वरिष्ठ पत्रकार श्री रामशरण जोशी के विचार
**********************************
एक विनम्र निवेदन:शासक दल समेत सभी दलों से!
१. पाक अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना के प्रथम Surgical Operation का विवादों में घिरना बेहद अफसोसनाक है.
२.देश के विख्यात लेखक-पत्रकार व् वाजपेयी सरकार के पूर्व काबीना मंत्री अरुण शौरी का कथन है कि सर्जिकल ऑपरेशन मनमोहन सिंह -सरकार के दौरान २००७ व २०१३ में भी किये गए थे. उनका राजनितिक प्रचार नहीं किया गया था. अभी तक ट्विटर प्रेषित इस कथन का सरकार ने खंडन नहीं किया है जोकि आश्चर्यजनक है!इससे ' पहली दफा सर्जिकल ऑपरेशन' का दावे पर शंका की उँगलियाँ उठरही हैं.
३. पाकिस्तान ने अपनी छवि उजली रखने के लिए इस्लामबाद स्थित विदेशी मीडिया को उस क्षेत्र का दौरा कराया जहाँ भारत द्वारा ऑपरेशन कियागया था. न्यू यॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट जैसे दैनिकों के प्रतिनिधियों ने किसी ऑपरेशन से इंकार किया है. इससे स्थिति ने नाहक नए विवादों को जन्म दे दिया है.
४.निसंदेह सेना की कार्यप्रणाली की गोपनीयता को भंग किये बगैर क्या हमारी सरकार कोई ऐसा रास्ता निकाल सकती है जिससे ' सर्प भी मर जाये,और लाठी भी साबुत रहे' वरना वह विवादों से घिरी रहेगी.
५.जैसा की शौरीजी का कहना है कि ऐसे ऑपरेशन राजनीति से पर रखेगए थे, क्या मोदी जी, उनकी पार्टी तथा दूसरी पार्टियाँ इसके राजनीतिकरण के लोभ से बचने का वादा देश से करेंगी? क्योंकि इसे भुनाने के लिए पोस्टर आने लगे हैं.
६. भारतीय सेना को दलगत राजनीती से दूरही रखें,इसे प्रोफेशनल ही रहने दें. वरना भारत की दुर्दशा पड़ोसी जैसी हो जाएगी!
Ramsharan Joshi
**********************************
एक विनम्र निवेदन:शासक दल समेत सभी दलों से!
१. पाक अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना के प्रथम Surgical Operation का विवादों में घिरना बेहद अफसोसनाक है.
२.देश के विख्यात लेखक-पत्रकार व् वाजपेयी सरकार के पूर्व काबीना मंत्री अरुण शौरी का कथन है कि सर्जिकल ऑपरेशन मनमोहन सिंह -सरकार के दौरान २००७ व २०१३ में भी किये गए थे. उनका राजनितिक प्रचार नहीं किया गया था. अभी तक ट्विटर प्रेषित इस कथन का सरकार ने खंडन नहीं किया है जोकि आश्चर्यजनक है!इससे ' पहली दफा सर्जिकल ऑपरेशन' का दावे पर शंका की उँगलियाँ उठरही हैं.
३. पाकिस्तान ने अपनी छवि उजली रखने के लिए इस्लामबाद स्थित विदेशी मीडिया को उस क्षेत्र का दौरा कराया जहाँ भारत द्वारा ऑपरेशन कियागया था. न्यू यॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट जैसे दैनिकों के प्रतिनिधियों ने किसी ऑपरेशन से इंकार किया है. इससे स्थिति ने नाहक नए विवादों को जन्म दे दिया है.
४.निसंदेह सेना की कार्यप्रणाली की गोपनीयता को भंग किये बगैर क्या हमारी सरकार कोई ऐसा रास्ता निकाल सकती है जिससे ' सर्प भी मर जाये,और लाठी भी साबुत रहे' वरना वह विवादों से घिरी रहेगी.
५.जैसा की शौरीजी का कहना है कि ऐसे ऑपरेशन राजनीति से पर रखेगए थे, क्या मोदी जी, उनकी पार्टी तथा दूसरी पार्टियाँ इसके राजनीतिकरण के लोभ से बचने का वादा देश से करेंगी? क्योंकि इसे भुनाने के लिए पोस्टर आने लगे हैं.
६. भारतीय सेना को दलगत राजनीती से दूरही रखें,इसे प्रोफेशनल ही रहने दें. वरना भारत की दुर्दशा पड़ोसी जैसी हो जाएगी!
Ramsharan Joshi
No comments:
Post a Comment