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Monday, June 22, 2015

अचानक ये लफंगा घुस आया खिड़की से..


अचानक ये लफंगा घुस आया खिड़की से...पूछा कौन हो भाई , किससे मिलना है...बस चिर चिर करता रहा और अब कमरे के एक कोने में दुबका है... पता चला की घर के बाहर जिन चिड़िया ने घोसला बनाया है ये महाशय उनके बेटे है. बिना बताये चले आये हैं. मां ने बाहर चिल्ला चिल्ला कर आसमान उठा रखा है..ये पहली उड़ान पर मेरी खिड़की से अन्दर आ गए हैंसमझ नहीं आ रहा मां बेटे का मिलन कैसे करवाऊं....ये जांबाज़ मेरी किसी हरकत से डर भी सकता है और कहीं भी छलांग लगा कर खतरे में पड़ सकता है... .
.(बेटी होती तो मां को परेशान ना करती इस लिए बेटा लिखा,)
ये क्या हो गया आजकल के बच्चों को..?

Kamal Joshi's photo.

एक हंसी निश्छल सी....
ये पहाड़ में जीवन की हंसी है.. ये हंसी चेहरे पर आती है बहुत मेहनत करने के बाद...ज़िन्दगी जीने की मेहनत..., पहाड़ को ज़िंदा रखने की मेहनत के बाद..., प्रकृति के बीच उपजी हंसी से मेरी यात्रा की थकान मिटाने के लिए इस बहन को धन्यवाद

Kamal Joshi's photo.

आग बरसाते सूरज..., 
.....आसमान अब भी नीला है,
...पहाड़ अब भी नीले है.. 
कुछ तो सीख ले..

Kamal Joshi's photo.

कानाफूसी करती सहेलियां.....
ट्रेकिंग करता हूँ तो केवल गंतव्य ही नहीं रहता सामने..., जहां से गुजर रहा होता हूँ वहाँ की दुनिया, वहाँ का जीवन, वहाँ के लोग, जड़ और जीवन सब, दिलचस्पी पैदा करते हैं उबकी बाते सुनकर ही सीखता हूँ, बेहतर बनने और समृद्ध होने का यत्न करता हूँ..
अब ये देखिये..वान से लोहाजंग जाते हुए पेड़ के तने से चिपकी ये दो पत्तियाँ कानाफूसी कर रही थी..ज्यादा तो इनकी बात नहीं सुन पाया...पर कह रही थी की ... "साथ हो तो जीवन में रंग ढूंढे जा सकते है..." जैसे की इन्होने ढूंढे है शायद .....

Kamal Joshi's photo.

मुश्किल ही राहत इस बोझ से.....
और ये तो सिर्फ दिखने वाला बोझ है...... जीवन में तो बहुत हैं....

Kamal Joshi's photo.

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