Sustain Humanity


Wednesday, December 2, 2015

हमउ देखब सूरजवा की औकात कि काहे ना होब भोर! कायनात ह तो कबहुं ना टूटब इंसानियत का डोर! हमउ देखब कौन लाला ललिया घर फूंकन आवै हमार साथ! हमउ देखब कौन लाला ललिया पकड़े हमार हाथ! हमारे हुक्मरान ने जलयुद्ध में भारत को हरा दिया। हमारे हुक्मरान हिमालय हार गये। जुए में हार गये देश हमारे हुक्मरान! हमारी भावी पीढ़ियों के लिए न अन्न है और न जल। अफगानिस्ताम में सोवियत हस्तक्षेप याद है? वहींच ओरिजिनल सिन!पिद्दी समझकर महाबलि सोवियत संघ ने जो अफगानिस्तान में हस्तक्षेप कर दिया तो उसकी कोख से कैसे कैसे जिन्न निकले,बोल जमूरे! पलाश विश्वास

हमउ देखब सूरजवा की औकात कि काहे ना होब भोर!

कायनात ह तो कबहुं ना टूटब इंसानियत का डोर!


हमउ देखब कौन लाला ललिया घर फूंकन आवै हमार साथ!


हमउ देखब कौन लाला ललिया पकड़े हमार हाथ!


हमारे हुक्मरान ने जलयुद्ध में भारत को हरा दिया।

हमारे हुक्मरान हिमालय हार गये।

जुए में हार गये देश हमारे हुक्मरान!


हमारी भावी पीढ़ियों के लिए न अन्न है और न जल।

अफगानिस्ताम में सोवियत हस्तक्षेप याद है?


वहींच ओरिजिनल सिन!पिद्दी समझकर महाबलि सोवियत संघ ने जो अफगानिस्तान में हस्तक्षेप कर दिया तो उसकी कोख से कैसे कैसे जिन्न निकले,बोल जमूरे!


पलाश विश्वास

सेमीनार: असहिष्णुता की चुनौती और सोशल मीडिया hastakshep.com के पांच साल पूरे होने व मानवाधिकार दिवस की पूर्व संघ्या पर


  



  

  


Amalendu Upadhyaya invited you to Insaaf Abhiyan Uttar Pradesh's event



सेमीनार: असहिष्णुता की चुनौती और सोशल मीडिया hastakshep.com के पांच साल पूरे होने व मानवाधिकार दिवस की पूर्व संघ्या पर


Wednesday, December 9 at 3:00am








  



  








सेमीनार: असहिष्णुता की चुनौती और सोशल मीडिया hastakshep.com के पांच साल पूरे होने व मानवाधिकार दिवस की पूर्व संघ्या पर शाम 3 बजे बुद्धवार, 9 दिसंबर 2015 यूपी प्रेस क्लब लखनऊ, उत्तर प्रदेश नागरिक प...






अफगानिस्ताम में सोवियत हस्तक्षेप याद है?


वहींच ओरिजिनल सिन!पिद्दी समझकर महाबलि सोवियत संघ ने जो अफगानिस्तान में हस्तक्षेप कर दिया तो उसकी कोख से कैसे कैसे जिन्न निकले,बोल जमूरे!




अमेरिका को मौका चाहिए था।शीतयुद्ध तेल युद्ध में तब्दील हो गया कि जादू मंतर हो गया और जैसे टूटी सद्दाम की मूर्ति लाइव,वैसे ही टूटि गयो सोवियत संघ।


तालिबान!

अलकायादा!

आइसिस!

हमारे गांव जुआर में कहावत है,पाप ना छोड़े बाप!

तालिबान,अलकायदा और आइसिस का नियोग अमेरिका से जो करवा रहे,उ सोवियत संग है।कर्मफल भी सध गया।


पण जो नर्क रचि दीन्है,दुनिया उसी नर्क में धक धक जल रिया तेलकुंआ है।रूस चीन मिलकर भी भस्मासुर मार ना सकै।उ भस्मासुर इजराइल है।जिसके वध के लिए विष्णु भगवान का चक्र काम ना आई।उ चक्र ससुरा इजराइल भस्मासुर का रक्षाकवच ह।

अमेरिका इजराइल का साझा उपक्रम अरब वसंत अब भारत में वसंत बहार है।हमार कुलो मतलब यहींच।


कल हमने अपने प्रवचन में आर्थिक सुधार के कुलो किस्सा बांचि रहिस।देख लीज्यो।आज इसीलिए मोहलत है।आज प्रवचन नइखै।


1991 में खाड़ी युद्ध में इराक पर जो बमवर्षा हुई रही,वह बमवर्षा इस महादेश के चप्पे चप्पे में हो रही।पाकिस्तानी बिटिया के भखन से हमने पाकिस्तान पेश कर दिया और हिंदुस्तान हमउ वानी।


का मिलल बंटवारे से?

पाकिस्तान में तबाही तो हिंदुस्तान में भी तबाही!

सरहदों के आर पार तबाही और कयामत का मंजर!


सरहदों के आर पार मुहब्बत का कत्लेआम!

सरहदों के आर पार नफरत का अरब वसंत!


सरहदों के आर पार अमेरिकी हितों की बम वर्षा।

सरहदों के आर पार आतंक विरोधी जुध गृहजुध!


सरहदों के आर पार भस्मासुर महाजिन्न जलवा!

सरहदों के आर पार मनुस्मृति शासन घनघोर!


सरहदों के आर पार रंगभेदी वंश वर्चस्व मूसलाधार।

सरहदों के आरपार धर्म के नाम अधर्म अंधकार!



अमेरिका और यूरोप के पाप का घड़ा भर गया है।


आइलान की लाश नहीं थी वह।


वह दरअसल अमन चैन की लाश है।


जो दरअसल लाखोंलाख बह रही हैं समुंदर में ही नहीं,हर मुल्क की सरजमीं पर बह रही हैं लाखोंलाख आइलान की लाशें!


खतरे में है इंसानियत और खतरे में कायनात!


गोर्बाचेव याद हैं!

पेरोस्त्रोइका याद है!


सोवियत संघ की वह हरित क्रांति जिसने वहां कृषि की हत्या कर दी!क्योंकि गोर्बाचेव ने सोवियत संघ को मुक्तबाजार के हवाले कर दिया।अफगानिस्तान में हस्तक्षेप से सोवियत उतना नहीं टूटा जितना ग्लासनोस्त और पेरोस्त्राइका से टूटा।


भारत में फिर वहीं ग्लासनोस्त!

भारत में फिर वहीं पेरोस्त्राइका!

इस पर तुर्रा अरब वसंत हाहाकार।


वीडियो जरुर देख लें।

सबूत विजुअल उसीमें दागे रहे।ग्राफिक ब्यौरे और आंकड़ें,दस्तावेज वहीं हैं क्योंकि आलेख में यह समेटना मुश्किल है।


सबसे खतरनाक यह है कि हम नेपाल को अफगानिस्तान बनाने पर आमादा है क्योंकि सवियत हश्र से हमने कुछ सीखा नहीं है।सच से हमारा वास्ता नहीं है और हमारा धर्म मिथक है तो इतिहास भी हमने मिथकीय बना दिया है,जहां ज्ञान विज्ञान सच का निषेध है।


हमने नेपाल चीन के हवाले कर दिया है और तबतक बहुतै देर हो जायेगी जब हमें पता चलेगाकि पूरा महादेश रेगिस्तान है और हमारी भावी पीढ़ियों के लिए न अन्न है और न जल।

हमारे हुक्मरान ने जलयुद्ध में भारत को हरा दिया।

हमारे हुक्मरान हिमालय हार गये।

जुए में हार गये देश हमारे हुक्मरान!


हमारी भावी पीढ़ियों के लिए न अन्न है और न जल।



टिकट ना कटवाया ह ,तो कटवा लो प्लीज!पहुंच जाव लखनऊ!कुरुक्षेत्र वहींच बनेला ह!महाभारत के खिलाफो हो जौन,जौन हो धर्मोन्मादी कत्लेआम,आत्मघात के विरुध,जौन ह जाति स्थाई बंदोबस्त के मुक्तबाजारी रंगभेदी वंशवर्चस्व के जाति धरम आउर मजहबी सियासत,सियासती मजहब केे विरुध,टिकटवा मिलल कि ना मिलल,पहुंचे जाओ लखनऊ।


सेना हमार भी कम नाही।इत उत भागतड़ा।चरनवाहा कोई नइखे कि मारे डंडा पिछवाड़े कि एइसन पांत में हो जाइ लामबंद फटाक से।तिलिसमवा भी टूटे फिर।अय्यार जो सगरे तलवार भांजे,मू से गू की बरसात करे जौ ससुर,ससुरी,वे तमाम लुंगी उठाइके भागे पिर देखो मदारी का खेल कि जमूरे वाह!


एक सिपाहसालार को आजहुं शुबोशुबो धर लिहिस गरदनवा पकडिके।स्त कलंदर उ आपण यशवंतवा बेधड़क बदमाश!भड़ास पादै रहै जौन खूब।अब जित दखो तित मस्ती खूब कर रिया ह।


गन्ना चूसत ह खेत मा सुसर! हमार करेजा तो धक धक धड़क गियो रे!बाप!का खेल दिखावै हो बाप!हमार बचपन मा दाखिल हुई रहा हमें बतावै बगैर!बदतमीज।ठोंक दिहिस खूब।शुबो सवेरे!

ओ ससुर जो हगैके मूतेकै तमीज भी नइखे,उ सब पाद पादकै गंधा दियो माहौल सगरा आउर हमार अल्टरनेटिव मडिया जहां के तहां!


एफोडीआई का उखाड़ लिहिस!छ महीने जरा वेइट करिके देखो,हमउ उतरैब मैदान मा!फिन देखब तमाशा तो तमासा दिखाइब खूब कि


हमउ देखब सूरजवा की औकात कि काहे ना होब भोर!

कायनात ह तो कबहुं ना टूटब इंसानियत का डोर!

हमउ देखब कौन लाला ललिया घर फूंकन आवै हामर साथ!

हमउ देखब कौन लाला ललिया पकड़े हमार हाथ!


यशवंता वचन दिहिस रहै कि लखनभ पहंचे रहल वानी।सगरे सिपाहसालार पहुंचे रहल वानी।उ कहत रहे,हमउ लड़ब।जान लड़ाये देब।लामबंदी का काफिला ह तइयार।जो ससुरे इत उत भाग रहल वानी गरदन पकिड़ै के हमउ खींचिकै मोरचे पर तान दिब।


हमउ कच्चा खिलाड़ी नाही कहल रहल वानी हमउ के ई चुदुर बुदुर से बदलबे ना कुछो।हमउ तुहार कातिर जो बम एटम बाम बारुद जमा किये रहल वानी,उ फेंके के चाहि ठिकाने पर के हमार भारत,भारत मा हमारे सगरे सगा सगा जो बिरादर तमामो नागरिक ह आम लोग आउर लुगाई जौन,उन तक खबर हो जाई कि जुध ह।

हमउ जो सुर साधल रहल वानी,जो रेयाज तानेरहल वानी,जो गंगा हियां हमार दिल मा बहतड़,दिमाग मा बहतड़ एइसन कि गोमुख होकै गंगासागर तलक गंगास्नान जरुरत ना पड़ी कबहुं।


कह गये संत रैदास कि मन चंगा तो कठौती मा गंगा।उ गंगा हमार दिल मा दिमाग मा।उ कठौती हमउ वानी।उ ससुरी गांगा खतरे मा बा।हिमालय खतरे मा।हम कहत बाड़न कि सुसर पहुंचों लखनऊ के बाद देहरादून।फिन सुंदरलाल बहुगुणा की अंकियन मां झांकेके चाहि।एकच अनंनत इंचरव्यू उनर चिपको आउर हिमालय पर चाहि।हमउ उसका टास्क सार्वनिक कर रहल बाड़न।के हमार दाज्यू राजीव नयन बहुगुणा कुछो कम मस्त कलंदर नइखै।सुर ताल साधेके उ भी संतन कम नइखै।ई कहो कि औघड़ बाबा साक्षात। हमार यशवंत कम नइखे,जानत हो।दुई मिलेकै दक्ष यज्ञ भंग करिकै चाहि आउर बतावेक चाहि के कइसन हिमालय की हत्या रोकेक चाहि ताकि गंगा बहे हमार दिलमा,गंगा बहे हमार दिमागो मा।


हमउ देखब सूरजवा की औकात कि काहे ना होब भोर!

कायनात ह तो कबहुं ना टूटब इंसानियत का डोर!

हमउ देखब कौन लाला ललिया घर फूंकन आवै हामर साथ!

हमउ देखब कौन लाला ललिया पकड़े हमार हाथ!


https://youtu.be/tkefnIAXJds


पाकिस्तान की इस बच्ची ने जो कहा है उसे एक बार जरूर सुनें!#Extension Oil War #Reforms#IMF#World Bank #Mandal VS #Kamandal#Manusmriti

हम उनसे अलग कहां हैं हिंदू राष्ट्र बनकर भी हम क्यों बन गये पाकिस्तान,अमेरिका का उपनिवेश?

वेदमंत्र में हर मुश्किल आसान,हिंदुत्व एजंडा फिर क्यों मुक्त बाजार और सुधार पर  खामोशी क्यों समता और समामाजिक न्याय और हमारे नुमाइंदे क्यों खामोश?

बंगाल में 35 साल के राजकाज गवाँने के बाद कामरेडों को यद आया कि रिजर्वेशन कोटा लागू नहीं और धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण के  मुकाबला फिर बहुजन समाज  की याद बंगाल में भी मंडल बनाम कमंडल?

উগ্র হিন্দুত্ববাদের বিরুদ্ধে লড়াই করার শপথ নিতে ।

জাতপাত নিয়ে লড়াই করা দাঙ্গাবাজ বিজেপিকে পরাস্ত করা এবং তৃণমুল নামক জঙ্গি সংগঠন কে স্বমুলে নির্মুল করার শপথ নিতে আগামি ২৭শে ডিসেম্বর২০১৫ ।

বামফ্রন্টের ডাকে ব্রিগেড সমাবেশে দলে দলে যোগ দিন ।

आज का मनुष्यता और मेहनतकशों की दुनिया को मेरा यह संबोधन कोई एक्टिविज्म या सहिष्णुता असहिष्णुता बहस नहीं है।

हम अस्सी के दशक और नब्वे के दशक से शुरु आर्थिक सुधार,राजनीतिक  अस्थिरता, हत्याओं, कत्लेआम, त्रासदियों, निजीकरण,उदारीकरण ग्लोबीकरण,इस्लामोफोबिया,तेल युद्ध,संसदीयआम सहमति और सियासत के तमाशे की हरिकथा अनंत बांच रहे हैं आज अकादमिक और आफिसियल वर्सन के साथोसाथ नई पीढ़ियों के लिए खासकर।पढ़ते रहें हस्तक्षेप।छात्रों के लिए बहुत काम की चीज है।सुनते रहे हमारे प्रवचन मुक्ति और मोक्ष के लिए।


हमार दोस्त,हमार भाई कमल जोशी परगत भयो दीवाल पर आउर जमकश इक फोटो भोर के दागि रहिस,सो देख लिज्यो!

लिहिस कमल जोशीः

सुबह और तुम....!

कोटद्वार लौटा तो एक सुहाने आसमान ने बाहें फैलाई...!

कमल जोशी का प्रवचनः

साथियो,

बच्चों से बात करते हुए अभी कल ही ध्यान आया की उनकी सृजनशीलता को कैसे प्रस्फुटित किया जा सकता है...! वे एनर्जी से लबरेज़ हैं. अंग्रेजी स्कूल तो बच्चों को इसका मौक़ा दे देवते हैं, समर्थ परिवारों के बच्चों के अभिभावक उनकी होबी के खर्चे को अफ्फोर्ड कर सकते हैं...पर वो बच्चे जो अपनेआर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग से होते है क्या हम उनके लिए कुछ कर सकते हैं..चाहे कितना ही छोटा करें..पर हम क्या कर सकते है.?

ये जिक्र मैंने अपने बच्चो के साथ काम करने वाले साथियों से किया और उन्हे बताया की इस को मैं कैसे करना चाहता हूँ, तो न केवल वो सहमत हुए बल्कि एक ने तुरंत फेस बुक के लिए अपील/ पोस्ट तक तैयार कर मुझे भेज दी. . उसे बाँट रहा हूँ...! और आप राय दें की क्या ये संभव है...

"..फेसबुक एक ऐसा माध्यम है जिसकी सहायता से हम ना सिर्फ सामजिक रूप से जुड़ते है बल्कि सामाजिक सरोकारों में खासकर जिन्हें हमारी सहायता की जरूरत है उनकी मदद भी कर सकते है | बच्चे जो की किसी भी तबके के हो हमारा भविष्य है और हम बड़े अगर उनके जीवन में कुछ नया , आकर्षक और सीखने लायक चीजों से परिचय करा सके तो उन्हें नयी बातो का ज्ञान होगा और ना जाने कौन सी बात किसी को आगे बढ़ने की दिशा ही दिखा दे ? हम बच्चो के साथ , बच्चो के लिए कुछ काम करना चाहते है,

लेकिन रिसोर्सेस ना के बराबर है. लेकिन हमारा मानना है की कुछ करने के लिए पैसे से ज्यादा जज्बे की जरूरत होती है और मेरे ही जैसे मेरे कई मित्र होंगे जो ऐसा सोचते होंगे सो क्यों ना ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में बच्चो के साथ रहा जाये....कुछ वो हमसे सीखेंगे तो कुछ हम उनसे और बात बन जाएगी... बच्चो की रुचियों को ध्यान में रख आप में से जो भी मित्र कम से कम एक दिन का समय दे पाने के इच्छुक हो तो कृपया बताये की आप क्या सिखा सकते है लेकिन ये ध्यान रखे की हमारे पास सीखने आने वाले बच्चे नगर पालिका स्कूल के भी हो सकते है और मध्यमवर्गीय भी सो, best out of waste पर काम करना चाहेंगे.... खाने और रहने की व्यवस्था मिल जुल कर होगी. यदि आप कोटद्वार में आकर बच्चों के साथ अपनी आर्ट को बांटना चाहते हैं तो कृपया अपने बारे में और अपनी रूचि, जो की आप बच्चो को सिखाना चाहेंगे, सूचित करें.. ताकि अन्य मित्र भी जाने की कितने लोग ऐसे काम में रूचि रखते है लेकिन फोन नंबर इनबॉक्स देने की कृपा करे ताकि आपसे संपर्क और जानकारी ली या दी जा सके..... बच्चे हम जैसों के ज़ेहन में हमेशा से खिलखिलाते आये है सो सोचा क्यों ना इन्ही के साथ, अपना भी मन बहलाया जाये.....


गुजरो जो बाग़ से तो दुआ मांगते चलो ,

जिसमे खिले है फूल , वो डाली हरी रहे |"


मित्र का धन्यवाद की इतने सुन्दर शब्दों में मेरे दिल की बात लिख दी...मित्र इन्हें ही तो कह्ते हैं..



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