आज से लगभग 50 साल पहले अमेरिकी साम्राज्यवाद की मदद से इेडोनेशिया में राष्ट्रीय सेना द्वारा जनरल सुहार्तो की अगुआई में हुए बीसवीं शताब्दी के जघन्यतम नरसंहार को अंजाम दिया गया, जिसमें 10 लाख से अधिक कम्युनिस्टों और उनके समर्थकों को मौत के घाट उतारा गया और करीब 7 लाख को जेलों में ठूस दिया गया । बाद के वर्षों में जो थोडे से लोग रिहा हुए उन्हें सरकारी नौकरियों से वंचित कर दिया गया और उनसे वोट देने का अधिकार भी छीन लिया गया। यह घटना पूँजीपति वर्ग द्वारा जनवाद के परदे की ओट में छिपी और निरंतर जारी रहने वाली उसकी वर्गीय तानाशाही का हालिया इतिहास द्वारा प्रस्तुत ज्वलंत उदाहरण है ।
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