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Tuesday, May 12, 2015

क्या अल्पसंख्यक वोटबैंक बुरबक हैं ,हैं तो बहुसंख्यक फिर क्या हैं? नेपाल में फिर भूकंप कांप गये दिल्ली और कोलकाता के हुक्मरान भी मुक्तबाजारी हिंदू साम्राज्यवाद इस महाभूकंप के लिए सबसे बड़ा अपराधी है,धर्म,पर्यटन और विकास के नाम पर हिमालय से लगातार लगाता छेड़छाड़ का नतीजा यह है,इसे जितनी जल्दी हम समझें,उतनी ही सुरक्षित रहेगी यह पृथ्वी। अब तो दोस्तों,कुछ इस पृथ्वी और सभ्यता को बचाने के बारे में पहल करने की सोचो। पलाश विश्वास

क्या अल्पसंख्यक वोटबैंक बुरबक हैं ,हैं तो बहुसंख्यक फिर  क्या हैं?
नेपाल में फिर भूकंप
कांप गये दिल्ली और कोलकाता के हुक्मरान भी
मुक्तबाजारी हिंदू साम्राज्यवाद इस महाभूकंप के लिए सबसे बड़ा अपराधी है,धर्म,पर्यटन और विकास के नाम पर हिमालय से लगातार लगाता छेड़छाड़ का नतीजा यह है,इसे जितनी जल्दी हम समझें,उतनी ही सुरक्षित रहेगी यह पृथ्वी।
अब तो दोस्तों,कुछ इस पृथ्वी और सभ्यता को बचाने के बारे में पहल करने की सोचो।


पलाश विश्वास
IMD says fresh tremor came as aftershock of the previous quake in Nepalhttp://wp.me/p2ULv5-dWQ
New Delhi, May 12 (ANI): The Director of Seismology department of Indian Meteorological Department, JL Gautam on Tuesday gave details into the fresh...
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अभी कुछ देर पहले फिर से भूकंप के बहुत तेज झटके महसूस किए गए। फोटो पर क्लिक करके जानें कि भूकंप के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं...
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Jansatta's photo.
कार्टून कोना...
क्या अल्पसंख्यक वोटबैंक बुरबक हैं ,हैं तो बहुसंख्यक फिर  क्या हैं?
नेपाल में फिर भूकंप।
कांप गये दिल्ली और कोलकाता के हुक्मरान भी।

Massive ‪#‎tremors‬ were felt in ‪#‎Delhi‬, ‪#‎Lucknow‬, ‪#‎Kolkata‬ and other parts of ‪#‎NorthernIndia‬. The earthquake was of 7.4 magnitude on Richter scale | http://goo.gl/AkrsLa
Massive tremors were felt in Delhi, Lucknow, Kolkata and other parts of Northern India. The earthquake was of 7.4 magnitude on Richter scale
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भारत और नेपाल के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। कॉमेंट में बताइए कि आपने झटके कहां महसूस किए... फोटो पर क्लिक करके पढ़िए खबर...
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LIVE: नेपाल में 7.4 तीव्रता का भूकंप, भारत में भी झटके, यूपी में एक की मौत

दैनिक भास्कर
- ‎8 मिनट पहले‎





नेपाल में भूकंप की यह वीडियो सोशल साइट पर पोस्ट की गई है। इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत, नेपाल और चीन में मंगलवार को भूकंप के छह झटके महसूस किए गए। भूकंप का पहला झटका दोपहर 12:35 बजे आया। इसकी रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.4 बताई गई है। इसके बाद 12 बजकर 47, एक बजकर 11 मिनट, 1:35 बजे ,1:42 बजे और छठा झटका 1:51 बजे महसूस किया गया। इसका प्रभाव दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश में भी महसूस किया गया। उत्तर प्रदेश के संभल और हमीरपुर में घर गिरने से दो व्यक्ति की मौत की खबर है। वहीं, बिहार में सात ...

देख लीजिये जनाब,नेपाल में बेआबरु होने के बावजूद भारतीय मीडिया का बिंदास तेवर कि भारत और नेपाल के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। कॉमेंट में बताइए कि आपने झटके कहां महसूस किए... फोटो पर क्लिक करके पढ़िए खबर...


हमने चेतावनी दी थी कि राजधानी दिल्ली समेत धर्मोन्मादी समूची गायपट्टी भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील है।अब प्रकृति ने भी अपनी चेतावनी दे दी है।

हम कोलकाता और बंगाल की सेहत के लिए लगातार सुंदरवन को बनाये रखने की बात कर रहे थे तो प्रकृति विरोधी,मनुष्यता विरोधी हिंदू साम्राज्यवादी मुक्तबाजारी कयामत एजंडा का भी हम लोग लगातार पर्दाफाश कर रहे हैं।

संसदीय राजनीति के तिलिस्म में फंसे अल्पसंख्यकों को लेकर वोटबैंक की राजनीति बंगाल में मुसलमानों और हिंदुओं को बुरबक बनाकर धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण है और आज हमने मोदी ममता बंधुत्व के मधुर परिवेश पर इसी मुद्दे पर फोकस करना चाहते थे।लिखने बैठा ही था कि फिर महाभूकंप।

महाभूकंप की खबरें तो आपको मीडिया देती रहेगी,लेकिन प्रकृति और पर्यावरण के बारे में बुनियादी मुद्दों पर ही हमारा फोकस बना रहेगा।

अब तो दोस्तों,कुछ इस पृथ्वी और सभ्यता को बचाने के बारे में पहल करने की सोचो।

राजधानी में अभी बहुमंजिली सभ्यता सकुशल है और कोलकाता में सभ्यता की नींव हिली भर है।

इससे पहले नेपाल के दो दफा महाभूकंप के बाद अंडमान और कच्छ में भी भूकंप के झटके महसूस किये गये।

प्रशांत महासागर में सुनामी की चेतावनी जारी हो चुकी है।लेकिन भारत में सत्तावर्ग के प्रकृति और मनुष्यता के खिलाफ लगातार जारी बलात्कार के खिलाफ आवाजें सिरे से गुम हैं और धर्मोन्मादी आलाप प्रलाप घनघोर है।

इससे बड़ा दुस्समय शायद मनुष्यता के इतिहास में कभी नहीं आया जबकि देश बेचो सत्ता की सर्वोच्च प्राथमिकता है और धर्मोन्माद ही राष्ट्रीयता है।

नेपाली जनता ने इस धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद को धूल चटा दिया और भारतीय मीडिया के मोदियापे को बेआबरु करके घरके वापस घर बेच दिया।फिरभी शर्म लेकिन आती नहीं है।

मोदी की चीन यात्रा की तैयारियों के सिसिले में भारतीय मीडिया का वही मोदियापा चरम पर है।

मोदी के चीन में होने वाले स्वागत की तैयारियों का लाइव प्रसारण है।

नेपाल का महाभूकंप एक इवेंट की तरह मीडिया कार्निवाल बना रहा जबतक न कि सलमान को जेल और बेल का सिलसिला शुरु हुआ।फिर दीदी मोदी और अब अम्मा की सुर्खियों ने बुनियादी तमाम मुद्दे हाशिये पर धकेल दिये।

अब मीडिया पर फिर महाभूकंप है।
फिरभी चीखती सुर्खियों में कोई सरोकार नहीं है।

हमारे विचारवान मित्र अक्सर बहुत झल्लाकर कहा करते हैं कि ये पब्लिक का कसूर है कि वह हमेशा मनुष्यता और सभ्यता के खिलाफ युद्ध अपराधियों को सत्ता के शिखर तक बैठाती है और निरंकुश दमन और उत्पीड़न के अश्वमेधी घोड़ों की टापों से लहूलुहान होकर अपने जख्मों को चाटती हुई अपनी अपनी किस्मत का रोना रोती है।उनके मुताबिक दरअसल यह पब्लिक ही किसी बुनियादी बदलाव के खिलाफ है और गुलामी की जंजीरें ही उसके लिए आजादी है।

भाइयों,अब ठीक 271 दिन बाकी हैं पेशेवर पत्रकारिता से हमारे रिटायर होने को।यूं बचपन से पत्रकारिता कर रहा हूं।हाईस्कूल पास करते ही नैनीताल जीआईसी के दिनों में ही नैनीताल के दैनिक पर्वतीय में टिप्पणियां लिख रहा था मैं।विश्वविद्यालय में दाखिला लेते न लेते चिपको में शामिल हो गया।अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई के बावजूद पंफलेट और बुलेटिन हिंदी में लिखने की गरज थी,जो बचपन से पिता की एक्टिविज्म से हमारी आदत बनी हुई थी।इसपर नैनीताल समाचार और पहाड़ की टीम और हमारे गुरु जी ताराचंद्र त्रिपाठी का अंकुश।जनोसरोकार के मुद्दों को छोड़कर लिखने की मनाही थी।

झारखंड को समझने धनबाद कोयलांचल पहुंचा तो 1980 में पेशेवर पत्रकारिता में फंस गया जिंदगीभर के लिए।झारखंड में आंदोलन और कोयला खानों की भूमिगत आग में झुलसता दहकता रहा।

झारखंड से 1984 में मेरठ पहुंचा ठीक आपरेशन ब्लू स्टार के बाद और यूपी में बैठकर सिखों के जनसंहार से लेकर मलियाना और हाशिमपुरा नरसंहार के चश्मदीद बनने के बाद पूरे भारत को राम के नाम धर्मोन्मादी बनकर खंड खंड विखंडित होते रहने का सिलसिला बनते देखा।

बरेली और बिजनौर के शहरों को जलते हुए देखने के बाद जब बरेली से कोलकाता रवाना हुआ और ट्रेन में ही था तो गढ़वाल में महाभूकंप से तबाही मच गयी।वह महाभूकंप अभी जारी है।
इसीलिए मेरे लिए नेपाल और गढ़वाल की मनुष्यता को राजनीतिक सीमा के जरिए अलग अलग देखना बेहद मुश्किल है।

जब से कोलकाता आया,तब से नवउदारवादी मुक्तबाजारी सत्तावर्ग ने लगातार लगातार इस महादेश में पल छिन पल छिन भूकंप और महाभूकंप का सिलसिला बनाये रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।हाशिये पर अस्पृश्य हैसियत से यह सब झेल रहा हूं।

इसीलिए जनता के बुनियादी मुद्दों को हम राजनीतिक और धार्मिक या संस्कृतिक मुद्दा नहीं मानते।

यह सामाजिक यथार्थ का आइना है जो अर्थव्यवस्था पर काबिज वर्गीय नस्ली रंगभेदी वर्ण वर्चस्व की फसल है।

आर्थिक मुद्दों से भी ज्यादा ये तमाम जव्लंत मुद्दे हमारे लिए मनुष्यता, सभ्यता,प्रकृति और पर्यावरण के मुद्दे हैं।

आज भी हम लगातार महाभूकंप के शिकंजे में हैं।

जान माल का नुकसान जहां भी हो रहा है,हमारे स्वजन ही मारे जा रहे हैं।

जहां भी हिमालय जख्मी होता है,जहां भी समुंदर में तेल कुंओं की आग दहकने लगती है,जहां भी सलवा जुड़ुम और आफसा में मनुष्यता लहूलुहान होती है,वह इस कायनात के लिए कयामत का मंजर ही है।

माफ कीजिये,यह कारपोरेट पत्रकारिता नहीं है।हम कारपोरेट की नौकरी जरुर करते हैं लेकिन कारपोरेट गुलाम नहीं हैं और इसीलिए डफर हैं।

मगर हम मोर्चे पर अपने स्वजनों के साथ,अपनी जड़ों के साथ,अपनी नदियों, घाटियों, पहाडो़ं जल जंगल जमीन के साथ खड़े होकर ही हम इस कयामत का मुकाबला कर सकते हैं और इसीलिए हम आर्थिक मुद्दों से प्रकृति और पर्यावरण के मुद्दों को कभी अलग नहीं मानते।

मुक्तबाजारी हिंदू साम्राज्यवाद इस महाभूकंप के लिए सबसे बड़ा अपराधी है,धर्म,पर्यटन और विकास के नाम पर हिमालय से लगातार लगातार छेड़छाड़ का नतीजा यह है,इसे जितनी जल्दी हम समझें,उतनी ही सुरक्षित रहेगी यह पृथ्वी।

हमारे विद्वत जन मनुष्यता को खांचों में बांटने के विशेषज्ञ हैं,जैसे हमारे राजनेता मनुष्यता को अस्मिताओं में बांटने के अभ्यस्त हैं।

हम इस राज्यतंत्र को बदलने की सोचते ही नहीं है क्योंकि कुल मिलाकर हम पढ़े लिखे लोग गायक अभिजीत ही हैं और अभिजीत की मानसिकता माफी मांगने के बावजूद जैसे बदली नहीं है,वैसी ही बिन माफी मांगे हम अपने से कमतर इंसानों के मुकाबले अपनी अपनी बेहतरी,अपनी नियमतों और अपनी अपनी बरकतों के दखलदार हैं और सामाजिक यथार्थ लेकिन वहीं निरमम शाश्वत सत्य है कि कुत्ते की तरह जीनेवाली मनुष्यता फर्राटा बुलेट बहुमंजिली सभ्यता की बेरहम दरिंदगी से हर वक्त कुचलती रहेगी और अंधा कानून कभी न्याय नहीं करेगा।

सत्ता समीकरण में अल्पसंख्यकों की निर्णायक भूमिका होती है और कारपोरेट राजनीति के लिए,जनविरोधी नीतियों और जनसंहारी सत्ता के लिए हम इन्हीं अपल्पसंख्यकों को जिम्मेदार मानते हैं।

फिर हम लोकतांत्रिक बंदोबस्त में अपना अपना हिस्सा मांगने जब खड़े होते हैं तो फिर वही सत्ता समीकरण साधने की गरज से अल्पसंख्यकों के वोट दखल करने के गृहयुद्ध का महाभारत सजाते हैं।

फिरभी हम कभी भी राज्यतंत्र को बदलने के बारे में सोचेंगे नहीं।
सोचेंगे नहीं कि कैसे अस्मिताओं की इन चहारदीवारियों को तोड़ा जाये।

हम जनमजात अल्पसंख्यकों में शामिल हैं।देशभर में छितरा दिये गये सारे शरणार्थी अल्पसंख्यक ही हैं।बंगाल के भूगोल इतिहास से बाहर हम पूर्वी बंगाल से विभाजन की त्रासदी का बोझ ढो रहे पीढ़ी दर पीढ़ी तमाम बंगाली शरणार्थी देश भर में अपनी मातृभाषा सहेजते हुए अल्पसंख्यक ही हैं।

बगाल में तो दलित और आदिवासी भी मुसलमानों की तीस फीसद आबादी के मुकाबले अल्पसंख्यक ही ठहरे।

खुशवंत सिंह ने सिखों के बारे में जितना बिंदास लिखा है,वैसा किसी दूसरे ने अबतक न लिखा है।

आपरेशन ब्लू स्टार के बाद सिखों को लेकर संता बंता से बाहर अलग कोई चुटकुला कभी नहीं सुनाई पड़ा।

बारह बजे सरदारों के बारह बजने वाला चुटकुला भी अब कोई दोहराने की हिम्मत नहीं कर सकते क्योंकि सिखों ने 1984 के नरसंहार के खिलाफ लगातार लगातार अपना संघर्ष जारी रखते हुए लाखों लोगों की कुर्बानियों से साबित किया है कि सिख बेवकूफ नहीं होते।

फिर भी सिखों के नरसंहार में जो हिंदू साम्राज्यवादी सबसे बड़ा अपराधी है,सिखों की राजनीति उसके साथ सत्ता शेयर कर रही है।

मेरे पिता से बहुत लड़ाई होती थी कि वे राजनेताओं से क्यों संवाद करते हैं,क्यों प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों और मुख्यमंत्रियों,नारायण दत्त तिवारी और केसी पंत के भरोसे रहते हैं।

देशभर में छितरी शरणार्थी आबादी देखने के बाद ही हम समझ सके हैं कि एक गांव,दो गांव दस या चालीस गाांवों की आबादियों में बसे अपने स्वजनों की सुरक्षा की गारंटी चूंकि सत्ता ही दे सकती है,इसलिए सत्ताविरोधी होने के बावजूद उऩकी मजबूरी रही है कि अपने लोगों की जान माल की सुरक्षा के लिए वे केंद्र और राज्यों के सत्तादल के संपर्क में रहे।

देश भर में शरणार्थी आंदोलन का यही किस्सा है और अब भी इस सत्ता समर्थक शरणार्थी आंदोलन का हम उतना ही विरोध करते हैं।लेकिन हम अपने लोगों की मजबूरी बेहतर समझते हैं और उनके साथ सत्ता समर्थक बने जाने से परहेज करते हुए भी उनके खिलाफ बोल नहीं सकता।

हम इस शरणार्थी अस्मिता को ही तोड़ने के फिराक में हैं और हम चाहते हैं कि किरचों में बिखर जायें तमाम अस्मिताएं ताकि हम फिर इस विभाजित देश को,इस विभाजित महादेश,विभाजित मनुष्यता  को नये सिरे से जोड़ सकें और इसीलिए प्रकृति और पर्यावरण के मुद्दे हमारे लिए अहम हैं।

सच्चर कमेटी की रपट से साफ हुआ कि वामदलों ने मुसलमानों को गुलाम वोट बैंक बनाये हुए है और ऐसा अहसास होते ही मुसलमानों ने एकमुश्त वोट करके वामशासन का अंत कर दिया।फिर मां माटी की सरकार यही खेल उनके साथ कर रही है।

ममता बनर्जी सिर्फ मुसलमानों का वोट बैंक को नजर में रखकर खुल्ले में संघ परिवार के साथ नहीं है,वरना वे कदम कदम पर संघ परिवार के साथ हैं।

इस सच को छुपाने के लिए वे लगातार मोदी पर प्रहार करती रहीं और मौका आने पर फिर संसद और संसद के बाहर वे मोदी के साथ हैं और अब बहाना विकास का है।

मुसलमानों के साथ धोखा हो रहा है,जमीन अधिग्रहण कानून के खिलाफ नये सिरे से जिहाद रचकर पीपीपी माडल में बंगाल को गुजरात बनाने वाली ममता बनर्जी इस सच को हरगिज छुपा नहीं सकती।

सवाल यह है कि क्या बंंगाल के मुसलमान इतने ही बुरबक है कि वे दीदी का खेल समझते नहीं हैं।वे जैसे वामदलों का खेल शुरु से ही समझ रहे ते वैसे ही वे दीदी का खेल समझ रहे हैं।

मौका मिलते ही मुसलमानों ने वामदलों की गद्दी जैसे उलट दी,वैसे ही वे दीदी का सिंहासन भी उलट सकते हैं।

मुसलमानोें के लिए बुनियादी मुद्दा उनके विकास का नहीं है,इसे समझिये।

अस्सी के दशक में  सिखों ने जो भोगा और अपनी और अपने सगों की जान बचाने के लिए इस आजाद देश में जो हालत उनकी हुई थी,उसको भी समझिये।

बाबरी विध्वंस और गुजरात में नरसंहार और देश भर में दंगे,फर्जी मुठभेडों का अनंत सिलसिला और आंतकवाद और अपराध के तमाम मामले जिनके खिलाफ हो,तेजी से बन रहे हिंदू राष्ट्र में बहुसंख्यकों की तरह विकास और लोकतंत्र के बारे में जाहिर है वे सोचने की हालत में नहीं है।

उन्हें भी अपने और सगों की जन माल की सुरक्षा की चिंता सताती है और सत्ता के संरक्षण के लिए वे अपने हक हकूक कुर्बान कर दें,तो इसे उनकी वेवकूफी समझने की भूल न करें।

मान लिया के सारे अल्पसंख्यक बुरबक वोटबैंक हैं तो कृपया बहुजनों और बहुसंख्यकों की वह मजबूरी बताइये,जिसके तहत विनाशकारी सत्ता,मनुष्यऔर प्रकृतिविरोधी मिलियनर बिलियनर सत्तावर्ग के खिलाफ वे गोलबंद नहीं होते।

जब तक विध्वंसक हिंदू साम्राज्यवाद के खिलाफ तमाम अस्मिताओं की दीवारें तोड़कर राज्यतंत्र पर वर्गीय कारपोरेट केसरिया राजकाज के खिलाफ बहुसंख्य जनता को मोर्चाबंद करने की पहलकदमी नहीं होती तबतक अल्पसंख्यकों को कृपया उनकी मजबूरी के लिए बेवकूफ और मौकापरस्त न कहें।

आप पहले खुद मजबूती के साथ सत्ता के खिलाफ खड़ा होने की हिम्मत तो कर लें।


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In 2009, the El Nino brought the worst drought in four decades to India.
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Chhandak Chatterjee with Agniswar Serampore and 43 others
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ধরা পরে যায় দেহ টাই
সর্ববৃহৎ গণতন্ত্র । বড় লোকের গনতন্ত্র, বেনিয়া, মাফিয়া,পা চাটা কুত্তাদের গনতন্ত্র । সালমান খান মানুষ মেরে ১৩ মিনিটে বেল পেয়ে যান । জয়ললিতা লক্ষ কোটি টাকার দুর্নীতি করে জেলের বাইরে থাকেন, সুশান্ত ঘোষ বাদে গনকবরের জন্মদাতা তাবড় সিপিএম নেতারা ল্যাবেঞ্চুস খান আর আদিবাসীদের অধিকারের লড়াই করতে গিয়ে মরতে হয় লালমোহন টুডু কে, কারাগার হয় সুখশান্তি বাস্কে, ছত্রধরের...
ছিতামনি মুরমু’র চোখ যে পুলিশ বন্দুকের কুঁদো দিয়ে ফাটিয়ে দিয়েছিল তার বিচার হয় না । বিচার হয় না যারা জঙ্গল তুলে দিয়েছিল জিন্দাল দের হাতে । বিচার হয় ভুমিপুত্র-কন্যা দের । যেখানে ১৮০ দিনে চার্জশিট দিতে না পারলে খালাস করবার কথা UAPA আইনে লেখা আছে, সেখানে ৬ বছর জেল খাটবার পরে আবারও হয় ফাঁসি নাহলে কারাগারের অন্ধকূপ ।
লালগড়ের আইকন টাকেই মুছে দিতে চাইছে পুঁজির দালালরা । যেমন করে ৮বি তে লেনিন মূর্তি ভাঙা হয়, যেমন করে লেনিনের কবর স্থানান্তরিত করবার চেষ্টা চলে । লালগড় একটা হুল । জোত জমি জঙ্গল বাঁচানোর সংগ্রাম । এতদিন ধরে আদিবাসীদের উপর যে নির্লজ্জ অত্যাচার চলেছে তা প্রতিরোধ করার লড়াই । আদিবাসীদের দাবী ছিল যে পুলিশ অত্যাচার করেছে তাদের এসে ক্ষমা চাইতে হবে । পুলিশ ক্ষমা চায়নি । ফুঁসে উঠেছিলেন দেশপ্রেমিকরা । জঙ্গলে অতন্দ্র রাত পাহারায় থাকতেন বীরসা । শতশত গ্রাম কমিটি তৈরি হয়েছিলো সক্কলের মতামত নিয়ে সংগ্রাম এগিয়ে নিয়ে যাওয়ার জন্য । দেশ বাঁচানোর জন্য সেদিন প্রান দিয়েছিলেন বীর সন্তানরা । তার বিচার হয় না । কাঁধে কুড়ুল-টাঙ্গি, ধামসা মাদল নিয়ে লাখে লাখ মিছিল করেছে সিধো কানুদের ছানারা ।
সেদিন যারা পাশে দাঁড়িয়েছিলেন তাদের কয়েকজন বাদ দিয়ে সকলেই গলায় পরে নিয়েছেন সরকারি ঘণ্টি । ইয়েস স্যারের ঘণ্টি । অমন মন্ত্রিত্বে, অমন কমিটির সদস্যদের মুখে মুতে দেয় লালগড়... লালগড় থেকে লাতেহার ফুঁসছে । মানুষ লড়াই করবেই, তাকে বাঁচতে হবে না ?? খেটে খেতে হবে না ??
দেশদ্রোহীরা সাবধান, দেশ প্রেমিকারা জাগছেন জঙ্গলে বন্দরে নগরে প্রান্তরে...
Chhandak Chatterjee's photo.



No Place To Live, No Place To Die
With no access to burial grounds, members of the ‪#‎Kalbelia‬ community in‪#‎Rajasthan‬ are forced to bury the dead in their own courtyards |http://goo.gl/7GzH5L
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सौगंध राम की खाते है -- मंदिर वहीं बनाएंगे -- लेकिन तारीख नहीं बताएँगे
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Gopal Rathi

प्रधानमंत्री Narendra Modi को मुस्लिम संस्कृत में खत क्यों लिख रहे हैं, फोटो पर क्लिक करके जानें...
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गरीबों की संख्या बढ़ाकर दिखाने से प्रधानमंत्री Narendra Modi को क्या फायदा होगा, फोटो पर क्लिक करके जानें...
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तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता को भ्रष्टाचार केस में हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक जज ने 10 सेकंड में जयललिता को बरी कर दिया। पढ़ें पूरी खबर -
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता को भ्रष्टाचार केस में हाई कोर्ट ने बरी कर...
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Sources said Manohar Parrikar will take up acquisition of two Boeing 777-300 (extended range) aircraft for exclusive use by President Pranab Mukherjee and Prime Minister Modi.
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PM Narendra Modi recently laid out an aggressive roadmap for the industry to cut India's import dependence in oil by 10% in seven years from 78% now.
With the 'jinx' of 7 straight years of oil production decline broken, projects delayed for years at ONGC have been put on 'fast-track.' ONGC's Dinesh K Sarraf says the company is ready to take a leading role in helping the country achieve energy security.
Your thoughts?
ONGC Dinesh K Sarraf feels he has succeeded in inducing something fundamental into the company: Confidence.
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Rahul Gandhi accuses Modi government of hurting fishermen's interest - Highlighting the issue, Rahul said, while government has extended the ban on...
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दाऊद इब्राहिम के मुद्दे पर सरकार के लगातार अलग-अलग बयान आ रहे हैं। फोटो पर क्लिक करके पढ़िए...
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