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Saturday, June 20, 2015

एक लेखक की जिम्मेदारियां: एदुआर्दो गालेआनो

एक लेखक की जिम्मेदारियां: एदुआर्दो गालेआनो

Posted by Reyaz-ul-haque on 6/20/2015 04:05:00 PM


एदुआर्दो गालेआनो का ज्यादातर लेखन बिखरे हुए छोटे छोटे काव्यात्मक गद्यांशों से बना है, जिनमें वे व्यक्तिगत अनुभवों, संस्मरणों, बातचीत, लोककथाओं, इतिहास के टुकड़ों और खबरों के जरिए मौजूदा व्यवस्था की नाइंसाफियों को उजागर करते हैं, उसे चुनौती देते हैं और एक नई दुनिया के निर्माण की जरूरत पर जोर डालते हैं. उनके लेखन से चुने हुए कुछ अंश, जो गालेआनो की वैचारिकी और उनकी अनोखी लेखन शैली दोनों का नमूना पेश करते हैं. मूल स्पेनी भाषा से अनुवाद: रेयाज उल हक.

कला की जिम्मेदारी /1

दिएगो ने कभी भी समुद्र नहीं देखा था. उसके पिता सांतियागो कोवादियोफ उसे समंदर दिखाने ले गए.

वे दक्षिण गए.

रेत के टीलों के पार पसरा हुआ समंदर उनका इंतजार कर रहा था. 

जब काफी पैदल चलने के बाद बच्चा और उसके पिता आखिर में टीलों तक पहुंचे, तो समंदर उनकी आंखों के आगे फट पड़ा.

और सागर और उसकी चमक इतनी अपार थी कि बच्चा उसकी खूबसूरती से अवाक रह गया.

और जब वह कुछ बोलने के काबिल हुआ, तो कांपते हुए, हकलाते हुए, उसने अपने पिता से कहा:

'देखने में मेरी मदद करो!'

कला की जिम्मेदारी /2

उपदेशक मिगेल ब्रुन ने मुझे बताया कि कुछ बरस पहले वे पारागुवाई चाको के इंडियन लोगों से मिलने गए थे. वे एक ईसाई प्रचार अभियान का हिस्सा थे. मिशनरियों ने वहां के मुखिया से भेंट की, जिन्हें काफी समझदार माना जाता था. उस खामोश, मोटे से, मुखिया ने वह धार्मिक प्रचार बिना पलक झपकाए हुए सुना जो उन्हें उन्हीं की भाषा में पढ़ कर सुनाया जा रहा था. अपनी बात खत्म करने के बाद, मिशनरी उनके जवाब का इंतजार करने लगे.

मुखिया ने कुछ वक्त लिया. फिर बोले:

'यह खुजलाता है. यह बहुत सख्ती से खुजलाता है और बहुत अच्छा खुजलाता है.'

और फिर उन्होंने जोड़ा:

'लेकिन यह वहां खुजलाता है, जहां खुजली ही नहीं होती है.'

पाठक की जिम्मेदारी /1

जब लुसिया पेलाएस बहुत छोटी थी, वो चादर के नीचे छुप कर एक उपन्यास पढ़ा करती थी. वह उसे रात दर रात, टुकड़ों में पढ़ती और तकिए के नीचे छुपा कर रखती. उसने वह किताब देवदार से बनी किताबों की एक अल्मारी से चुराई थी, जहां उसके चाचा अपनी पसंदीदा किताबें रखा करते थे.

साल बीतते गए, लुसिया ने दूर दूर तक का सफर किया.

लुसिया लंबे रास्तों पर चलती और सफर के दौरान हमेशा उसके साथ उन दूर दराज की आवाजों की गूंज की गूंज बनी रहती, जो उसने अपनी आंखों से तब सुनी थीं जब वो बच्ची थी.

लुसिया ने फिर कभी वह किताब नहीं पढ़ी. अब वह उसे पहचान नहीं सकती. वह उसके भीतर इस कदर फल-फूल गई है कि वह कुछ और हो गई है: अब यह उसकी अपनी हो गई है.

पाठक की जिम्मेदारी /2

सेसार वायेखो[1] की मौत को आधी सदी बीत चुकी थी, और जश्न मनाए जा रहे थे. स्पेन में, खूलियो वेलेस ने व्याख्यान और गोष्ठियां आयोजित कीं, स्मारिकाओं का प्रकाशन किया और कवि, उसकी जमीन, उसके वक्त और उसके लोगों की तस्वीरों की एक प्रदर्शनी लगाई गई.

लेकिन तब खूलियो वेलेस की भेंट खोसे मानुएल कास्तान्योन से हुई, और इसके बाद सारी श्रद्धांजली बेमानी लगने लगी.

खुलियो मानुएल कास्तान्योन स्पेनी युद्ध में कप्तान हुआ करते थे. फ्रांको के लिए लड़ते हुए, उन्होंने अपना एक हाथ गंवा दिया था और अनेक तमगे जीते थे.

जंग खत्म होने के कुछ ही दिनों बात, एक रात कप्तान को इत्तेफाक से एक प्रतिबंधित किताब मिली. उन्हें उस पर नजर डाली, उसकी एक पंक्ति पढ़ी, फिर दूसरी पंक्ति पढ़ी और फिर वे खुद को उस किताब से दूर नहीं कर सके. कप्तान कास्तान्योन, उस विजेता फौज का नायक, पूरी रात उस किताब का कैदी बना रहा और सेसार वायेखो को पढ़ता और बार बार पढ़ता रहा, जो हारे हुए पक्ष का कवि था. अगली सुबह उन्होंने फौज से इस्तीफा दे दिया और फिर फ्रांको सरकार से एक भी कौड़ी लेने से इन्कार कर दिया.

बाद में, उन्होंने उन्हें जेल में डाल दिया और फिर वे निर्वासन में चले गए.

नौकरशाही/1

फौजी तानाशाही के दिनों में, साल 1973 के बीच में उरुग्वे[2] के एक सियासी कैदी खुआन खोसे नोउचेद को नियम तोड़ने के लिए पांच दिनों की सजा मिली: उसे ये पांच दिन बिना किसी मुलाकाती के और बिना व्यायाम किए गुजारने थे, किसी भी चीज के बिना पांच दिन. जिस कप्तान ने यह सजा थोपी थी, उसके नजरिए से नियम, बहस की कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़ता था. नियम में साफ साफ यह कहा गया था कि कैदियों को अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ किए हुए, एक कतार में चलना होगा. नोउचेद को सजा मिली थी, क्योंकि उसने सिर्फ एक ही हाथ पीछे किया था.

नोउचेद का एक ही हाथ था.

उसे दो किस्तों में कैद किया गया था. पहली बार, उसका हाथ ले लिया गया. इसके बाद खुद उसको. उसका हाथ मोंतेविदेओ[3] में कैद किया गया था. नोउचेद के पैर उसको जितना खींच सकते थे, वो उतनी तेजी से भाग रहा था, कि उसका पीछा कर रहे पुलिसकर्मी ने उसे पकड़ लिया और चिल्लाया: 'तुम गिरफ्तार किए जाते हो!' और उसने पाया कि उसने तो बस एक हाथ पकड़ रखा है. बाकी का नोउचेद डेढ़ साल के बाद पायसंदू[4] में पकड़ा गया.

जेल में, नोउचेद अपना हाथ वापस चाहता था.

'एक दरख्वास्त लिखो,' उन्होंने उसे कहा.

उसने समझाया कि उसके पास पेंसिल नहीं है:

'पेंसिल के लिए एक आवेदन लिखो,' उन्होंने उससे कहा.

तब उसे पेंसिल मिल गई, लेकिन फिर कागज नहीं था. 

'कागज के लिए एक आवेदन लिखो,' उन्होंने उससे कहा.

जब आखिर में उसके पास पेंसिल और कागज था, उसने अपने हाथ के लिए दरख्वास्त लिखी.

आखिर में, उसे जवाब मिला. नहीं. यह मुमकिन नहीं था. उसका हाथ एक अलग ही अदालत के अख्तियार में था. उस पर एक फौजी अदालत में सुनवाई हो रही थी. उसके हाथ पर एक नागरिक अदालत में मुकदमा चल रहा था.

नौकरशाही/3

सिक्सतो मार्तिनेस ने सेविय्ये[5] में बैरकों में अपनी फौजी सेवाएं पूरी कीं. उस बैरक के आंगन के बीच में एक छोटी सी बेंच थी. उस छोटी सी बेंच की बगल में एक फौजी जवान खड़ा रहता था. यह बात कोई नहीं जानता था कि बेंच को पहरेदारी की जरूरत क्यों है. उसकी पहरेदारी चौबीसों घंटे होती थी – हर रोज, हर रात और एक पीढ़ी के अधिकारी से लेकर अगली पीढ़ी के अधिकारी तक आदेश आगे बढ़ते रहे और फौजी उस पर अमल करते रहे. किसी ने कभी कोई शक जाहिर नहीं किया या नहीं पूछा कि क्यों. अगर कोई चीज ऐसी ही होनी थी, तो उसकी कोई वजह तो होनी चाहिए.

और यह इसी तरह तब तक चलता रहा, जब किसी ने, किसी जनरल या कर्नल ने, उस आदेश की मूल प्रति नहीं देखनी चाही. उसे सारी फाइलों के अंबार की खाक छाननी पड़ी. काफी मशक्कत के बाद, उसको जवाब मिल ही गया. इकतीस बरस, दो महीने और चार दिन पहले, एक अफसर ने एक पहरेदार को उस छोटी सी बेंच की बगल में खड़े रहने का आदेश जारी किया था, जिस पर अभी अभी पेंट लगाई गई थी, ताकि कोई उस गीली पेंट वाली बेंच पर बैठ न जाए.

आतंक की संस्कृति/6

वकील पेद्रो आलगोर्ता ने मुझे दो महिलाओं के कत्ल के बारे में एक मोटी सी फाइल दिखाई. यह दोहरा कत्ल मोंतेविदेओ के बाहरी इलाके में 1982 के आखिरी दिनों में, एक छुरे से किया गया था.

मुल्जिमा आल्मा दी आगोस्तो ने जुर्म कबूल कर लिया था. वह एक साल से ज्यादा वक्त तक जेल में रही और यह साफ दिखता था कि वह अपनी पूरी जिंदगी वहीं सड़ने वाली है.

जैसा कि रिवाज है, पुलिस ने उसका बलात्कार किया था और यातनाएं दी थीं. एक महीने तक लगातार पीटने के बाद उन्होंने उससे अनेक कबूलनामे निकाल लिए थे. आल्मा दी आगोस्तो के कबूलनामे एक दूसरे से बहुत मेल नहीं खाते थे, मानो उसने एक ही कत्ल अलग अलग तरीकों से किया हो. हरेक कबूलनामे में अलग अलग लोग आते, बिना नाम और पतों वाले गजब-गजब के भूत, क्योंकि जानवरों को पीटने वाली बिजली की छड़ी किसी को भी एक धुआंधार किस्सागो में बदल सकती है. इससे भी अधिक, लेखिका ने अपने कबूलनामे में एक ओलंपिक धावक की फुर्ती, भरे हुए मेले की ताकत, सांडों की लड़ाई के एक पेशेवर लड़ाके (मातादोर) की महारत को भी जाहिर किया. 


लेकिन सबसे हैरान कर देने वाली थी उसके ब्योरों की बहुलता: हरेक कबूलनामे में मुल्जिमा ने सूई की नोक जैसी सटीक बारीकी के साथ कपड़ों, हाव-भाव और हरकतों, माहौल, स्थितियों और चीजों का ब्योरा दिया था...

आल्मा दी आगोस्तो अंधी थी.

उसको जानने वाले और उसे प्यार करनेवाले उसके पड़ोसियों को यकीन था कि वह दोषी थी:

'क्यों?' वकील ने पूछा.

'क्योंकि अखबारों में ऐसा लिखा है.'

'लेकिन अखबार झूठ बोलते हैं,' वकील ने कहा.

'लेकिन रेडियो में भी यही बताया गया,' पड़ोसियों ने समझाया.

'और टीवी में भी.'
 
(एल लिब्रो दे लोस आब्रासोस से)

व्यवस्था

तानाशाही के अपराधों के इल्जाम, ऐसी फेहरिश्तों पर ही खत्म नहीं होते, जो उनके बारे में बताती हैं जिन्हें यातनाएं दी गई हैं, मार दिया गया है या जो गायब कर दिए गए हैं. मशीन आपको अहंकार और झूठ के सबक भी देती है. एकजुटता जाहिर करना अपराध है. मशीन सिखाती है, कि खुद को बचाने के लिए आपको दोमुंहा और कमीना होना होगा. जो इंसान आज आपको चूमता है, वह कल आपको बेच डालेगा. हरेक मदद, बदले की एक कार्रवाई को जन्म देती है. आप जो सोचते हैं, अगर वह कह डालें, तो वे आपको कुचल डालेंगे और कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता. क्या एक बेरोजगार मजदूर मन ही मन यह चाहत नहीं रखता कि कारखाना दूसरों को निकाल बाहर करे, ताकि वह उनकी जगह पा सके? क्या आपका पड़ोसी ही आपका मुकाबिल और दुश्मन नहीं है? बहुत समय नहीं गुजरा, जब मोंतेविदेओ में एक नन्हें से बच्चे ने अपनी मां से कहा कि वो उसे अस्पताल में ले चले, क्योंकि वह अब अपनी पैदाइश को वापस लौटाना चाहता था.

बिना खून की एक बूंद भी बहाए, बिना किसी आंसू के, हरेक जेल में बेहतरीन लोगों का रोजाना कत्लेआम हो रहा है. मशीन जीत रही है: लोग बात करने से और एक दूसरे को देखने से डरते हैं. कहीं भीं, कोई भी, किसी और से न मिले. जब कोई तुम्हें देखता है और देखता रहता है, आप सोचते हैं, 'वह मुझे नुकसान पहुंचाने जा रहा है.' मैनेजर अपने कर्मचारी से कहता है, जो कभी उसका दोस्त था:
 

'मुझको तुम्हारी खबर देनी ही होगी. उन्होंने मुझसे एक सूची मांगी है. कुछ नाम दिए जाने हैं. अगर तुम कर सको, तो मुझे माफ कर देना.'

उरुग्वे के हर तीस इंसानों में से, एक का काम निगरानी रखना, लोगों को मार डालना और सजाएं देना है. गैरिसनों और पुलिस थानों के बाहर कोई काम नहीं है, और हर हालत में अपने काम को जारी रखने के लिए आपको पुलिस द्वारा दी गई, लोकतांत्रिक आस्था के एक प्रमाणपत्र की जरूरत है. छात्रों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने साथी छात्रों के बारे में खबर देंगे,  बच्चों से अपने शिक्षकों के बारे में बताने को कहा जाता है.

आर्खेंतीना में टीवी पूछता है, 'क्या आपको पता है, आपका बच्चा ठीक अभी क्या कर रहा है?'

आत्मा में जहर भर कर उसकी हत्या करने की खबरें अखबारों के अपराध पन्नों पर क्यों दर्ज नहीं की जातीं?

व्यवस्था

मशीन नौजवानों पर मुकदमे थोपती है: वह उन्हें कैद करती है, यातनाएं देती है, मार डालती है. ये नौजवान इस मशीन के नाकारेपन के जीते जागते सबूत हैं. यह उन्हें निकाल बाहर करती है: यह उन्हें बेचती है, इंसानी गोश्त, सस्ता श्रम, विदेशों में.

निकम्मी मशीन हर उस चीज से नफरत करती है, जो फलफूल रही है और हरकत कर रही है. यह सिर्फ जेलों और कब्रिस्तानों की तादाद ही बढ़ाने के काबिल है. यह और कुछ नहीं बल्कि कैदियों और लाशों, जासूसों और पुलिस, भिखारियों और जलावतनों को ही पैदा कर सकती है. 

नौजवान होना एक जुर्म है. हर सुबह हकीकत इसकी तस्दीक करती है, और इतिहास भी-जो हर सुबह नए सिरे से जन्म लेता है. 
 

इसलिए हकीकत और इतिहास दोनों पर पाबंदी है.  
(दिआस ई नोचेस दे आमोर ई दे गेर्रा से)

बेरोजगारी एक बेकार का ऐब है

बेरोजगारी, अपराध की दरों में भारी बढ़ोतरी लाती है और जलील करने वाली दिहाड़ी इसे कोंच कर और ऊंचा उठा देती है. यह स्पेनी मुहावरा इससे ज्यादा मुनासिब कभी नहीं हुआ: 'चालाक लोग बेवकूफों की मेहनत पर पलते हैं और बेवकूफ लोग अपनी मेहनत पर.' इसके उलट, कोई यह नहीं कहता, 'कड़ी मेहनत करो और तुम फलो-फूलोगे,' क्योंकि अब कोई इसमें यकीन ही नहीं करता.

श्रम अधिकार घट कर अब महज काम का अधिकार बन गए हैं, कोई भी काम, जिसे आप अपने बर्दाश्त करने लायक जैसी तैसी दशा में हासिल करते हैं. काम सारे ऐबों में सबसे बेकार का ऐब है. दुनिया में कोई भी माल मेहनत से सस्ता नहीं है. मजदूरियां घटती हैं और काम के घंटे बढ़ते हैं, और श्रम बाजार लोगों की उल्टी करता रहा है. लो या फिर रास्ता नापो – तुम्हारे पीछे एक लंबी कतार है.

खौफ के दौर में रोजगार और बेरोजगारी

खौफ का साया आपकी एड़ियों पर दांत गड़ाए हुए है, चाहे आप जितना तेज भाग लें. अपनी नौकरी खोने का खौफ, अपना पैसा खोने का खौफ, अपना खाना खोने का खौफ, अपना घर खोने का खौफ. कोई भी ताबीज आपको अचानक आई बदकिस्मती के शाप से बचा नहीं सकती है. एक पल से लेकर अगले पल तक, सबसे बड़ा विजेता भी हारे हुए में बदल सकता है, जो किसी माफी या हमदर्दी के काबिल नहीं रह जाता.

बेरोजगारी की दहशत से कौन महफूज है? नई तकनीक से या भूमंडलीकरण से, या आज दुनिया को झकझोर रहे किसी भी तूफान से अपने जहाज के डूब जाने का किसको डर नहीं है? लहरें गुस्से में टक्कर मार रही हैं: स्थानीय उद्योग तबाह हो रहे हैं या बोरिया बिस्तर समेट रहे हैं, सस्ते श्रम को लेकर दूसरे इलाकों के साथ मुकाबला है, मशीनों की बेरहम तरक्की जारी है जिन्हें न तो तनख्वाह चाहिए और न ही छुट्टियां या बोनस या पेंशन या सेवेरेंस पे या कुछ भी, उसे बस बिजली चाहिए जो उसका पेट भरती है.

तकनीक के विकास का अंजाम न तो पहले के मुकाबले ज्यादा फुरसत के पल हैं और न ही आजादी, बल्कि सिर्फ ज्यादा बेरोजगारी और खौफ. गुलाबी स्लिप के भूत का खौफ हर कहीं पाया जाता है: हमें अफसोस के साथ आपको बताना पड़ता है कि नई बजट नीति की वजह से हमें आपकी सेवाओं से महरूम होना पड़ेगा. या फिर झटके को हल्का बनाने के लिए अच्छी अच्छी बातों के बिना ही, जैसी है वैसी खरी खरी बात. कोई भी कभी भी, कहीं भी, निशाना बन सकता है. चालीस बरस की उम्र में, कोई भी आज से कल बीतते न बीतते पुराना पड़ सकता है.

1996 और 1997 में हालात पर आई एक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का कहना है, 'दुनिया में रोजगार की तरक्की मायूस करनेवाली बनी हुई है.' औद्योगिकीकृत देशों में बेरोजगारी ऊंची बनी हुई है जो सामाजिक गैर बराबरी को बढ़ाने में योगदान करती है और तथाकथित विकासशील देशों में, बेरोजगारी और गरीबी गैरमामूली तरीके से बढ़ी हैं. 'यही चीज खौफ को फैलाती है,' रिपोर्ट फैसला सुनाती है. और खौफ फैसला सुनाता है: या तो आपके पास नौकरी है या फिर कुछ नहीं है. ऑस्वित्ज के प्रवेश द्वार पर यह लिखा हुआ था: 'काम आपको आजाद बनाएगा.' आधी सदी से थोड़ा ज्यादा वक्त बीतने के बाद, किसी भी रोजगारशुदा मजदूर को कंपनी को उसकी रहमदिली का शुक्रिया अदा करना चाहिए जिसने उसे पीठ तोड़ देने वाले दिनों को जारी रखने की इजाजत दी है, और इसकी इजाजत दी है कि वो दफ्तर या कारखाने की जिंदगी की थकान का चारा बन जाए. एक नौकरी हासिल करने, या नौकरी में बने रहने का जश्न इस तरह मनाया जाता है मानो वह कोई चमत्कार हो, भले यह नौकरी बिना छुट्टियों के, बिना पेंशन के या बिना किसी फायदे के मिले और यहां तक कि इसकी मजदूरी गलाजत से भरी हुई क्यों न हो.

मशहूर शब्द
28 नवंबर 1990 को आखेंतीना के अखबारों ने अब राजनेता बन चुके एक मजदूर नेता की बुद्धि की एक बानगी पेश की. अपनी रातों रात हासिल की गई दौलत का राज लुईस बार्रिनुएवो ने इस तरह खोला: 'काम करते हुए आप पैसे नहीं बनाते.'
जब उन पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए, उनके दोस्तों ने उनकी तारीफ में दावतें दीं. बाद में, वे प्रथम श्रेणी के सॉकर क्लब के अध्यक्ष चुने गए, और इस पूरे दौरान वे खाद्य सेवा के मजदूरों के संघ के नेता बने रहे.

सेंट काखेतान बेरोजगारों के सरपरस्त हैं और आर्खेंतीना के सबसे लोकप्रिय संत हैं. लोगों की भीड़ उनसे काम की भीख मांगने आती है. चाहे वह औरत हो या मर्द, किसी भी दूसरे संत के इतने ज्यादा चाहने वाले नहीं हैं. मई से अक्तूबर 1997 के बीच, जब एकाएक दो सौ डॉलर हर माह देने वाली नई नौकरियां सामने आईं तो अनेक लोगों ने इस पर हैरानी जताई कि इसके लिए कौन जिम्मेदार था – संत काखेतान या फिर लोकतंत्र. चुनाव आने वाले थे और आर्खेंतीनी सरकार ने संत को हैरान करते हुए पांच लाख नौकरियां देने का ऐलान किया था. लेकिन वे प्रचार अभियान से आगे नहीं जा पाईं. कुछ वक्त बाद, राष्ट्रपति मेनेम ने आर्खेंतीनियों को सलाह दी कि वे गोल्फ खेलना शुरू करें, क्योंकि यह सुकून देने वाला है और आपके दिमाग को मुश्किलों से दूर रखता है.

बेरोजगारों की तादाद बढ़ती रहती है. दुनिया में फाजिल लोगों की तादाद बढ़ रही है. धरती के मालिक इतनी सारी बेकार की इंसानियत का क्या करेंगे? क्या उन्हें चांद पर भेज देंगे? 1998 की शुरुआत में, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय देशों में हुए भारी प्रदर्शनों ने दुनिया भर में सुर्खियां बनाईं. जुलूस में शामिल में कुछ लोगों ने आज की दुनिया में श्रम के तमाशे का प्रदर्शन करते हुए कूड़े की काली थैलियां पहन रखी थीं. यूरोप में हो सकता है कि बेरोजगारी की बदनसीबी को आसान बनाने के लिए अभी भी बीमा मौजूद हो, लेकिन यह तथ्य अपनी जगह पर कायम है कि वहां भी हर चार में से एक नौजवान एक भरोसेमंद नौकरी नहीं हासिल कर सकता. यूरोप में पर्दे के पीछे चलने वाले और गैरकानूनी काम पिछली चौथाई सदी में तीन गुना बढ़ गए हैं. ग्रेट ब्रिटेन में घर पर काम करने वाले मजदूरों की तादाद बढ़ी है, जो हमेशा उपलब्ध रहते हैं और तब तक उन्हें एक धेले की कमाई भी नहीं होती, जब तक फोन की घंटी नहीं बजती. फिर वे एक रोजगार एजेंसी के लिए थोड़े वक्त काम करते हैं और फिर घर लौट आते हैं ताकि अगली बार फोन की घंटी बजने का इंतजार कर सकें.

भूमंडलीकरण एक जादुई जहाज है, जो कारखानों की आत्मा को गरीब देशों से निकाल भगाता है. तकनीक, जो किसी भी चीज के उत्पादन के लिए जरूरी श्रम के समय को कम करने की काबिलियत रखती है, अपनी इस काबिलियत में कमजोर है, कि यह कामगारों को और भी गरीब और उत्पीड़ित बनाती है न कि उन्हें जरूरतों और गुलामी से आजादी दिलाती है. और पैसे बनाने के लिए श्रम अब जरूरी नहीं रह गया है. किसी कच्चे माल को बदलने की जरूरत नहीं रही, उन्हें छूने तक की जरूरत नहीं रही, क्योंकि पैसा तब सबसे ज्यादा फलता-फूलता है, जब यह खुद से प्यार करता है. दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक कंपनियों में से एक सिएमंस अपनी उत्पादक गतिविधियों के मुकाबले अपने वित्तीय निवेशों से कहीं ज्यादा कमाई करती है.

संयुक्त राज्य में, यूरोप के मुकाबले कहीं कम बेरोजगारी है, लेकिन नई नौकरियां अस्थायी हैं, उनका मेहनताना बहुत कम है और उनमें फायदे नहीं हैं. 'मैं इसे अपने छात्रों में देख सकता हूं,' नोम चोम्स्की कहते हैं. 'वे डरे हुए हैं कि अगर उन्होंने मुनासिब रवैया नहीं अपनाया, तो उन्हें कभी नौकरी नहीं मिलेगी और इसका उन पर सजा की तरह असर होता है.' संयुक्त राज्य की पांच सौ बड़ी कंपनियों में, दस कर्मचारियों में से सिर्फ एक के पास ही स्थायी, पूरावक्ती नौकरी हासिल होने का नसीब हासिल है. 
 
(पातास आरीबा से)

अदालतें और इंसाफ

लेखक डेनियल ड्री कहते हैं कि कानून मकड़ी का एक ऐसा जाल है, जिसे मक्खियों और छोटे कीड़ों को पकड़ने के लिए बुना गया है, न कि बड़ी प्रजातियों का रास्ता रोकने के लिए. एक सदी पहले, कवि खोसे एरनांदेस ने कानून की तुलना एक छुरे से की थी, जो कभी उसकी ओर नहीं मुड़ता, जिसने उसे पकड़ रखा हो.

अप्रैल 1997 में, ब्रासीलिया[6] शहर गए एक आदिवासी नेता खाल्दिनो खेसुस दोस सांतोस को तब जिंदा जला कर मार दिया गया, जब वे एक बस स्टॉप पर सो रहे थे. शहर घूमने निकले, अच्छे परिवारों के पांच किशोरों ने उन पर अल्कोहल छिड़क कर आग लगा दी थी. उन्होंने यह कहते हुए अपनी हरकत को जायज ठहराया, 'हमने सोचा कि वो एक भिखारी था.' एक साल के बाद उन्हें कैद की हल्की सी सजा हुई; बहरहाल, यह पहले से सोच समझ कर की गई हत्या का मामला नहीं था. जैसा कि संघीय जिला अदालत के प्रवक्ता ने समझाया, बच्चे जितना अल्कोहल ले गए थे, उसका आधा ही उन्होंने इस्तेमाल किया था, जो साबित करता है कि उन्होंने यह काम 'मौज-मस्ती के मकसद से किया, न कि हत्या के इरादे से.'

(पातास आरीबा से एक संपादित अंश)

अदृश्य तानाशाहियों की खिड़की

तकलीफ सहने वाली मां, गुलामी की तानाशाही को अमल में लाती है.

मददगार दोस्त, मदद की तानाशाही को अमल में लाता है.

खैरात, कर्जे की तानाशाही को अमल में लाती है.

मुक्त बाजार, हमें वो कीमतें कबूल करने की इजाजत देता है जो हम पर थोपी गई हैं.

आजाद अभिव्यक्ति हमें वो सब सुनने की इजाजत देती है जो हमारे नाम पर कहा जाता है.

आजाद चुनाव हमें उस चटनी को चुनने की इजाजत देते हैं, जिसके साथ हम सबको खाया जाएगा.
 
(लास पालाब्रास आंदांतेस से)

अनुवादकीय टिप्पणियां

1.सेसार वायेखो पेरु के कवि, नाटककार और पत्रकार थे. 1892 में जन्मे वायेखो को पिछली सदी की किसी भी भाषा के महानतम कवियों में से एक माना जाता है. 1938 में उनकी मौत तब एक अनजान बीमारी से हो गई थी, जिसे अब मलेरिया की एक किस्म माना जाने लगा है. 1930 के दशक में फ्रांको के नेतृत्व में हुए फौजी तख्तापलट के खिलाफ वायेखो भावनात्मक और बौद्धिक दोनों रूपों में गृहयुद्ध में शामिल हुए और उनकी कविताएं स्पेन में बहस का मुद्दा बनीं.
2.लातीनी अमेरिका का एक देश. गालेआनो इसी देश के निवासी थे.
3. उरुग्वे की राजधानी.
4. पश्चिमी उरुग्वे का एक शहर.
5. स्पेन के आंदालुसिया स्वायत्त कम्युनिटी का सबसे बड़ा शहर और राजधानी.
6. ब्रासीलिया, ब्रासील की संघीय राजधानी है.


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