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Sunday, March 1, 2020

बनारस से मुक्ता जी ने लिखा है कि एनडीटीवी ने मेरे लिखे पर कोई खबर बनाई है। मैन नहीं देखी।
मैंने एनडीटीवी या कोई टीवी चैनल दिल्ली में रहते हुए देखा नहीं। फ़ेसबुक पोस्ट से हो सकता है लिया हो। 1984 में 31 अक्तूबर को इंदिरा की हत्या की खबर पिताजी ने एनडी तिवारी के  सरकारी आवास पर सुनी तो वे सीधे अस्पताल पहुंच गए थे। इंदिराजी को उन्होंने गोलियों से छलनी देखा था। दंगा शुरू हो गया था। तिवारीजी उन्हें अस्पताल से निकालकर अपने घर ले गए थे।वहीं से उन्होंने सिखों का नरसंहार को देखा और आखिरी सांस तक वह मंजर नहीं भूले। में मेरठ से दैनिक जागरण निकाल रहा था और दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश और बाकी देश के दंगों से घिरा हुआ था।
आपरेशन ब्लू स्टार के वक्त में रांची में प्रभात खबर में था। स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई का तब नभाटा के राजेन्द्र माथुर और जनसत्ता के प्रभाष जोशी जोरदार ढंग से समर्थन कर रहे थे। सिखों के  सेना में विद्रोह के वक्त भी में रांची नें था।
पूरा मीडिया तब हिन्दू हो गया था। आज की तरह। संघ परिवार का हिंदुत्व तब सिखों के खिलाफ था।दिल्ली और बाकी देश में कांग्रेस और संघ परिवार ने ही सिखों का नरसंहार कराया था। राजीव गांधी को 1984 के चुनाव में हिन्दू हितों के नाम ढंग परिवार ने खुला समर्थन दिया था और इसीके बदले में राजोव गांधी ने राम मंदिर का ताला खुलवाकर भारत को हिन्दुराष्ट्र बना देने की शुरुआत की थी।
मेरठ में मलियाना और हाशिमपुरा नरसंहार भी हमने देखें। तब मेरठ मेडिकल कालेज में पिताजी tb का इलाज करा रहे थे।
मुक्ताजी ने व्हाट्सएप्प पर लिखा है
NDTV par khabare mil rahi thi aapane aankho dekha haal bataya..84 ke dango me mai Delhi me Harinagar me rahati thi jo dango ki giraft me tha . Do chote bacho ke saath mai swayam bhuktbhogi thi.

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