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Wednesday, June 24, 2015

फासिज्म के केसरिया राजकाज में जनपक्षधरता निषिद्ध है और किसी सक्रियता का मतलब है बजरंगी धर्मोन्माद।बाकी सब कुछ प्रतिबंधित है।

फासिज्म के केसरिया राजकाज में जनपक्षधरता निषिद्ध है और किसी सक्रियता का मतलब है बजरंगी धर्मोन्माद।बाकी सब कुछ प्रतिबंधित है।
पलाश विश्वास
Gopal Rathi's photo.

हम लगातार कह रहे हैं कि फासिज्म के केसरिया राजकाज में जनपक्षधरता निषिद्ध है और किसी सक्रियता का मतलब है बजरंगी धर्मोन्माद।बाकी सब कुछ प्रतिबंधित है।

समझ में आनी चाहिए कारपोरेटवकील के जिम्मे सौंप दी है हमने अपनी आजादी और ढोर डंगर की तरह महाजिन्न हमें हांके जा रहा अडानी अंबानी की विश पूरी करने के लिए।बिलियन बिलियन  डालरों का कमीशन कितना होगा हिसाब लगाते रहिये।

अब जनप्रतिरोध के झंडे जो उठाये हैं,शामत उनकी है और उन्हें होश नहीं है तनिको।विदेशी फंड अब पीएमओ या संघ परिवार से नत्थी होने पर मिलेगा।वरना लािसेंस कैंसिल है।
नेट  गवर्नेंस का अमेरिकी एजंडा अब संघ परिवार का एजंडा है।भारत सरकार ने शरणार्थियों के चार्टर पर दस्तखत नहीं किये।शरणार्थी समस्या अभी चालू आहे।सबसे ज्यादा शरणार्थी भारत में वर्क परमिट जिंदगी जी रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के न्याय क्षेत्र में भी भारत नहीं है।अपराध करने के बाद राजनीतिक संरक्षण में भगोड़े पेरिस हिल्टन के साथ सेल्पी खिंचवाने मगन हैं और चुनौती खुलकर देते हैं कि कोई उनका ऎउखाड़ नहीं सके हैं क्योंकि तमाम हाई प्रोफाइल चियारिये चियारिनें उनकी जेब में है।भारत रत्न वहीं है जो जहर पिलाने खिलाने का विज्ञापन करें और जनप्रतिनिधि भी वे ही हैं।

हम बार बार कह रहे हैं कि जनपक्षधर सामाजिक पर्यावरण कार्यकर्ताओं को को ही वैकल्पिक मीडिया का रास्ता बनाना है।पत्रकारिता भी उन्हें ही करनी है।जन आंदोलन और वैकल्पिक मीडिया मिलकर बचे खिुचे लोकतंत्र को बचानाे की दजिम्मेदारी हमारी है।
मीडिया में हमारे साथी जिंदा जलाये जा रहे हैं और मीडिया में खामोशी है।हम खुद जलाये जाने के इंतजार में हैं।
जन आंदोलन के मोरेच पर भी अजब सन्नाटा है और शटर तेजी से बंद होने लगा है।दुकानें अब चलेंगी नहीं दोस्तोंं कि बाहुबलियों और धनपशुओ,माफिया,बिल्डरों और प्रोमोटरों की हुकूमत है,धर्मोन्माद राष्ट्रीयता है और बजरंगी हमारी सेनाएं हैं।

अब लीजिये,साथियों ने खबर दी है कि  सरकार ने देश भर में कुल 2,406 गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। इनमें वे एनजीओ भी शामिल हैं जो स्कूलों और अस्पतालों का संचालन करते हैं। पंजीकरण रद्द करने के मद्देनजर गैर सरकारी संगठन विदेशी चंदा हासिल नहीं कर पाएंगे।
जिन गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं उनमें महाराष्ट्र सबसे ऊपर है, जिसके 964 एनजीओ के लाइसेंस रद्द हुए हैं। उत्तर प्रदेश के 740, कर्नाटक के 614 और तमिलनाडु के 88 गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि लाइसेंस रद्द करने की यह प्रक्रिया 19 जून से आज के बीच हुई।
एनजीओ ने अपने सालाना रिटर्न पेश नहीं किए और अन्य विसंगतियां भी हुईं जिनके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 'विदेशी योगदान नियमन कानून' के तहत इन एनजीओ के पंजीकरण रद्द करने का फैसला किया।

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