सिलोगी डांड मसूरी से किलै चिरडेणु च , जळणु च , खिरसेणु च ?
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
जसपुरौ लयड़ो डांड -ये सिलोगी डांड ! क्यांक आँसु अर कैकुण सि आँसु ? आज कैकुण रुणि छे ?
सिलोगी डांड - हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है
जसपुरौ लयड़ो डांड -अर मि अफु तै अर तीते देखिक बुललु कि बड़ी मुस्किल से पैदा होता है दीदावर पर पैदा।
सिलोगी डांड -वी त रूण चजसपुरौ लयड़ो डांड -ह्यां शायरी नि करदि अर इन बतादि कैकुण रुणि छे ?
सिलोगी डांड -हूँ ! मै लगद मि अंग्रेजुं कुण रूणु छौं जौन मसूरी , पौड़ी , नैनीताल , कसौनी की सुध ले मेरी सुध नि ले।जसपुरौ लयड़ो डांड - अंग्रेजुं कुण त मी बि रूंद कि मसूरी पौड़ी से आकर्षक जगा मि छौं पर छ्वारा -छपार , अनाथ जन जिंदगी काटणु छौं। पैल म्यार गाँव जसपुरौ खेती ले करदा छा पर अब त बुल्याणु च -मुफलिसी ठहरने नही देती घर में हमको
जसपुरौ लयड़ो डांड -अच्छा मेरी इकुलास , बांझपन , उजाड़ जिंदगी बात तो छोड़ तू तो आबाद छे , सरा क्षेत्र मा बड़ बजार का नाम से प्रसिद्ध छे। तू रूणु किलै छे ?
सिलोगी डांड - मै लगद मि उत्तर प्रदेश सरकारों कुण रूणु छौं कि वीं सरकारन मे सरीखा संभावना से भरपूर जगा तै ,ज्वा जगा पांच हजार फ़ीट पर च , जख बिटेन उत्तर मा बद्रीनाथ याने चौखम्बा दिखेंद , पश्चिम मा मसूरी दिखेंद , दक्षिण मा माबगढ़ दिखेंद ,पूरब मा सरा गढ़वाल दिखेंद वीं बहुमूल्य जगा तै पर्यटन क्षेत्र मा विकसित नि कार। मि उत्तर मुखी , दक्षिण मुखी , पूर्बमुखी छौं।
जसपुरौ लयड़ो डांड -अरे तू तो सदानंद कुकरेती जीक अर कड़तीं वळु परतापन आवाद ले छे। ऊंन सन 23 मा तै घणघोर जंगळ मा स्कूल ख्वाल अर त्वै तै आबाद कार तू तो ज़िंदा छे पर त्यारि बगल मा , द्वी मील दूर मि छौं पर ज़िंदा ह्वेक बि मुर्दा छौं , ब्यौ ह्वेका बि रंडोळ जिंदगी काटणु छौं , सधवा , सिंदूर ह्वेका बि विधवा जन खाली मांग वळि बण्यु छौं। उत्तर प्रदेश सरकार पर तो मीन रूण छौ कि ऋषिकेश से ढाई-तीन घंटा , कोटद्वार से बि ढाई -तीन घंटा अर देबप्रयाग से तीन चार घंटा कु रस्ता पर बि मि बांज छौं। म्यार मुकाबला मा कसौनी क्या ह्वे सकुद पर भाग्य भाग्य , जोग -जोगुं बात च न ही अंग्रेजुंन मेरी सुध ले, ना ही लखनऊ सरकारन म्यार तरफ द्याख। रूण तो मि तै चयेंद कि मेरी पर्यटन स्थल की संभावनाओं की कैन बि कदर नि कार। ते से अधिक सौड़ -चौड़ जगा च मीम ! रूण तो मीन छौ।
सिलोगी डांड -मि तै लगणु च मि उत्तराखंड सरकारौ कुण रूणु छौं कि पता च कि उत्तराखंड मा पर्यटन से ही विकास ह्वे सकद अर केवल धार्मिक पर्यटन से पुटुक नि भरेंद किन्तु नाना प्रकार का नया नया पर्यटन का इंतजामात करण से इ पर्यटन बढ़ सकद। त म्यार अर त्यार जन जगाऊं पर्यटन स्थाल का रूप मा विकास आवश्यक च। पर उत्तराखंड बणनो बाद अखबारुं मा अवश्य ही हल्ला मच कि उत्तराखंड तै विश्व प्रसिद्ध पर्यटक क्षेत्र विकसित करे जालो किन्तु त्यार अर म्यार हाल देखिक तो इनि बुले सक्यांद सब योजना कागजों अर भाषणो मा बणिनं अर व्यवहार मा कुछ नि ह्वे।जसपुरौ लयड़ो डांड -हाँ यु तो मि रूणु छौं। पर मै लगद कि हम पर्यटक स्थल का रूप मा विकसित नि हुवाँ उखमा क्षेत्रीय जनता कु ही दोष च।
सिलोगी डांड -क्या क्षेत्रीय जनता कु दोष ?जसपुरौ लयड़ो डांड -हाँ देख ! तेरी अर मेरी भौगोलिक स्थिति मा रति भर कु बि फरक नी च किन्तु जब सदानंद कुकरेती जन पारखीन सिलोगी मा स्कूल खुलणो विचार कार तो कड़तीं गाँव वळुन अपण जमीन द्याई अर स्कूल खुलणो बाण सरा ढांगू , डबरालस्यूं अर लंगूर पट्टी वळुन जान लड़ै दे। क्षेत्रीय अभिलासा ही क्षेत्रीय विकास करदी। क्षेत्रीय सामूहिकता, एकता ही विकास की सीढ़ी च अर फिर जब तक क्षेत्रका लोग त्याग नि कारन कुछ नि ह्वे स्कड। क्षेत्रीय आकांक्षा , अभिलासा अर कार्यशीलता ही विकास सकदन ना कि केवल सरकार।
सिलोगी डांड -ये यी पूरब दिशा से लैंसडाउन याने काळो डांड बिटेन क्या आवाज आणि च ?जसपुरौ लयड़ो डांड -हाँ हाँ ! लैंसडाउन ही जोर जोर से कुछ तो बुलणु च। फ़का जरा सुणदा कि लैंसडाउन क्या बुलणु च धौं।
सिलोगी डांड - अरे सिक्की दिखाणु होलु कि वु टी अंग्रेजुं प्रतापन भौत बड़ो पर्यटक स्थल बणी गे अर हम जख्याक तखी छंवां।
जसपुरौ लयड़ो डांड -सूण त ले लैंसडाउन क्या बुलणु च धौं।
लैंसडाउन - अरे तुम अपण अपण लगौणा छंवां कि उत्तराखंड मा नया नया पर्यटक स्थलुं विकास हूण चयेंद।
जसपुरौ लयड़ो डांड -क्या ?
सिलोगी डांड -हाँ हाँ सुणा !जसपुरौ लयड़ो डांड -ये ले हम संभावनाओं से भरपूर अपण रूण रूणा छया तो सि लैंसडाउन बि रूणु च। किस किस को याद करें , किस किस को रोयें --
सिलोगी डांड -आराम बड़ी चीज है मुँह ढक के सोयें
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