और हम बहुत फिक्र में थे कि कहीं ममता पर हमला न हो जाये।

रोज रात दफ्तर से निकलकर मेट्रो चैनल पर आमरण अनशन पर बैठी ममता बनर्जी को देखते हुए हम घर लौटते थे।

तब बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार,उनकी पुलिस और उनकी पार्टी ने उन्हें वहां से बेदखल करने की कोई कोशिश नहीं की।

भूमि आंदोलन की पूंजी और बाजार की पूंजी की सारी ताकतों के समर्थन से मां माटी मानुष की सरकार की मुख्यमंत्री बनने के बाद उसी मेट्रो चैनल पर पुलिस पहरा चौबीसों घंटे हैं और मे्ट्रो चैनल अब पुलिस चौकी है।

हम पुलिस और प्रशासन से परमिशन लेने के बावजूद उस जगह से बेदखल थे और मुट्ठीभर तृणमूली बाहुबलियों ने इलाका दखल कर रखा था।

मुट्ठीभर लोग आये और गाड़ियों के काफिले के साथ राज्यसभा सांसद और इंटक तृणमूल की राष्ट्रीय अध्यक्ष दोला सेन पहुंची तो चैनलों के कैमरे सजे हुए थे।उनने अपना वक्तव्य मीडिया को दिया और साथ साथ तृणमूलियों ने एक दूसरे के हाथ में लाल धागा बांधा।

फिर पुलिस चौकी में कुछ देर आराम करने के बाद उनका भाषण हुआ और तृणमूलियों का मई दिवस खत्म।

कामरेड तो कहीं थे ही नहीं मौके पर।
होते तो उन्हें वे मई दिवस मनाने कीइजाजत यकीनन नहीं देते।

हम मानते हैं कि कल कारखानों में हमारे कामरेडों ने भव्य तरीके से  मई दिवस मनाया होगा।लेकिन सचफिर भी यही है कि कोलकाता की सड़कों पर हमारे कामरेड जैसे दिखा करते थे,मई दिवस पर वे अनुपस्थित थे।

हमने थोड़ा हटकर जमावड़ा किया और ठीक साढ़े दस बजे उनके कुछ दर्जन लोगों के और मीडिया के तितर बितर हो जाने के बाद पहली बार बाबासाहेब बीआर अंबेडकर और लोखांडे की तस्वीरों के साथ,राष्ट्रीय झंडों के साथ अपना जुलूस शुरु किया।

हमारे आगे पुलिस की गाड़ियां,हमारे पीछे पुलिस की गाड़ियां,हमारे दोनों तरफ पैदल पुलिसकर्मी स्त्री पुरुष और हम आर्थिक सुधारों के खिलाफ,मुक्तबाजार के खिलाफ और मनुस्मृति शासन के खिलाफ  नारे लगाते हुए बाबासाहेब जिंदाबाद,लोखंडे जिंदाबाद ,मेहनतकशों की एकता जिंदाबाद और मई दिवस जिंदाबाद के नारों के साथ कड़ी धूप में तमाम श्रमिक संगठनों के नेताओं समर्थकों,बहुजन संगठनों के कार्यकर्ताओं नेताओं,मेहनतकश स्त्रियों और उनके बच्चों के साथ एस्पेलेनड में लाखों आंखों के सामने से निकलकर रेड रोड पर कूच करते हुए बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्ति के सामने जमा होकर लगभग तीन घंटे तक आर्थिक मुद्दों पर मेहनतकश तबके के हक हकूक पर बैठक करते रहे खुले आसमान के नीचे कड़कती धूप में।

हमने निनानब्वे फीसद जनता की आजादी की लड़ाई का ऐलान कर दिया है और मुक्तबाजारी मनुस्मृति शासन के खिलाफ राष्ट्रीय झंडे के साथ फासिस्ट
सैन्यतंत्र के खिलाफ लगातार सड़कों पर उतारने का ऐलान भी कर दिया।

सभी संगठनों के प्रतिनिधि,सभी तबके के लोगों,बंगाल और झारखंड के विभिन्न इलाकों से आये लोगों,छात्रों और महिलाओं ने गुलामी की जजीरें तोड़ने के लिए पहचान और राजनीति को तिलांजलि देते हुए राष्ट्रीय झंडे के साथ राष्ट्रद्रोही देशबेचो सत्ता वर्ग के खिलाफ हर देशभक्त भारतीय को साथ लेकर देश जोड़ने का जनजागरण अभियानशुरु करने का ऐलान कर दिया है।

हम वक्ताओं का नाम जानबूझकर नहीं दे रहे हैं।

हर भारतीय स्वतंत्र और संप्रभू नागरिक इस नेशनल सोशल मूवमेंट का नेता है और वे अपने अपने इलाकों में मेहनतकश तबकों को संगठित करके सड़क पर उतारने की तैयारियां करेंगे,इसलिए कोई नेता हम पैदा नहीं कर रहे हैं।

हमार संख्या मई दिवस मनाने वाले सत्ता समर्थकों से बहुत ज्यादा थी और रिप्रेजेंडिडिव थी,जो दूर दराज के इलाकों से ट्रेनों और बसों से और कोलकाता के विभिन्ऩ इलाकों से पैदल भी आये।उनेक लिए न चाय का बंदोबस्त था और न लंच का कोई पैकेट था।

उन्होंने बहरहाल कोलकाता में  बदलाव की जंग की शुरुआत का इतिहास रच दिया।

हमारी संख्या आज भले ही कम हो,दोश के कोने कोने से जब मेहनतकशों की आवाज गुजेंगी तो यकीनन इस कयामती मंजर के खिलाफ  सुनामी और फासीवादी मुक्तबाजारी मनुस्मृति नस्ली वर्णवर्चस्वी सत्ता के विरुद्ध सड़तकों पर एक सुनामी की रचना होगी जो बचायेगी यह महादेश,प्रकृति,पर्यावरण,मनुष्यता और सभ्यता।

Sharadindu Uddipan writes:
Celebration of LABOR DAY
1st May, KOLKATA:
The activists of Ambedharite Movement made the LABOR DAY as historical day and offered their hearty respect to Dr. B.R. Ambedkar the 1st Indian Labor minister of British Rule (1942-1946) and the main architect of Indian Constitution. Hundreds of workers from different sectors jointly made a rally from Rani Rashmoni Road to the statue of Dr. B.R. Ambedkar at near Fort William. The workers from Bank of Baroda, UCO bank, Lawyers’ Association, Amala Farm Campus and Conscious Bengal started a rally from Metro Channel. They have raised their voice against the brutal corporate attack launched by the Government of India. With the remembrance of International Labor Day originated by the workers of USA the activist focused on Dr. B.R.Ambedkar and his mega inclusive contribution for the people. Truly he is the FAHTER OF MODERN INDIA.
Here I am including some reforms done by Dr. BR. Ambedkar as Labor Minister of India during his time :
He sworn as the Labor Member of the Viceroy’s Executive Council in July 7, 1942.
Reduction in Factory Working Hours (8 hours duty) :
He settled 8 hours working time in place of 14 to 16 hours for workers in India. It was announced on the 7th session of Indian Labor Conference in New Delhi, November 27, 1942.
Right to Trade Union.
Mines Maternity Benefit Act,
Women Labor welfare fund,
Women and Child, Labor Protection Act,
Maternity Benefit for women Labor, 5. Restoration of Ban on Employment of Women on Underground Work in Coal Mines,
Indian Factory Act.
National Employment Agency (Employment Exchange):
Employees State Insurance (ESI):
Dearness Allowance (DA) to Workers.
Leave Benefit to Piece Workers.
Revision of Scale of Pay for Employees.
Coal and Mica Mines Provident Fund
Labor Welfare Funds:
Health Insurance Scheme.
Provident Fund Act.
Factory Amendment Act.
Labor Disputes Act.
Minimum wage.
Really it is a great Day for the people of India to show their respect to the Greatest Indian Dr. B.R.Ambedkar.
Jai Bhim Jai Bharat.
'Celebration of LABOR DAY
1st May, KOLKATA:
The activists of Ambedharite Movement made the LABOR DAY as historical day and offered their hearty respect to Dr. B.R. Ambedkar the 1st Indian Labor minister of British Rule (1942-1946) and the main architect of Indian Constitution. Hundreds of workers from different sectors jointly made a rally from Rani Rashmoni Road to the statue of Dr. B.R. Ambedkar at near Fort William. The workers from Bank of Baroda, UCO bank, Lawyers’ Association, Amala Farm Campus and Conscious Bengal started a rally from Metro Channel. They have raised their voice against the brutal corporate attack launched by the Government of India.'
'Celebration of LABOR DAY
1st May, KOLKATA:
The activists of Ambedharite Movement made the LABOR DAY as historical day and offered their hearty respect to Dr. B.R. Ambedkar the 1st Indian Labor minister of British Rule (1942-1946) and the main architect of Indian Constitution. Hundreds of workers from different sectors jointly made a rally from Rani Rashmoni Road to the statue of Dr. B.R. Ambedkar at near Fort William. The workers from Bank of Baroda, UCO bank, Lawyers’ Association, Amala Farm Campus and Conscious Bengal started a rally from Metro Channel. They have raised their voice against the brutal corporate attack launched by the Government of India.'
Saradindu Uddipan's photo.
Saradindu Uddipan's photo.



जब भूकम्प आता है तो कोई पहचान पत्र लेकर नहीं भागेगा

काठमांडू से हस्तक्षेप के लिए ग्राउंड जीरो रपट में  अजीत प्रताप सिंह ने एकदम सौ टक्का खरा सच लिखा है। आज भी अंडमान में भूकंप आया।कारपोरेटहितं के सबसे मजबूत पैरोकारों में से एक  केंद्रीय मंत्री वेंकैय्या नायडू ने कहा है कि राजधानी नई दिल्ली में अस्सी फीसद घर भूकंप की हालत में ढह जाने वाले हैं।देश के नगरों और महानगरों में कही भी हालात कमोबेश यही है।

उत्तराखंड से एक बहुत अच्छी खबर यह है कि सुंदर लाल बहुगुणा के सुपुत्र और हमारे बड़े भाई फक्कड़ यायावरी पत्रकार संगीतकार राजीव नयन बहुगुणा उत्तराखंड के नये मुख्य सूचना आयुक्त बनाये गये हैं।हम उन्हें निजी तौर पर बधाई कह सकते हैं।

सत्ता को सुंदरलाल बहुगुणा के आंदोलन और विचारों से कोई लेना देना नहीं है।पागल दौड़ के विकास के खिलाफ उनकी चेतावनी से जनमानस बदला भी नहीं है और न मुक्तबाजारी विकास के चकाचौंध में सत्ता और जनता को उनकी खास परवाह है।

हम पिछले जाडो़ं में सिर्फ उनसे मिलने देहरादून गये थे और तबी बीजापुर गेस्ट हाउस में मुख्यमंत्री हरीश रावत के बगल के कमरे में राजीव दाज्यू ने मुझे वहां ठहराया था।

रावत जी से राजीव नयन बहुगुणा की निजी मित्रता है।लेकिन जो नियुक्ति उन्हें मिली है वह सुंदरलाल जी के बेटे होने के कारण नहीं और हरीश रावत के निजी मित्र होने के कारण भी नहीं,हमारे राजीवदाज्यू कारपोरेट मीडिया में जमे नहीं इसलिए कि सच को सच कहने में वे हमारी तरह परवाह नहीं करते।

इस लिहाज से वे हमारे जुड़वां भाई ही ठैरे।गनीमत है कि मैं बिना व्यवधान तमाम बगावतों के बावजूद 1980 से लगातार कारपोरेटमीडिया में कारपोरेटहुए बिना बना हुआ हूं और रिटायर भी यहीं से करने वाला हूं।

तो हम उम्मीद करते हैं कि सरकारी सेवा में होते हुए हम भाइयों की बुरी आदत से वे बाज नहीं आयेंगे और आदतन सच क सच ही कहेंगे।इससे कमसकम उत्तराखंड के तमाम मसलों पर सूचनाएं सरकार और जनता को मिल सकती है और ऐसा संभव बनाने की प्रतिभा भी उनमें हैं।

हम उनसे बिना व्यवधान उत्तराखंड की जनता के हितों से जुड़ी सूचनाएं मांग रहे हैं,जो हम अपने पाठकों के साथ साझा कर सकें।

हम सार्वजनिक तौर पर यह मांग इसलिए कर रहे हैं कि हाशिये पर परमाणु बमों की कंटकसज्जा मे उबल रहे हिमालय न मनुष्यता और न सभ्यता और न पृथ्वी के लिएसलामती  की कोई गारंटी है।उस जख्मी बीमार हिमालयकी हलचल राजीवनयन जी हमसे साझा करें,इसलिए यह सार्वजनिक आवेदन है।

हिमालय और हिमालयी जनता के लिए ही नहीं,सारी मनुष्यता और समूची पृथ्वी की सुंदर लाल जी की पर्यावरण चेतना अकादमिक भूगर्भ शास्त्रीय या मुक्ताबाजारी अर्थशास्त्र का ज्ञान नहीं है। वे गांधी और संत विनोबा के आंदोलन की विरासत के मुताबिक प्रकृतिविरोधी विध्वंसक विकास के खिलाफ आंदोलन करते रहे हैं।

सुदरलाल जी कितना सच कहते हैं या गांधी ने पागल दौड़ की चेतावनी दते हुए कितना सच कहा था,इस कयामती मंजर में उसको न समझने वाले लोग सिर्फ वही है जो इस मुक्तबाजारी महाविनाश से मुनाफावसूली करना चाहते हैं।

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