Sustain Humanity


Friday, May 22, 2015

कैसे नहीं दोगे जमीन? कैसे नहीं दोगे जमीन,देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान कि झीलों और समुंदरों की गहराइयों से मौसम की जमीं पर होने लगी है अग्निवर्षा आतंकियों को मारने के लिए आतंकी बनाना अच्छा: पर्रिकर पलाश विश्वास

कैसे नहीं दोगे जमीन?
कैसे नहीं दोगे जमीन,देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान
कि झीलों और समुंदरों की गहराइयों से मौसम की जमीं पर होने लगी है अग्निवर्षा
आतंकियों को मारने के लिए आतंकी बनाना अच्छा: पर्रिकर
पलाश विश्वास
आतंकियों को मारने के लिए आतंकी बनाना अच्छा: पर्रिकर

कौन है आतंकवादी और कौन नहीं हैं आतंकवादी,कुछ खुलासा कर दें रक्षामंत्री तो इस देश के बेगुनाह नागरिकों और नागरिकाओं को अपनी सुरक्षा का इंतजाम कर लेने में सहूलियत होगी।

कैसे नहीं दोगे जमीन,देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान
कि झीलों और समुंदरों की गहराइयों से मौसम की जमीं पर होने लगी है अग्निवर्षा
न आपातकाल है और न कहीं विनाशकारी पौधे हैं,लकिन भूमिगत ज्वालामुखी के
मुहाने पर खड़ी है बहुमंजिली सभ्यता कि तानाशाह के चरणचचिन्हों के आगे पीछे
कयामत का नजारा अब इस कायनात का जलवा है दोस्तों,
जनता के खिलाफ अब सही मायने में शुरु है आतंकविरोधी युद्ध और अब
हिमालय महाभूंकप के हवाले है तो समुंदरों में ठहरा हुआ है धमाका परमाणु
रेडियोएक्टिव विकिरण की छांव में उड़ रहे हैं ड्रोन कि जंगलों में खिलखिला रहे
तमाम फूल अब सलवा जुड़ुम है और सारा देश आफसा हुआ जाता है
हम भी ईरान या अफगानिस्तान बनने लगे हैं पड़ोसियों के खिलाफ
चूंकि  युद्धघोषणाओं के मध्य हमारी सरजमींपर  निरंकुश सत्ता अब
अपने लिए अनुकूल जनता चुनने लगी है कि देख लीजिये सड़कों पर
होने लगा है मूसलाधार युद्धाभ्यास और इंद्रधनुष का हर रंग अब केसरिया है


कैसे नहीं दोगे जमीन,देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान
कि झीलों और समुंदरों की गहराइयों से मौसम की जमीं पर होने लगी है अग्निवर्षा

ओम थानवी जी माफ करेंगे कि सार्वजनिक तौर पर हम निवेदन कर रहे हैं कि वे अफवाहों के मुताबिक अपनी विदाई से पहले जो नये संपादक के साथ कोलतकाता आ रहे हैं,इस मौके पर हम हाजिर न हो सकेंगे।

कि उनकी विदाई के साथ जनसत्ता में जूट मिल की व्यवस्था चालू है और चाहे अकेले अखबार निकालो,चाहे कुल जमा दो डेस्की साथियों की छुट्टियों के दिनों बिना रेस्टडे काम करते जाओ,चाहे घर वापसी का कोई टाइम न हो और न हो ओवरटाइम जूट मिलों की तरह,प्रेमपत्र जारी हो गया है कि एक मिनट बाओमेट्रिक स्पर्श में देरी हुई कि नहीं,अब वेतन कटेगा या कटेगा अवकाश।

पत्रकारिता में हम जब से हैं यानी 1980 के बाद पहली बार ऐसी पाबंदी लगी है और मैनेजमेंट के लोग फतवा दे रहे हैं और संपादक खामोश हैं।बूढ़ापे में इस फजीहत के बाद फिर क्या मतलब है कि किसी संपादक से हो मुलाकात या नहीं ही हो।

हम तब भी खामोश रहे,जब एक्सप्रेस और एफई के साथी हफ्ते में दो दिनों का अवकाश लेते रहे और कवि संपादक की चुप्पी के बहाने हमें साप्ताहिक अवकाश एक दिन का मिलता रहा।

अब भी इसी हाउस के अंग्रेजी अखबारों में किसी के आने जाने पर कोई पाबंदी नहीं है।सेवा विस्तार में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है।मसले के सार्वजनिक खुलासे के लिए अभी डिसमिस हो जाये,इससे भी मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता।

मौसम खराब हो,रास्ते पर सड़क जाम हो या जुलूस हो रास्ते के दरम्यान या बसें न हो सड़कों पर,मजीठिया पूरी तरह मिला नहीं है और न वायदे के मुताबिक दो क्या एको प्रोमोशन मिला है,एरियर से बिना पीएफ काटे इनकाम टैक्स काटा जा रहा है और उम्मीद हमसे यह की जाती है कि हम अपनी गाड़ी से वक्त पर दफ्तर जरुर पहुंच जाये जबकि एक अदद साईकिल भी हमारे पास नहीं है।

थानवी जी,आप हमारे लिए प्रभाष जोशी से बेहतर संपादक रहे हैं कि जनसत्ता का तेवर आपने केसरिया होने नहीं दिया है,इसका आभार।

हम नहीं चाहते कि आमने सामने कोई तकरार हो जाये और मजा किरकिरा हो जाये मुलाकात का।

राष्ट्र को क्यों होगी मनुष्यता और सभ्यता की दरकार
राष्ट्र है इन दिनों सबसे बड़ा बाजार कि
ওরা রাষ্ট্র বোঝে, মানুষ বোঝে না!...
মহাপুরুষেরা চিরকাল বলে এসেছেন, ভালোবাসো। অন্তর থেকে বিদ্বেষ বিষ নাশো। কিন্তু মাটি আর বায়ুতে বিষ ছড়ায় যারা, তাদেরও কি ভালোবাসতে হবে? ভগবান কি তাদেরও ক্ষমা করবেন?প্রিয় রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর, আপনি লিখেছিলেন ‘প্রশ্ন’ নামের কবিতায়।আজকে প্রিয় কবি, আপনাকেই আমি চিঠি লিখি। আমি...
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अश्वमेध के घोड़े दौड़ रहे हैं सरपट
उनके टापों में दुनिया का भूगोल उथल पुथल
अब सिर्फ खून की नदियां रह गयीं बिन बंधी
बाकी सारा जहां डूब है इन दिनों

इजाजत नहीं है जीने की या मरने की भी
उन तमाम लोगों के लिए जो
जुल्मोसितम के बंदोबस्त के मुताबिक न चले
और वतनफरोशों को नंगा देख लें

घुटने लगी हवाओं की सांसें इन दिनों
और पानियों में है बेपनाह जहर का सिलसिला
चियारिनों का जलवा बेइंतहा सिलसिला
और अजबोगजब उनकी लीला
पंद्रह लाख टके का सूट है
भव्य राममंदिर इन दिनों
रामायण मंदिर इन दिनों
मकडियों का रक्तबीज है
बजरंगियों का यह सैलाब
हिंदू साम्राज्यवाद का
नजारा यह कि अब
मकड़जाल है देश

মাকড়সা বৃষ্টি!
'গুলবার্নের বাসিন্দা ইয়ান ওয়াটসন জানান, ‘মনে হচ্ছিল আকাশ থেকে কোটি কোটি মাকড়সার বাচ্চা পৃথিবীর দিকে ধেয়ে আসছে। শুধু তাই নয়, মাকড়সা বৃষ্টির পাশাপাশি চারপাশ ছেয়ে গেছে মাকড়সার জালে। মাকড়সার জালের কারণে সূর্যটাকেও...www.prothom-alo.com/international/article/533758
ফরসা আকাশ, অথচ মুষলধারে বৃষ্টি হচ্ছে। তবে সেই বৃষ্টিতে নেই পানির ফোঁটা। বৃষ্টির ফোঁটার পরিবর্তে আকাশ থেকে ঝরছে কোটি কোটি মাকড়সা। শুধু তাই নয়, যে এলাকায় এই মাকড়সা বৃষ্টি হচ্ছে সেই এলাকা ছেয়ে গেছে মাকড়সার জালে। সাদা হয়ে আছে চারপাশ। গল্প মনে হলেও সত্যি, দুদিন আগে...
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दिखाओ भइये और दिखाओ
कयामत का मंजर यह
फाइव जी तमाशा है इन दिनों
जनाजा निकला कहीं तो
राजधानियों में कार्निवाल
का बहाना है इन दिनों

बाकीर टू मिनट्स नूडल है
गुगल का रोज बदलता डुडुल है
या फिर जहर जो जहमोहरा
वैसा शीतलपेय है

यमुना एक्सप्रेसवे पर उतारा मिराज को
और अब बहुत दूर भी नहीं है
मध्यपूर्व का तेलयुद्ध
चूंकि भारत अब महाभारत है


Devinder Bhooi
Difference 1900:-2000
Devinder Bhooi's photo.
Devinder Bhooi's photo.


विनाशकारी पौधे कहीं नहीं हैं
सारी झीले टूटने को कसमसा
रही है नैनीतालवालों और
आपातकाल कहीं नहीं है
सिर्फ सलवा जुड़ुम आफसा
का केसरिया कारपोरेट राज
और बाकीर वहीं
अमेरिकी इजराइली
आतंक के विरुद्ध युद्ध

आसमान से बरसने लगे हैं
आग के गोले दनादन
असमय शिलावृष्टि का
वातानुकूलित समय
অবশ্য জ্যেষ্ঠের এই দহন খুব একটা স্থায়ী হবে বলে মনে করছেন না আবহাওয়াবিদেরা। তাঁদের মতে, খানিকটা ঝড়-বৃষ্টি, এর সঙ্গে মৌসুমি বায়ু যোগ হলে গরমের দাপট কমে যাবেhttp://www.prothom-alo.com/bangladesh/article/534553
তীব্র নয়, মৃদু তাপপ্রবাহ বইছে এখন। সঙ্গে যোগ হয়েছে বৃষ্টিশূন্যতা। দুইয়ে মিলে বেশ উত্তপ্ত সারা দেশ। গরমের মাত্রাটা খানিকটা বেশি যেন দেশের দক্ষিণ-পশ্চিম ও উত্তর-পশ্চিম অঞ্চলজুড়ে। আজকালের মধ্যে রাজধানী ঢাকাসহ দেশের মধ্যাঞ্চলে তাপপ্রবাহের বিস্তার হতে পারে। আজ সকালে আবহাওয়া...
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दैनिक हिंदुस्तान की खबर हैःरक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आतंकवाद के खात्मे को लेकर बड़ा बयान दिया है। पर्रिकर ने कहा कि आतंकियों को मारने के लिए आतंकी बनाने में क्या बुराई है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, कई लोग पैसों के बहकावे में आकर आतंकवादी बन जाते हैं। अगर ऐसे लोग हैं, तो फिर हम उनका इस्तेमाल क्यों नहीं करें।

उन्होंने कहा कि आतंकियों के खिलाफ आतंकी इस्तेमाल करने में क्या नुकसान है। हमारे सैनिक ही क्यों जाकर लड़ें। आतंकियों के खिलाफ हमारी रणनीति की प्राथमिकता उन्हें पहले पहचानने और फिर बेअसर करने की है। आतंकियों को मारने के लिए खुफिया जानकारियां जुटाई जा रही हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सीमा पर घुसपैठ कम हुई है और खुफिया प्रणाली मजबूत हुई है। सेना को साफ निर्देश दिए गए हैं कि जो भी घुसपैठ की कोशिश करे उसका सफाया कर दिया जाए। हालांकि सेना को यह एहतियात बरतने को भी कहा गया है कि इस तरह के अभियान में जानमाल का नुकसान न हो और कोई भारतीय जवान शहीद न हों।

उन्होंने कहा कि बंदूक लेकर आने वाले आतंकवादी के साथ मानवीयता का व्यवहार नहीं किया जा सकता। वह हर हाल में सेना के साथ खड़े रहेंगे। सेना के पास गोला बारूद की कमी के बारे में उन्होंने कहा कि अब स्थिति में सुधार हुआ है और इसे बढ़ाने के लिए आयुध फैक्ट्रियों में संसाधन जुटाए जा रहे हैं।

संसद में हाल ही में रखी गई कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि सेना के पास गोला बारूद की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट 2008 से 13 की अवधि के बारे में है और उसके बाद से स्थिति में सुधार हुआ है। पिछले वर्ष ही गोला बारूद के निर्माण में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

कत्लेआम के राजकाज में
शत प्रतिशत हिंदुत्व के
इस दुःसमय में अनंत
बेदखली अभियान के खिलाफ
बहरहाल जनता सड़क पर
उतरे या नहीं ,सत्ता ने
सड़कों पर युद्धक विमान उतारकर
राष्ट्रद्रोही राजकाज के खिलाफ
जनांदोलन कुचलने का
चाकचौबंद इंतजाम कर लिया है

सही मायने में अमेरिकी इजराइली
आतंक के खिलाफ युद्ध
का शुभांरभ हो गया
यमुना एक्सप्रेसवे पर

आपात स्थिति में उतरने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग करने के उद्देश्य से किए गए एक परीक्षण के तहत भारतीय वायुसेना का एकमिराज 2000 लड़ाकू विमान आज मथुरा के समीप यमुना एक्सप्रेसवे पर सफलतापूर्वक उतर गया।

गौरतलब है कि वायुसेना की तरफ से इस बात की जांच की जा रही थी कि क्या इंमरजेंसी हालत में दिल्ली-लखनऊ के बीच एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन को उतारा जा सकता है या नहीं।

ज्ञात हो कि इस स्थान से कुछ ही दूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 मई को जनसभा भी करने वाले हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए आज यहां सुरक्षा का हाईटेक रिहर्सल किया गया।

आईएएफ ने कहा कि यह लड़ाकू विमानों को राजमार्ग पर उतारने की क्षमता दर्शाने के लिए किया गया अभ्यास था। वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया कि लड़ाकू विमान ने मध्य भारत के एक अड्डे से उड़ान भरी थी। उन्होंने कहा, “आईएएफ आपात स्थितियों में लड़ाकू विमानों को उतारने के लिए राजमार्गो के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है। इसी क्षमता का प्रदर्शन वायु सेना ने किया है।”

किसी भी आपात स्थिति में रोड रनवे लैंडिंग के लिए बेहद जरुरी है और युद्ध के दौरान वायुसेना के अड्डे बर्बाद हो जाने की स्थिति में इन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है।
फिलहाल जर्मनी, पोलैंड, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, ताइवान, फिनलैंड, सिंगापुर और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से एक हैं जिन्होंने आपातकाल की स्थिति में एक्सप्रेसवे और हाईवे पर अपने विमान लैंड करने की सुविधा की हुई है।


टेस्‍ट के बाद वायुसेना की ओर से जारी एक रिलीज के मुताबिक, ''फाइटर प्लेनों की लैंडिंग के लिए आईएएफ (इंडियन एयर फोर्स) नेशनल हाई-वेज के यूज के बारे में सोच रहा है। इसी के तहत 'मिराज-2000' एयरक्राफ्ट को यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारा गया। इस दौरान आगरा एयर फोर्स स्टेशन के जरिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल, सेफ्टी सर्विसेज, रेस्क्यू, बर्ड क्लीयरेंस का इंतजाम किया गया। प्लेन उतारने के पहले आगरा व मथुरा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट तथा एसपी से लैंडिंग प्लेस को लेकर को-ऑर्डिनेट किया गया था। लैंडिंग करने से पहले प्लेन जमीन से करीब 100 फीट ऊपर था।

सुबह चार बजे से आठ बजे तक चले पूरे ऑपरेशन में दो किलोमीटर एक्सप्रेसवे के इलाके से आधा किलोमीटर पहले ही ग्रामीणों को रोक दिया गया। इसके लिए हर 10 मीटर पर जवान तैनात कर दिए गए। मोबाइल रडार से ली सेफ लैंडिंग लोकेशन एक्सप्रेसवे को रनवे की तरह इस्तेमाल करने और मिराज विमान की सेफ लैंडिंग व उड़ान भरने के लिए वायुसेना के अधिकारियों ने मोबाइल रडार एक्सप्रेसवे परस्थापित कर दिए। इसी की मदद से हेलीकॉप्टर और मिराज 2000 को उतारा गया।

आज की टेस्टिंग के लिए एयरफोर्स ने अस्थायी कंट्रोल रूम, सुरक्षा सेवाओं, बचाव वाहनों, पक्षियों को हटाने वाले दलों और अन्य जरूरतों सहित सभी तैयारियां कर रखी थीं। एयर फोर्स के एक बयान में कहा गया है,'यह अभियान आगरा और मथुरा के जिला मैजिस्ट्रेटों और एसपी के सहयोग से चलाया गया।'

. वायुसेना के अधिकारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में दूसरे नेशनल हाईवे मार्गों पर भी इस तरह की ड्रिल कराई जायेंगी। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही वायुसेना के बड़े अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर आगरा-लखनऊ हाईवे को (जिसका जल्द ही चौड़ीकरण होने वाला है) इस तरह बनाने की गुजारिश की थी कि उसपर कहीं पर भी फाइटर जेट्स को उतारा जा सके।

अब खेत होंगे,होंगे खलिहान भी
बचे रहेंगे किसान भी कुछ जरुर
सभी फिलहाल मारे नहीं जायेंगे
बचे रहेंगे कुछ लोग फिरभी
कि बाजार के लोगबाग भी
चाहिए खुदरा खऱीददारी के लिए
खरीददारी के लिए पैसे चाहिए

सीमाओं के आर पार मनुष्यता
का भूगोल देख लो भइये कि कैसे
फसल उगाने का बावजूद
किसानों की हंसी लापता है

और बहुत मजबूर है इस
दुनिया के फ्री मार्केट के
अलाव पर पकती यह
सीमेंट की सभ्यता कि
मेहनतकश जनता की
खुशी छीन ली है लंपट
पूंजी की नस्ली सत्ता ने

হতাশ আর বিষণ্ন মুখে বললেন, ‘এক মণ ধান বেইচা আধা কেজি ওজনের একটা ইলিশও কিনতে পারতেছি না।’ http://www.prothom-alo.com/bangladesh/article/534466
জ্যৈষ্ঠ মাসে মেঘনার ঢেউ আরও বেশি থাকে। ঢেউয়ে ভেসে ভেসে বিশাল বজরা নৌকায় ধান আসে। এ বছর ঢেউও নেই, ধানও কম। ইগল পাখির ঠোঁটের মতো বাঁকানো নৌকায় বসে ধান মাপা দেখতে দেখতে এ কথা বলছিলেন কিশোরগঞ্জের নিকলী থেকে আসা কৃষক শহিদ। হতাশ আর বিষণ্ন মুখে বললেন, ‘এক…
हर मर्ज लाइलाज है और हर कोई मरीज है
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মা, বাবাকে বলতেই হেসে উড়িয়ে দেন ছোট্ট তায়্যিবার কথা। কিন্তু তায়্যিবা তার সিদ্ধান্তে অটল। ছোট্ট হাতে সে প্রধানমন্ত্রী মোদিকে চিঠি লিখে। তার অসুস্থতার কথা জানিয়ে সাহায্য চায়http://www.prothom-alo.com/international/article/534541
ছোট্ট তায়্যিবার চিন্তাগুলো ছিল অনেক বড় বড়। তার সঙ্গীরা যখন হেসে-খেলে দিন কাটাতো তায়্যিবা তখন ভাবত অন্য কথা। ভাবত কীভাবে তার চিকিৎসার টাকা জোগাড় হবে? কবে সে মা-বাবার চিন্তা দূর করতে পারবে।আট বছরের ফুটফুটে মেয়ে তায়্যিবা জন্মের পর থেকেই হৃদ্‌রোগে আক্রান্ত। বুঝতে শেখার...
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जीना है तो मरना सीखो
कदम कदम पर लड़ना सीखो
बीस ट्रिलियन डालर की चमचमाती इकोनामी में अंध मध्ययुग का पुनरूत्थान।भारत फिर वही सांप सपेरों,ओझा,साधुओं साध्वियों,जादू,तत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष और योग वियोग का देश,बाकीर सालाना चालीस बिलियन डालर की विदेशी पूंजी का अबाध निवेश
हम तो अपने आसोपास खूब देख रहे हैं कि एको मकान,एको दुकान,एको जमीन कई कई दफा फर्जी कागजात के सहारे बिकते हुए।

तो मोदी महाराज ई सोने की चिड़िया जो इंडिया रहबै करै हैं,उसे कितनी बार किस किस के हाथों बेचने का इंतजाम कर रहे हैं और ई का कि दुनियाभर के हुक्मरान भी वइसन बुरबकै बनेला है,जइसन हमार इंडियाइंक।

कैसे नहीं दोगे जमीन,देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान
कि झीलों और समुंदरों की गहराइयों से मौसम की जमीं पर होने लगी है अग्निवर्षा
न आपातकाल है और न कहीं विनाशकारी पौधे हैं,लकिन भूमिगत ज्वालामुखी के
मुहाने पर खड़ी है बहुमंजिली सभ्यता कि तानाशाह के चरणचचिन्हों के आगे पीछे
कयामत का नजारा अब इस कायनात का जलवा है दोस्तों,
जनता के खिलाफ अब सही मायने में शुरु है आतंकविरोधी युद्ध और अब
हिमालय महाभूंकप के हवाले है तो समुंदरों में ठहरा हुआ है धमाका परमाणु
रेडियोएक्टिव विकिरण की छांव में उड़ रहे हैं ड्रोन कि जंगलों में खिलखिला रहे
तमाम फूल अब सलवा जुड़ुम है और सारा देश आफसा हुआ जाता है
हम भी ईरान या अफगानिस्तान बनने लगे हैं पड़ोसियों के खिलाफ
चूंकि  युद्धघोषणाओं के मध्य हमारी सरजमींपर  निरंकुश सत्ता अब
अपने लिए अनुकूल जनता चुनने लगी है कि देख लीजिये सड़कों पर
होने लगा है मूसलाधार युद्धाभ्यास और इंद्रधनुष का हर रंग अब केसरिया है

अब संघर्ष संवाद के कुछ ताजा लिंकः

जनसंघर्षों की राज्यवार रिपोर्टें


- विस्थापन विरोधी आंदोलन
- राष्ट्रीय संवाद
- विस्थापन विरोधी आंदोलन
हरियाणा
- विस्थापन विरोधी आंदोलन

राज्य दमन

मानवाधिकार

ड़ीसा

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