Shamshad Elahee Shams feeling sad
बांग्लादेश में खैरात के कपडे लेने के लिए मची भगदड़ में २७ जानें व्यर्थ ही स्वाह हो गयी. तम्बाकू फैक्ट्री के एक मालिक ने रमज़ान में ज़कात देने का ऐलान किया था. जाहिर है २.५ % ज़कात जैसे बकवास सिद्धांत से आजतक किसी मुस्लिम समाज में कोई आर्थिक विषमता दूर नहीं हुई. धनपशुओं ने खैरात-ज़कात के उद्यमों के ज़रिये वर्ग संघर्ष के लिए पैदा होने वाली 'स्वाभाविक अग्नि' को ही शांत करने की कोशिश की है. काश इतने लोग उस फैक्ट्री पर कब्ज़ा करने के प्रयास में मारे जाते तो इतिहास में इनका नाम किसी और ही तरीके से दर्ज होता, फिलहाल मरने वाले परिवार को सरकार ने दस हजार टका कफन- दफ़न के लिए दिया है, और मेरी बेचारगी भरी संवेदनाए मरने वालों के लिए ..
समतामूलक समाज की स्थापना के बगैर एक हाथ हमेशा खैरात (ज़कात) देने वाला रहेगा और हज़ार हाथ लेने वाले. इस मानवविरोधी व्यवस्था पर और उसे पोषित करने वाले हर विचार पर मैं लानत भेजता हूँ
समतामूलक समाज की स्थापना के बगैर एक हाथ हमेशा खैरात (ज़कात) देने वाला रहेगा और हज़ार हाथ लेने वाले. इस मानवविरोधी व्यवस्था पर और उसे पोषित करने वाले हर विचार पर मैं लानत भेजता हूँ
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