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Saturday, August 1, 2015

संसद मस्त, आम आदमी पस्त, पैसों की बर्बादी का जिम्मेदार कौन?

संसद मस्त, आम आदमी पस्त, पैसों की बर्बादी का जिम्मेदार कौन?

Reporter ArunKumarRTI NEWS

नई दिल्ली: लगातार दूसरे हफ्ते संसद हंगामे की भेंट चढ़ गया. अब तक इस सत्र में 31 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. 21 जुलाई से शुरू हुए संसद के सत्र में अब तक छह दिन काम होना था लेकिन कुछ घंटे ही काम हो पाया. नतीजा ये हुआ कि खर्च 36 करोड़ रुपये का हुआ जिसमें पांच करोड़ ही कामकाज पर हो सका. सवाल ये है कि आम आदमी के टैक्स के पैसों की बर्बादी का जिम्मेदार कौन है?  

21 जुलाई से संसद के पहले दिन से ही विपक्ष और खास कर कांग्रेस पार्टी ने संसद को नहीं चलने दिया है. कांग्रेस लगातार आईपीएल विवाद में घिरी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांग रही है लेकिन सरकरा पहले ही साफ कर चुकी है लेकिन किसी का इस्तीफा नहीं होगा. हालांकि विपक्ष में सुषमा के इस्तीफे की मांग पर बिखराव है. कांग्रेस और सीपीएम के अलावा कोई कांग्रेस का साथ नहीं दे रहा. विपक्ष के इस हंगामे के बीच आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आम तौर पर एक दिन में पांच घंटे चलने वाली राज्यसभा अब तक 6 दिनों में सिर्फ दो घंटे 9 मिनट चली है. और 8-11 घंटे चलने वाली लोकसभा पिछले छह दिनों में सिर्फ चार घंटे 2 मिनट चल सकी है.

संसद के दोनों सदनों को चलाने में करीब ढाई लाख का खर्च हर मिनट के हिसाब से बैठता है और और करीब 75 लाख हर घंटे का खर्च आता है. अब तक पूर्व राष्ट्रपति कलाम के निधान की वजह से दो दिनों के अवकाश और दो दिन की साप्ताहिक छुट्टी को हटा दें तो पिछले छह दिनों में 31 करोड़ 75 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है. अब तक कुल 36 करोड़ रुपये संसद के संचालन में खर्च हो चुके हैं. जिसमें से उपयोग में कार्यवाही के मुताबिक सिर्फ 5 करोड़ 25 लाख ही आए हैं. सरकार आरोप लगा रही है कि कांग्रेस संसद नहीं चलने दे रही.

सरकार के आरोपों पर कांग्रेस 2010 से 2014 के बीच सदन की सच्चाई बता रही है. 2010 से 2014 के बीच 900 घंटे बर्बाद हुए. जिसमें राज्यसभा के 310 घंटे थे.

कांग्रेस को ये बात समझ में आ गई है कि उसकी मांग पर न तो पीएम चुप्पी तोड़ेंगे और न ही इस्तीफा होगा लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस अपनी मांग से पीछे हटने को राजी नहीं है. सरकार इसलिए उतावली हो रही है क्योंकि अहम विधेयक विपक्ष के विरोध की वजह से दोनों सदनों में पेश तक नहीं हो पा रहे हैं. ये अहम विधेयक हैं. जमीन अधिग्रहण बिल, जीएसटी बिल, रियल इस्टेट बिल, कंज्यूमर प्रोटेक्शन संबंधी बिल, महिलाओं की पंचायत में हिस्सेदारी संबंधी संविधान संशोधन विधेयक, व्हिस्लब्लोअर संबंधी बिल, मोटर एक्ट में संशोधन संबंधी विधेयक, एससी एसटी बिल, दिल्ली हाईकोर्ट संशोधन बिल. 

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