पाकिस्तानी पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर के हत्यारे को दो दिन पहले फांसी हो गयी और उसकी शवयात्रा में लाखों लोगों की शिरकत ने पाकिस्तानी समाज में फैले मज़हबी कोढ़ को दुनिया के सामने नंगा कर दिया. पढ़ा लिखा लिबरल तबका अपने घरों में सदियों से चुप्पी साधे बैठा है. हजारों सालों से मुल्लाह अपनी 'टाम जैरी' की कहानी सुना रहा था लेकिन उससे सवाल करना इन्होने हिमाक़त समझा.
ये जन सैलाब अनपढ़ नहीं है, ये अपने मज़हबी गुफा ज्ञान से सराबोर है, पूरी तरह लैस, इसके सामने तुम्हारी यूनिवर्सिटी वाली पढाई की कोई औकात नहीं. १९४७ में पकिस्तान में कुल २४५ मदरसे थे जिनकी संख्या २००३ में ७००० से अधिक हो गयी थी. ये इन्ही मदरसों का मैला अब सरेआम सडकों पर अपनी ताकत दिखा रहा है, एक कायर हत्यारे को हीरो बता कर अपने धुलधूसरित अतीत को सहेजने की कोशिश कर रहा है.
इस्लाम के एक तरफ़ा कथित गुफा ज्ञान को चुनौती इतिहास में पहली बार सोशल मीडिया से मिल रही है, जहाँ इस्लाम सहित सभी संस्थागत धर्मों पर बुद्धिवादी विमर्श इनकी चूले हिला रहा है. ये भीड़ मरते हुए धर्म की अजदाह की आख़िरी करवट है.
और हाँ, 'लिबरलो' अब भी खामोशी साधे अपने आरामदायक बंद घरों में पड़े रहोगे तो तुम्हारी गिनती भी इस अंधी भीड़ के समर्थकों में ही शुमार होगी. यही खामोशी तुम्हारी मौत का सबब होगी, तुम्हारा मानसिक अन्धकार ठीक इसी तरह इतिहास में दर्ज होगा.
ये जन सैलाब अनपढ़ नहीं है, ये अपने मज़हबी गुफा ज्ञान से सराबोर है, पूरी तरह लैस, इसके सामने तुम्हारी यूनिवर्सिटी वाली पढाई की कोई औकात नहीं. १९४७ में पकिस्तान में कुल २४५ मदरसे थे जिनकी संख्या २००३ में ७००० से अधिक हो गयी थी. ये इन्ही मदरसों का मैला अब सरेआम सडकों पर अपनी ताकत दिखा रहा है, एक कायर हत्यारे को हीरो बता कर अपने धुलधूसरित अतीत को सहेजने की कोशिश कर रहा है.
इस्लाम के एक तरफ़ा कथित गुफा ज्ञान को चुनौती इतिहास में पहली बार सोशल मीडिया से मिल रही है, जहाँ इस्लाम सहित सभी संस्थागत धर्मों पर बुद्धिवादी विमर्श इनकी चूले हिला रहा है. ये भीड़ मरते हुए धर्म की अजदाह की आख़िरी करवट है.
और हाँ, 'लिबरलो' अब भी खामोशी साधे अपने आरामदायक बंद घरों में पड़े रहोगे तो तुम्हारी गिनती भी इस अंधी भीड़ के समर्थकों में ही शुमार होगी. यही खामोशी तुम्हारी मौत का सबब होगी, तुम्हारा मानसिक अन्धकार ठीक इसी तरह इतिहास में दर्ज होगा.
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