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Saturday, July 25, 2015

ऐसी राजनीति पर थूःथूःथूः कि सबसे बड़ा मसला यह कि कौन कंडोम नकली है और कौन असली उस रसगुल्ला क्रांति के बाद वामपक्ष को भी जनता के मुद्दों की पहचान नहीं है पलाश विश्वास

ऐसी राजनीति पर थूःथूःथूः
कि सबसे बड़ा मसला यह कि कौन कंडोम नकली है और कौन असली
उस रसगुल्ला क्रांति के बाद वामपक्ष को भी जनता के मुद्दों की पहचान नहीं है
पलाश विश्वास
बसंतीपुर में हमारे घर में दो चीजों पर सबसे धमाल हुआ करता था।पहला तो रसगुल्ला और दूसरी मिर्चें।चूंकि नदियों से हम बेदखल हो गये थे देश के विभाजन के साथ,इसलिए हिलसा मछलियां तीं नहीं और हिलसा थी नहीं तो मछलियों के लिए कोई हंगामा कभी बरपा नहीं।

मैं खासतौर पर रसगुल्ले का दीवाना रहा।इतना दीवाना कि पूरा बचपन और कैशोर्य रसगुल्ले के हवाले था।

मेरे चाचा के मुंह से रसगुल्ला निकालकर खाया है मैंने।

साझा परिवार था।भाई बहनें बहुत।मैं अपना हिस्सा खत्म करके दूसरों के रसगुल्ले हड़पने के लिए घात लगाकर बैठता था।

खालिस जैशोर फरीदपुर की आखिरी विरासत मिर्ची थी।बिन मिर्ची खाना जूठन जैसा लगता था हमें।हमारे घर में खालिस प्रतियोगिता होती थी हर रोज कि सबसे झाल मिर्च कौन कितने गिन गिनकर खा सकता है।

हमारे ताउजी तो दावत में भी जेबों में मिर्चे भर भरकर ले जाते थे कि काने में मिर्च कम हुआ तो जेब से निकाल लें जो अक्सर होता था।

बंगाल में एक क्रांति रसगुल्ला क्रांति भी हुई थी 1965 में ऐसी क्रांति जो दुनियाबर में शायद कहीं नहीं हुई।यूं कहें कि बंगाल में आधे अधूरे लागू हुए भूमि सुदार की वजह भी वही रसगुल्ला क्रांति हे ,तो शायद गलत न होगा।

यूं तो तब भी तेभागा जारी था और भीतर ही भीतर कृषि विद्रोह की आग सुलग रही थी और समां खाद्य आंदोलन का था,असल गलती गांधीवादी तब के मुख्यमंत्री प्रफुल्ल चंद्रे सेन ने यह कर दी कि बंगाल में खाद्य संकट से निबटने के लिए उनने आव देखा न ताव,फौरन छेने की मिठाइयों पर रोक लगा दी,जिसमें सबसे खास रसगुल्ला हुआ करै है।फिर तो बंगाल में ऐसा भूचाल आया कि हाशिये पर खड़े वाम पंथी सत्ता में ऐेसे आये कि करीब 35 साल तक उनका शासन रहा बंगाल में।

भारतभर में इतने अधिक अलोकप्रिय मुख्यमंत्री कोई दूसरा हो।उनके साथ उतने ही अलोकप्रिय रहे हैं अतुल्य घोष।इसमें भी खास बात यह है कि इन दोनों से ईमानदार राजनेता बंगाल में शायद कोई तीसरा हों।

दोनों पक्के गांधीवादी रहे हैं।सादगी से जीने वाले।न उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप था और न अपने अपने को रेवड़ियां बांटने का कोई सवाल था और न वे तानाशाह थे।

फिरभी हालात उनके खिलाफ थे और बंगाल तब दाने दाने को मोहताज था।

इससे भी बड़ी बात यह कि बंगाल के कामरेडों ने सही मुद्दों और सही मसलो को उठाने और जनता के साथ खड़े होने,जनता के बीच लगातार लगातार सक्रिय रहकर जनता को सत्ता के खिलाफ लामबंद करने में कोई कोताही न की।

नेता भी कैसे थे कामरेड ज्योति बसु,कामरेड मुजफ्फर अहमद,कामरेड सोमनाथ चटर्जी,कामरेड हरिकृष्ण कोनार,कामरेड प्रमोद दासगुप्त,कामरेड विनय चौधरी,कामरेड शैलेन दासगुप्त,कामरेड जतीन चक्रवर्ती,कामरेड गीता,कामरेड अशोक घोष वगैरह वगैरह।जाहिर है कि नेतृत्व का कोई संकट भी नहीं था।

वरना आज के मुकाबले तब वामपंथ के लिए कांग्रेस को बेदखल करके सत्ता में आना बहुत मुश्किल था।

बंगाली सबसे ज्यादा मछलियों,मिष्टि दही,रसगुल्ला समेत तमाम रसदार छेने की मिठाई के दीवाने रहे हैं हमेशा से।बंगाल में किसी भी शहरी इलाके के किसी भी मोहल्ले में और किसी भी गांव में मिठाई की दुकान में चले जाये जो इफरात हैं हर कहीं और कमसकम मिठाई की दुकान से घाटा हो जाने का अंदेशा कभी हो ही नहीं सकता।

अब जबकि मधुमेह की महामारी है जो साठ के दशक में रही नहीं है।

फिरभी शाम को कभी फुरसत मिलती है तो अपने मोहल्ले के किसी भी मिठाई की दुकान में बड़े बड़े गमलों में रसगुल्ले,गुलाब जामुन,चमचम छेने की जलेबियां और छेने की दूसरी मिठाइयां बनते देखकर हमेशा हैरत में होता हूं कि इतनी मिठाइयां,इतनी दुकानें और मधुमेह के इतने मरीज और दस रुपये से कम नहीं कोई अच्छी मिठाई,तो खाता कौन होगा।

शाम चार बजे से रात के दस बजे तक मिठाइयां बनती है।बासी मिठाइयां अनबिकी बहुत बेदर्दी के साथ रात को दुकान बंद होते न होते कचरे में फेंक दी जाती है।सवाल किया कोई इस सिलसिले में,बेवकूफ माने जायेंगे।

रसगुल्ला और मिछाइयों कि ऐसी महिमा अपरंपार जिसपर लगे प्रतिबंध की वजह से प्रफुल्ल चंद्र सेन और अतुल्य घोष जैसे लोग भी बेहद अलोकप्रिय हो गये।

जबकि हकीकत यह है कि खासतौर पर प्रफुल्ल चंद्र सेन  को इस बात की ज्यादा फिक्र थी कि छेने की मिठाइयों की वजह से दूध की किल्लत हो रही थी और वे मिठाइयों पर पाबंदी लगाकर दूध बच्चों और उनकी माताओं के लिए बचाने की जुगत में थे।

अब उनकी क्या कहें जो जनता के खान पान पर पाबंदी लगाकर धर्म की राजनीति के जरिये धर्मोन्माद फैला रहे हैं।

उससे बी बड़ा मसला है कि मौजूदा राजनीति की जड़ें जनता के बीच कहीं नहीं हैं और जनता के मुद्दों से राजनीति का कोई सरोकार नहीं है।

संसद का मानसून सत्र जारी है और हर मिनट ढाई लाख का खर्च है।
जनता के किसी मुद्दे की गूंज लेकिन कहीं नहीं है।

राजनीति अब सत्ता समीकरण के सिवाय कुछ भी नहीं है।
नगाड़े खामोश हैं और नौटंकियां चालू है कुल किस्सा यही है।

वामपक्ष को भी उस रसगुल्ला क्रांति के बाद मुद्दों की कोई पहचान नहीं है।

हाल में धर्मस्थलों पर कंडोम की किल्लत सुर्खी बनकर अखबारों और टीवी पर छा गयी थी और अब सबसे बड़ा मसला यह है कि हम कैसे कंडोम का इस्तेमाल करें और कैसे कंडोम का इस्तेमाल न करें।

दुनियाभर में भेजे जा रहे हैं चीन के बनाए नकली कंडोम - www.bhaskar.com

दैनिक भास्कर - ‎14 hours ago‎
बीजिंग। चीन में बड़े पैमाने पर बनाए जा रहे नकली कंडोम दूसरे देशों में एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं। इटली के कस्टम डिपार्टमेंट ने हाल ही में रोम के लियोनार्डो दा विंची एयरपोर्ट से 600,000 नकली कंडोम पकड़े। कस्टम ऑफिसर्स को संदेह है इन्हें चीन में बनाया गया है। सूत्रों के अनुसार, चीन निर्मित नकली कंडोम को भारत सहित कई अन्य देशों में सप्लाई किया जा रहा है। चीन में हर साल एक बिलियन कंडोम बनाए जाते हैं, जो कि दुनिया में बनाए जाने वाले कंडोम स्टॉक का 25 फीसदी है। हालांकि, यह मालूम नहीं है कि इनमें से कितने कंडोम नकली हैं, लेकिन पुलिस कार्वाई में हर साल लाखों नकली कंडोम जब्त ...

fake condoms form china come to india नकली कंडोम बना रहा चीन, भारत में खपाने की तैयारी - Amar Ujala - अमर उजाला

अमर उजाला - ‎11 hours ago‎
चीन में नकली कॉंडम का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। ये कंडोम गर्भावस्था के लिहाज से भी असुरक्षित हैं। इस मामले में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि ये नकली कंडोम भारत और इटली के बाजारों में बेची जा रही है। इटली के कस्टम अधिकारियों ने हाल ही में रोम के लियानार्डों दा विंसी हवाई अड्डे पर 6 लाख नकली कंडोम सीज किए हैं। कस्टम अधिकारियों ने इस बात की आशंका जताई है कि ये नकली कॉंडोम चीन निर्मित हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो चीन में बनाए गए ये कंडोम इटली और भारत के अलावा अन्य देशों में भी कस्टम की निगाह से बच कर भेजा जा रहा है। इन कॉंडम्स का बाजार चीनी ...
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    Oneindia Hindi-10/07/2015
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  6. कंडोम की कमी से एड्स नियंत्रण मुहिम पर संकट

    लोकतेज-23/07/2015
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  7. Oneindia Hindi की कंडोम के लिए कहानी चित्र

    OMG कुंभ मेले में भेजे 5 लाख 40 हजार कंडोम, भड़के ...

    Oneindia Hindi-10/07/2015
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  8. Webdunia Hindi की कंडोम के लिए कहानी चित्र

    कुंभ से पहले कंडोम की कमी, बढ़ी चिंता

    Webdunia Hindi-03/07/2015
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  9. News18 Hindi की कंडोम के लिए कहानी चित्र

    आजमगढ़ में दवाओं और कंडोम की 'होली' जला रहा ...

    News18 Hindi-13/07/2015
    #आजमगढ़ #उत्तर प्रदेश मुलायम सिंह यादव की संसदीय सीट आजमगढ़ में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां स्वास्थ्य महकमा इस कदर बेलगाम हो गया है कि जहां आम मरीज दवाओं के लिए निजी अस्पतालों और दूसरे जिलों का रुख कर रहे है.
  10. टीनेजर्स ने बनाया यौन रोगों के मुताबिक रंग बदलने ...

    पंजाब केसरी-26/06/2015
    लंदन : टीनेजर्स की एक टीम ने ऐसा कंडोम तैयार किया है जो सैक्स के दौरान यौन रोगों का पता लगा सकता है। यह कंडोम यौन रोगों के सम्पर्क में आते ही अपना रंग बदल लेता है। 14 साल के दानयाल अली, 13 साल के मुआज नवाज और 14 साल के चिराग ...
  11. खोज परिणाम

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      Nai Dunia-21/07/2015
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    2. कंडोम का अधिक इस्तेमाल हो सकता है घातक

      News Track-29/06/2015
      एक हफ्ते में 2 या उससे अधिक बार कंडोम का इस्तेमाल करने पर योनि में सूजन व दर्द की समस्या होने लगती है जिसका कारण स्त्रियों की योनि में से निकलने वाला चिकनाई युक्त द्रव का न निकलना होता है इस द्रव के ना निकलने से योनि में ...
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      भले ही महिलाओं के पास गर्भनिरोध के तमाम आधुनिक उपाय मौजूद हों, लेकिन पुरुषों को सिर्फ कंडोमया नसबंदी जैसे कुछ पुराने फॉर्म्युलों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यह अपने आप में खासा कठिन भी होता है क्योंकि एक बार नसबंदी ...
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      हॉस्पिटल से गायब कंडोम बॉक्स, नहीं मिलतीं ...

      Pradesh Today-12 घंटे पहले
      लोगों में परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता पैदा करने के मकसद से चलाए जा रहे इस अभियान की दास्तां ये है कि प्रदेश के अस्पताल तो दूर राजधानी के बड़े-बड़े अस्पतालों में न तो कंडोम की व्यवस्था है और न ही गर्भ निरोधक गोलियों की।
    5. ABP News की कंडोम के लिए कहानी चित्र
      ABP News

      रणवीर को कंडोम देना चाहती है दीपिका, शर्लिन रेप ...

      News Track-29/06/2015
      ... को कंडोम देना चाहती है दीपिका. मैं रणबीर कपूर को कंडोम के डिब्बे गिफ्ट करना चाहती हूं। वह कंडोम का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं- दीपिका पादुकोण (रणबीर के साथ ब्रेक-अप के बाद 'कॉफी विद करण' पर रणबीर कपूर के बारे में बोलते हुए).
    6. दैनिक जागरण की कंडोम के लिए कहानी चित्र
      दैनिक जागरण

      नसबंदी बंद, कंडोम और माला डी पर करेंगे फोकस

      Nai Dunia-10/07/2015
      परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नसबंदी शिविर स्वास्थ्य केंद्रों में लगाए जाते थे। पिछले 9 माह से शिविर बंद हैं। हालांकि अस्पतालों से कंडोम, गर्भनिरोधक दवाएं भी मुफ्त में दी जाती है। साथ ही 10 वर्ष ...
    7. Increasing Muslim population illiterate race - मुसलमान आबादी ...

      अमर उजाला-24/07/2015
      संस्था के सचिव शिशुपाल यादव ने बताया कि गांव-गांव एंबुलेंस जाकर महिलाओं को स्वास्थ्य, प्रजनन व जनसंख्या नियंत्रण के लिए कंडोम वितरण, गर्भ निरोधक गोलियों का वितरण, महिलाओं को प्रापर्टी, नसबंदी के लिए प्रेरित किया जा ...
    8. khaskhabar.com हिन्दी की कंडोम के लिए कहानी चित्र

      Cambodian Dads Want Their Teen Daughters To Have Premarital ...

      khaskhabar.com हिन्दी-24/07/2015
      लेकिन अपनी इस रिवाज को ये छोडने को तैयार नही है। हां अब सुरक्षा के लिहाज से लडकिया कंडोम का उपयोग करने लगी है। लेकिन इस तरह की परम्परा आज भी कई मनुष्य के विकास पर कई सारा सवाल उठाती है। Cambodian Dads Want Their Teen Daughters To Have Premarital Sex.
    9. दैनिक जागरण की कंडोम के लिए कहानी चित्र

      कॉल सेंटर का शौचालय जाम, निकले कई किलो कंडोम!

      दैनिक जागरण-15/04/2015
      इस्तेमाल करने के बाद फेंके गये हजारों कंडोम के कारण शौचालयों के बाधित हुए निकास मार्ग की खबरें उन दिनों प्रमुखता ... कम हो सकती है जिन्हें कॉल सेंटर के शौचालयों के निकास मार्ग से हजारों कंडोम निकाल उसे साफ करना पड़ता था।
    10. ABP News की कंडोम के लिए कहानी चित्र

      जब महिला ने अपने पति के खिलाफ जाकर खरीदा कंडोम

      ABP News-01/12/2014
      नई दिल्ली : हमारे समाज में महिला के द्वारा कंडोम खरीदना किसी अजूबे से कम नहीं है. अगर दुकानदार के पास जाकर कोई महिला कंडोम की मांग करती है तो दुकान पर मौजूद सभी व्यक्ति उस महिला को बेहद ही अजीब तरीके से घुरना शुरू कर देते ...

      1. कंडोम सप्लाई के मुद्दे पर केंद्र को एक निजी कंपनी ...

        ABP News-12/04/2015
        नई दिल्ली: एक कंडोम निर्माता कंपनी ने केंद्र को दिल्ली उच्च न्यायालय में घसीटते हुए यह शंका जाहिर की है कि निविदा की प्रक्रिया में बाकियों को पछाड़ने के बावजूद उसे 10 करोड़ से ज्यादा कंडोम की सप्लाई के करार से वंचित ...
      2. Oneindia Hindi की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        ऐसा कंडोम जो सेक्स के दौरान यौन रोगों का पता ...

        Oneindia Hindi-24/06/2015
        लंदन। तीन लड़कों की टीम ने एक ऐसा कंडोम तैयार किया है जो सेक्स के दौरान यौन रोगों का पता लगा सकता है। चौकिए नहीं यह एक विशेष प्रकार कंडोम है जो यौन रोगों के संपर्क में आते ही अपना रंग बदल लेगा। इस टीम ने इस प्रोजेक्ट को एसटी ...
      3. ABP News की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        कंडोम से बनी ड्रेस पहनकर रैंप पर चलेंगी मुग्धा!

        ABP News-29/01/2015
        नई दिल्ली: 'पॉन्ड्स फेमिना मिस इंडिया 2014' का खिताब अपने नाम करने वाली और प्रकाश झा की फिल्म 'सत्याग्रह' में कैमियो का किरदार निभाकर सुर्खियों में आई मॉडल-अभिनेत्री मुग्धा गोडसे अगर कंडोम से बनी ड्रेस पहनकर इंडिया के ...
      4. Oneindia Hindi की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        रेसिपी बुक से सीखें कैसे कंडोम से बनाए लजीज ...

        Oneindia Hindi-16/06/2015
        नयी दिल्ली। सुनने में आपको बड़ा अजीब लगेगा कि अब कंडोम से रेसिपी बनाई जाएगी। अगर-अगल तरह के पकवान कंडोम की मदद से तैयार किए जाएंगे। आप जिसके के बारे में सोच भी नहीं सकते उसे लेकर अब नई रेसिपी बुक आ चुकी है। [ भारत में कंडोम ...
      5. Oneindia Hindi की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        अब कंडोम पर भी चढ़ा इंडो-पाक मैच का खुमार कहा हाउ ...

        Oneindia Hindi-19/02/2015
        नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान मैच की खुमारी से अभी भारतीय बाहर नहीं आये हैं कि अब विज्ञापनों में भी इस मैच का हैंगओवर दिख रहा है। फेसबुक-ट्विटर पर तो इस मैच को लेकर जोक्स और कविताओं की बाढ़ आयी हुई है तो वहीं अब कंडोम के एड में ...
      6. भारत में कंडोम जरूरत से ज्यादा बड़े, क्यों?

        Oneindia Hindi-23/03/2015
        नई दिल्ली। हमारे देश का स्वास्थ्य मंत्रालय चीख-चीख कर कहता है कि हमेशा यौन संबंधों में कंडोम का इस्तेमाल कीजिये लेकिन हाल के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि भारत के बाजार में कंडोमअपनी जरूरी लंबाई से ज्यादा ...
      7. OMG: किंग्स इलेवन पंजाब की जर्सी पर छपा कंडोम का एड

        Oneindia Hindi-09/04/2015
        दरअसल पंजाब की टीम की जर्सी पर कंडोम का विज्ञापन छपा है। आपको जानकर हैरत होगी कि टीम किंग्स इलेवन पंजाब की जर्सी पर प्रायोजक कंपनी मैनफोर्स का विज्ञापन है। कंडोम की सबसे मशहूर निर्माता कंपनी ने इस विज्ञापन के लिए टीम की ...
      8. Oneindia Hindi की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        ट्विटर पर साझा हो रही यह तस्वीर आपत्तिजनक होने के ...

        Oneindia Hindi-20/07/2015
        दो दिन पहले एमिली नाम की 18 वर्षीय युवती ने जो तस्वीर साझा की है उसमें हाथ पर कंडोम पहनाया गया है, इसके जरिए उन्होंने सुरक्षित यौन संबंध का संदेश दिया है। उन्होंने इस तस्वीर के साथ लिखा है कि अगर आपका ब्वॉय फ्रैंड आपसे कहे 
      1. आगरा: गैंगरेप के बाद हत्या,शव के टुकड़े कर जला दिए

        Patrika-20/07/2015
        घटनास्थल से कई कंडोम भी मिले। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। कोई बख्शा नहीं जाएगा।�. ग्राम प्रधान और अन्य लोगों ने महिला के पति को पुलिस के पास जाने से रोका।
      2. पंजाब केसरी की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        कंडोम खरीदने से पहले ये खबर जरूर पढ़ें

        पंजाब केसरी-24/04/2015
        नई दिल्ली : कंडोम खरीदते हुए अब आपको सावधान होने की जरूरत है। हाल ही में पुलिस ने एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश किया है,जो भारत समेत दुनिया ओर कई देशों में टॉक्सिक कंडोम की सप्लाइ करता था। इस छापेमारी में पुलिस ने ...
      3. दैनिक जागरण की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        अदालत ने दिया कैंसर पीडि़त का मुफ्त इलाज करने का ...

        दैनिक जागरण-10/07/2015
        कंडोम मेडिकल डिवाइस है न कि दवा। ऐसे में इसकी दरों पर नियंत्रण नहीं लगाया जा सकता। यह टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट ने की है। उसने कंडोम की दरों पर नियंत्रण लगाने संबंधी राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) की 4 ...
      4. दैनिक जागरण की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        संक्रमण से बचें यूटरस रोग से रहें दूर : डॉ. सीमा

        दैनिक जागरण-18/07/2015
        सुरक्षित सेक्स के लिए कंडोम का इस्त माल करें। मासिक धर्म के समय नेपकीन का इस्तेमाल करें। साफ-सफाई के लिए महिलाओं के बीच जागरूकता अभियान चलाएं। उपचार. यूटरस रोग के उपचार के लिए विशेषज्ञ डाक्टर से सलाह लें। यूटरस में किस ...
      5. आज तक की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        कीमत घटने के साथ कम हुई कंडोम की बिक्री

        आज तक-01/05/2015
        दरअसल, सरकार के एक फैसले के बाद कंडोम की सेल्स तेजी से घटी है. नवंबर 2013 में सरकार ने कंडोम को जरूरी दवा की लिस्ट में डाला था. इसके बाद ड्रग प्राइसिंग कंट्रोल ऑर्डर (DPCO) में इसकी अधिकतम कीमत तय की गई थी. इसी के बाद कंडोम ...
      6. अमर उजाला की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        ये नया कंडोम सेक्स लाइफ में लाएगा सुधार

        अमर उजाला-15/04/2015
        यूं तो बाजार में कई किस्म के कंडोम मौजूद हैं लेकिन अब ऐसा कंडोम‌ डिजाइन किया गया है जो कि नेक्‍स्ट जनरेशन की ... ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने अलग तरह की साम्रगी का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसा लेटेक्स रबड़ का कंडोम बनाया है जो ...
      7. दैनिक जागरण की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए निकली जागरूकता रैली

        दैनिक जागरण-20/07/2015
        पखवारा के तहत अब तक जन सामान्य में 597 कापर टी, 15 पीपीआइयूडी, 13900 कंडोम आदि का वितरण किया जा चुका है। रैली में पीके ¨सह, प्रधानाचार्य पीके शर्मा, डा.एके चौधरी, दीनानाथ चतुर्वेदी, राजेश कुमार गुप्ता समेत 282 आंगनबाड़ी ...
      8. Sanjeevni Today की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        बिना कंडोम के सेक्स करना किस उम्र में लडकियां ...

        Sanjeevni Today-14/06/2015
        स्टडी की प्रमुख देवन जे हेंसल ने बताया कि स्टडी में हमने पाया कि जो युवा लडकियां स्कूल बंक करती हैं और टेस्ट में फेल होती हैं, ऎसी लडकियों के स्कूल बंक करने और टेस्ट में फेल होने वाले दिन बिना कंडोम के सेक्स करने के मामले ...
      9. ABP News की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        मुग्धा, कंडोम और अवेयरनेस!

        ABP News-29/01/2015
        वैसे तो आपने आज तक समाज में किसी भी मुद्दे को लेकर लोगों को जागरुक करने के लिए तरह-तरह के अवेयरनेस प्रोग्राम देखा और सुना होगा लेकिन गुरुवार यानी 29 जनवरी को मुंबई में जनजॉगृति के लिए कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर शायद आप चौंक ...
      10. FilmiBeat Hindi की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        Video कंडोम से बनियान तक पहुंचे रणवीर, फंसे विवाद ...

        FilmiBeat Hindi-19/05/2015
        रणवीर सिंह की बराबरी हमारी इंडस्ट्री का कोई एक्टर नहीं कर सकता, चाहे वो मस्ती की बात हो या फिर कुछ हटकर करने की बात हो। रणवीर सिंह वो पहले एक्टर बने जिन्होने कंडोम ब्रांड ड्यूरेक्स का ब्रांड अम्बेसडर बनना एक्सेप्ट किया और इस ऐड ...
      1. है कंडोम कवर, ये ...

        बिजनेस भास्कर-05/07/2015
        गैजेट डेस्क: बारिश का मौसम आते ही घर से बाहर निकलते समय स्मार्टफोन और दूसरे गैजेट्स जैसे कैमरा, लैपटॉप, टैबलेट के भीगने का डर सताने लगता है। ऐसे में यूजर्स को इनकी सेफ्टी का पूरा ध्यान रखना होता है। हालांकि, कई बार सेफ्टी के ...
      2. ABP News की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        सेक्स एक्सपेरिमेंट : सेक्स और कंडोम पर चौंकाने ...

        ABP News-12/01/2015
        एमटीवी की टीम ने लोगों से कई सवाल पूछें जिनका जवाब सही या गलत में देना था. जो सवाल लोगों से पुछे गए वो नीचे हैं-. क्या कंडोम का कोई एक्सपाइरी डेट होता है? एक कंडोम की सेल्फ लाइफ क्या है? अगर एक पुरुष गर्भनिरोधक गोली खाता है ...
      3. अमर उजाला की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        जानिए, कंडोम के साइज और शेप के बारे में

        अमर उजाला-12/11/2014
        क्या आप जानते हैं कंडोम को सिर्फ इंटरकोर्स के दौरान ही नहीं बल्कि एनल सेक्स और ओरल सेक्स के दौरान भी इस्तेमाल किया जाता है। ... लेकिन एनल सेक्स के लिए कंडोम के इस्तेमाल से पहले अच्छे लुब्रिकेंट का इस्तेमाल कर लेना चाहिए।
      4. ABP News की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        मैनफोर्स कंडोम के विज्ञापन में सनी लियोनी का ...

        ABP News-02/12/2014
        हाल ही में सनी लियोनी ने अपने फेसबुक पेज पर 'मैनफोर्स कंडोम' के नये विज्ञापन का लिंक डाला है. ... आपको बता दें कि सनी लियोनी ने जब पहली बार मैनफोर्सकंडोम का एड किया था तो हर तरफ से उनको इस विज्ञापन के लिए सुर्खियां मिली थी.
      5. अमर उजाला की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        कंडोम का विकल्प अब पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक दवा ...

        अमर उजाला-16/02/2015
        जो पुरुष कंडोम का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं, उनके लिए विकल्प अब बाजार में मौजूद होगा। ... के यूनिवर्सिटी ऑफ कन्सास मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक दवा तैयार कर रहे हैं जो कंडोम का प्रभावी विकल्प हो सकता है।
      6. ABP News की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        ...तो कारखानों में मजदूरों को मिलेगा कंडोम!

        ABP News-19/02/2015
        प्रसन्ना ने कहा कि कम्पनी के आस-पास चाय के ठेलों, ढाबों, पान की दुकानों में भी नि:शुल्क कंडोम वितरण किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की एड्स नियंत्रण समिति में रक्तदान वैन तथा एच.आई.वी. की जांच करने वाली ...
      7. 'फीमेल कंडोम' इसलिए नहीं हो पाए इतने पॉपुलर!

        अमर उजाला-28/09/2014
        इसमें से आपने FC1 और FC2 महिला कंडोम का नाम ही सुना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ये दोनोंकंडोम दो बड़ी अंतर्राष्ट्रीय संस्‍थानों यूनाइटेड नेशन हेल्‍थ ऑर्गेनइजेशन डब्‍ल्यूएचओ ( WHO) और अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्टट्रेशन यूएस ...
      8. अमर उजाला की कंडोम के लिए कहानी चित्र

        अब कंडोम के डिजाइन से तैयार होंगी साड़ियां

        अमर उजाला-28/02/2015
        पिछले दिनों मुंबई में फैशन संस्थानों के छात्रों ने कंडोम से ड्रेसें तैयार की थीं। अब एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए बनी एक डॉक्युमेंट्री 'सुरक्षा' में ऐसी साड़ी को केंद्र में रखा गया है, जिस पर कंडोम से डिजाइन तैयार किए गए हैं।
      9. मैनफोर्स का एड टीवी पर भी तो आता है..जर्सी पर छपा ...

        Oneindia Hindi-10/04/2015
        कानपुर। जैसा कि हमने आप लोगों को पहले बताया था कि कंडोम बनाने वाली कंपनी मैनफोर्स ने अपना विज्ञापन किंग्स इलेवन पंजाब की जर्सी पर छापा है जिसे लेकर पंजाबी टीम के खिलाड़ी शर्म से लाल हो गये हैं और इसी कारण वो इस बात का ...
Jul 25 2015 : The Economic Times (Kolkata)
THE BITTEREST BAN


50 years ago, a particularly startling food ban was imposed in Bengal, and had lasting consequences. Milk sweets were banned under the West Bengal Channa Sweets Control Order imposed by Congress chief minister Prafulla Chandra Sen
Food bans seem to be a theme for 2015. Some are sweeping like Maharashtra's beef ban or the nationwide ban on Maggi, some specific like Madhya Pradesh's ban on eggs in mid Madhya Pradesh's ban on eggs in midday meal schemes and some local like the housing society in Mumbai alleged to be boycotting a family over cooking meat. Everywhere it seems people are stopping others from eating something.It rarely comes out well. Banning something so basic makes people resentful, defiantly pushing them to eat what they might have avoided voluntarily . Bans tend to lack practical logic -they are imposed precisely because what they require isn't what people would do normally . But since their perpetrators never admit to the prejudices underlying most bans, they invent twisted justifications that can be as damaging as the ban.
50 years ago, a particularly startling ban was imposed, and had lasting consequences. Bans are rarely imposed on popular foods, especially those seen as emblematic of a community. And few foods are more emblematic of Bengal than sweets based on channa (split milk solids) like sandesh and rossogullas. Yet on August 23, 1965 such milk sweets were banned in Calcutta under the West Bengal Channa Sweets Control Order imposed by Congress chief minister Prafulla Chandra Sen. Sen justified his action by pointing to the dire situation of dairying in the state. In a speech in Bengali on All India Radio (AIR), he noted: “Whereas the daily per capita of supply of milk in the Punjab is 17 ounces and in Bihar 4 ounces, in West Bengal it is even less than 3 ounces per capita.“ Despite Bengal's historical reputation as a land of milk and honey , it has always lagged in milk production in recent times. Across the border in Bangladesh shortages are still so bad that chaiwallahs use milk substitutes made of imported palm oil and milk powder.
Imported milk powder was important in West Bengal then too, but as Sen noted, India's deteriorating financial situation -the rupee would be devalued in 1966 -made imports increasingly costly. Sen wanted, rightly , the scarce milk to go first to children and mothers, but solutions like taxing channa or offering subsidised milk to the most needy could have been tried. Instead, he went straight for a ban on channa in Calcutta and neighbouring areas, with the possibility of extending it state wide.
Sen was an upright, committed man who the current CM Mamata Banerjee, in her memoirs, claims as her mentor, though she is too politically savvy to try a ban on Bengali sweets. Sen had been a freedom fighter and then minister of food in the first government of independent Bengal right until he took over as CM.And as Joya Chatterji points out in her book Spoils of Partition: Bengal & India 1947-1967, he had the vivid experience of the disastrous Bengal famine, when the previous Muslim League government had tried and failed to impose controls on food movements.Yet, faced with two years of failed monsoons and rising prices, Sen panicked and imposed a wide range of controls from curbs on grain trade to restrictions on wedding feasts. “These measures had not worked in in 1943; in the crisis on 1966, they were as ineffectual as they had been during the famine,“ writes Chatterji. Powerful traders hoarded or smuggled food to Bihar or East Pakistan while the burden was felt by “traders in foodstuffs, ration shop licensees, rice millers and transporters on whose support the Congress regime in West Bengal had increasingly come to depend.“ Sen's policies destroyed his party's base.
Sen had not counted the effects, both psychological and practical, of the sweets ban. He was an austere Gandhian who possibly saw sweets as inessential luxuries. But for ordinary people, small things like sweets helped ease the problems of daily life and their absence symbolised the failure of the state. Mani Shankar Mukherjee, the popular Bengali novelist who writes as Sankar, says that the ban went against the mood and culture of Bengali people: “The measures may have had merit but the costs of implementation were huge -thousands of people lost out, several sweet businesses had to be shut down and people still consumed milk sweets in the black market whose price was exorbitantly high.“
For those in the industry , it was a dark time. “The backbone of Bengal's sweet industry was broken then,“ says Dhiman Das, executive director at the legendary firm KC Das, which claims its founder Nobin Chandra Das invented rossogulla in 1868. Dhiman Das is the fifth generation of the family and he recalls, “We had to sell ornaments of our family and took loans from bank to survive.“ As with oth er famous shops, like Balaram Mullick & Radharaman Mullick, Bhim Chandra Nag and Sen Mahasay , KC Das had to close outlets across the city , leaving only their main branch at Esplanade, which survived by selling other snacks.
Sen encouraged this. “We should bear in mind that all these sweetmeat shops prepare salted variety of edibles, such as nimki, singhara, radhaballavi, luchi dalpuri, kachuri, jhuribhaja, alurdom, curry , dal, etc,“ he said in that AIR speech. And he promised extra supplies of sugar and flour to make non-milk sweets. This, he felt, countered the charge that 39,000 employees across 8,000 shops were facing retrenchment.
But as Sudip Mullick, proprietor of Balaram Mullick & Radharaman Mullick, a fourth generation member of the founder family , points out, for shops to suddenly shift from their core focus was not easy .“Our entire family , including my grandmother and father, had to literally jump into the action to come up with new sweets based on besan, maida, kaju and other materials since our artisans only knew how to make rossogulla and sandesh, which are all milk products,“ he says.
Some sweet shops took more di rect action and challenged the channa control order in the Calcutta High Court, which duly struck it down on November 16, 1965. Enraged, Sen passed the even more sweeping West Bengal Milk Products Control Order just two days later. This was also immediately challenged in court, and it was on November 25, while the verdict was being deliberated that Sen delivered his speech on AIR where, in addition to explaining why the measure was needed and what relief could be given, he also let his emotions get the better of him.In the current situation, he said, making food with milk in West Bengal was tantamount to a crime, and those resisting the order were acting against public interest.
Today, when politicians froth at each other on night time TV and make extreme statements as a matter of course, this might not seem shocking. But at that time, and perhaps also reflecting the general irritation that Sen's bans had caused, his statements became a matter for a court case. Justice BN Banerjee of the Calcutta High Court delivered a lengthy opinion in March 1966 on whether Sen had committed contempt of court by delivering such statements while the second order was being decided by the court.
And in a narrow decision -after many pages looking in disfavour at the government's conduct -Justice Banerjee decided that there was contempt, but he allowed “the contemnor did not `anticipate' his speech might be contumacious or might tend to become one,“ and let the government off with a warning. This upset Sen so much that he appealed to the Supreme Court, where he had no luck either. In 1968, in a verdict still cited in contempt of court cases, Justices J Shah, V Ramaswamy and A Grover ruled that “the speech was ex facie calculated to in terfere with the administration of justice“ and denied the appeal.
By then Sen was no longer chief minis ter. In the year following the sweets ban, the situation in West Bengal had deteriorated hugely , with the Communists capitalising on the discontent caused by the bans to foment riots and strikes. Seeing the reaction at the grassroots, several Congressmen lead by Ajoy Mukherjee left to form the Bangla Congress which managed to come to power in the 1967 elections, with support from the Communists and Muslims. But it was an unstable pact, with the Communists openly manoeuvring to gain power which lead to several periods of President's Rule. The Congress would try to regain ground under SS Ray, but the drift away could not to be stopped, and finally in 1977, the Left Front took power and stayed in office for 34 years.Sen's sweet order was not the only cause for the Congress collapse in West Bengal, but it remained a bitter memory of the problems of their rule.
The ban had one positive consequence.Bengali sweet makers realised they had to look beyond the state for milk supply and markets without the fear of bans. In the early 1970s, KC Das set up its first store outside Calcutta in the centre of Bangalore, at the juncture of Church Street and St.Mark's Road. “The government eventually changed power in West Bengal, but the fear had persisted in the industry what if it comes back, so we had to move out to newer markets,“ said Das.
Thousands of customers were introduced to the joys of mishti dhoi at the Bangalore outlet, and they, at least, might find something to commemorate on the 50th anniversary of Sen's misguided food ban.
Gloom at Maggi Dhabas
Until the eighties, the concept of fast food in India was limited to roadside chaat or, at best, vadas and sandwiches.Even at home, quick snacks were pakoras and samosas north of the Vindhyas and dosa or vadas in the south.But all of them took some amount of preparatory effort.Then Maggi happened in1982.Its trump card was ease of cooking -2 minutes, the chirpy jingle said. Beaming children slurping up Maggi noodles in the brand's crackling ad helped in no small measure.But the noodles barely tickled older palates. People weaned on rice, dal and roti never really took to instant noodles.Maggi remained an occasional indulgence, mainly of schoolgoing children of urban parents even in the early nineties.
Economic liberalisation and the consequent movement of young men and women to urban centres in search of higher education and jobs created an explosion in demand for foods that could be made quickly and cheaply. One of the biggest beneficiaries of that demand was Maggi. It almost took three generations for the noodle brand to become a household name. And once it became a staple for many, it stayed that way, dominating the market; the bright yellow packets stacked in even tiny tea shops in distant Ladakh. When the noodle was taken off the shelves last month, Maggi had a market share of over 70% and a brand value of `2,000 crore.
Dinesh Narayan



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