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Saturday, January 9, 2016

भारत जैसे देश में अल्पसंख्यक कट्टरता समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रही है। वह इस देश की सामासिक संस्कृति के लिए एक गंभीर खतरे की घंटी है। अल्पसंख्यक कट्टरता उस बहुसंख्यक कट्टरता को खाद और पानी मुहैया कराती है, जिसके परिणाम स्वरूप किसी भी देश और समाज में फासीवादी प्रवृत्तियां पनपती हैं।

भारत जैसे देश में अल्पसंख्यक कट्टरता समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रही है। वह इस देश की सामासिक संस्कृति के लिए एक गंभीर खतरे की घंटी है। अल्पसंख्यक कट्टरता उस बहुसंख्यक कट्टरता को खाद और पानी मुहैया कराती है, जिसके परिणाम स्वरूप किसी भी देश और समाज में फासीवादी प्रवृत्तियां पनपती हैं।
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हम उन तमाम लोगों की समझ पर भी शर्मिन्दा है, जो मालदा की घटना से गौरवान्वित हो रहे हैं। और उन लोगों की बुद्धि पर भी, जो इस अल्पसंख्यक कट्टरता में...
WWW.HASTAKSHEP.COM|BY AMALENDU UPADHYAYA

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