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Monday, July 27, 2015

ऐ नकलची बन्दर , हवा का रुख देख अपना चेहरा मत बदला कर ।

पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहेब के इंतेक़ाल की खबर मुझे एक फ्रेंड रिकवेस्ट से मिली। उनकी तस्वीर देखते ही मैं चौंक गया कि हिंदी न जानने वाले कलाम साहेब ने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट क्यों भेजी होगी , जबकि मैं अंग्रेजी में एक शब्द भी नहीं लिखता । तब पता चला कि कलाम साहेब नहीं रहे और किसी नकलची ने उनके मरते ही उनका चोला पहन लिया । अब कुछ ही दिन बाद ये पाखण्डी अपने प्रोफाइल चित्र पर खुद की जगह तिरंगा लगा कर अपना मुंह काला करेंगे । ऐ नकलची बन्दर , हवा का रुख देख अपना चेहरा मत बदला कर । प्रोफाइल पर सदैव स्वयम् का चित्र लगा ।
कुछ कुतर्क कर रहे कि उनका मुखौटा उनके सम्मान में लगाया है । अय ढोंगी , इतना सम्मान है तो उनकी तस्वीर आज अपने घर में लगा ले और दिल में बसा । उनके चित्र को शेयर कर । अपना कवर फ़ोटो बना ले । लेकिन फेस बुक का शिष्टाचार समझ कि प्रोफाइल पिक का अर्थ तेरा स्वयम् का चित्र है ।

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